नैना देवी मंदिर का इतिहास और जानकारी | Naina Devi Temple History in Hindi

Naina Devi Temple / नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िला में स्थित है। मान्यता है कि इस स्थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। यह भी माँ शक्ति का एक सिद्ध पीठ है जो शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर समुद्र तल से 11000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह हिंदूओं के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है।

नैना देवी मंदिर का इतिहास और जानकारी | Naina Devi Temple History in Hindi

नैना देवी मंदिर की जानकारी – Naina Devi Mandir Information in Hindi

नैना देवी जिसे नयना देवी के नाम से भी जाना जाता हैं यह मंदिर 51 शक्ति पीठियों में एक हैं। यह मंदिर शिवालिक पर्वत शृंखला में स्थित है। कई पौराणिक कथाएँ इस मंदिर की स्थापना के साथ जुड़ी हुई हैं। नैना देवी मंदिर में नवरात्र का त्यौहार उत्सव के रूप में मनाया जाता है। वर्ष में आने वाली दोनो नवरात्र, चौत्र मास और अश्‍िवन मास के नवरात्रि में यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

पौराणिक कथाएँ – Naina Devi Temple Story

1). एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी सती ने खुद को यज्ञ में जिंदा जला दिया, जिससे भगवान शिव व्यथित हो गए। उन्होंने सती के शव को कंधे पर उठाया और तांडव नृत्य शुरू कर दिया। ऐसा करने स्वर्ग में विद्यमान सभी देवता भयभीत हो गये कि भगवान शिव का यह रूप प्रलय ला सकता है।

देवताओं ने भगवान विष्णु से यह आग्रह किया कि अपने चक्र से सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काट दें। विष्णु जी ने सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिये। शरीर का जो भाग जिस क्षेत्र में गिरा वहॉ पर एक शक्ति पीठ की स्थापना हो गई। इस प्रकार से पूरे भारत वर्ष में 51 शक्ति पीठियॉ स्थापित हो गई। उन्हीं 51 शक्ति पीठियों में से एक शक्ति पीठ श्री नैना देवी मंदिर है, जहां पर माता सती की आंखें गिरी थी।

2). एक और कथा के अनुसार नैना नाम का गुज्जर लड़का अपने मवेशियों को चराने गया तो वहॉ पर देखा कि एक सफेद गाय अपने स्तनों से एक पत्थर पर दूध धार गिरा रही थी। उसने यह दृश्य अगले कई दिनों तक लगातार देखा। फिर एक रात जब वह सो रहा था, उसने देवी माँ को सपने मे यह कहते हुए देखा कि वह पत्थर ही उनकी पिंडी है। नैना गुर्जर ने पूरी स्थिति और अपने सपने के बारे में राजा बीर चंद को बताया। जब राजा ने देखा कि गुर्जर की बात सत्य है तो, राजा ने उसी स्थान पर श्री नयना देवी नाम के मंदिर का निर्माण करवाया।

3). किंवदंतियों के अनुसार, महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस था जिसे श्री ब्रह्मा द्वारा अमरता का वरदान प्राप्त था, लेकिन उस पर शर्त यह थी कि वह एक अविवाहित महिला द्वारा ही परास्त हो सकता था। इस वरदान के कारण, महिषासुर ने पृथ्वी और देवताओं पर आतंक मचाना शुरू कर दिया। राक्षस के साथ सामना करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को संयुक्त किया और एक देवी को बनाया जो उसे हरा सके।

देवी को सभी देवताओं द्वारा अलग अलग प्रकार के हथियारों की भेंट प्राप्त हुई। महिषासुर देवी की असीम सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो गया और उसने शादी का प्रस्ताव देवी के समक्ष रखा। देवी ने उसके समझ एक शर्त रखी कि अगर वह उसे हरा देगा तो वह उससे शादी कर लेगी। लड़ाई के दौरान, देवी ने दानव को परास्त किया और उसकी दोनों आंखें निकाल दीं।

मंदिर की बनावट – Naina Devi Temple in Hindi

मंदिर में पीपल का पेड़ मुख्य आकर्षण का केन्द्र है जो कि अनेको शताब्दी पुराना है। मंदिर के गुम्बद सोने से बने हुए है। मंदिर निर्माण में सफेद मार्बल काम में लिए गये है। मुख्य गुम्बद पर नैना देवी को समर्प्रित झंडे दिखाई देते है। कुछ गुम्बदो पर शिव त्रिशूल भी लगे हुए है। मंदिर के मुख्य द्वार के दाई ओर भगवान गणेश और हनुमान कि मूर्ति है। मुख्य द्वार के के आगे दो शेर की प्रतिमाएं दिखाई देती है जो शेरोवाली की मुख्य सवारी है। मंदिर के गर्भग्रह में मुख्य तीन मूर्तियां है। दाई तरफ माँ काली, मध्य में नैना देवी की और बाई ओर भगवान श्री गणपति की प्रतिमा है। पास ही में पवित्र जल का तालाब है जो मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है। मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है।

कैसे जाएँ – Naina Devi Temple Tour 

यह स्थान NH-21 से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर दिल्ली से 350 किमी और चंडीगढ़ से 100 किमी की दुरी पर है। लुधियाना: 125 कि॰मी॰ दूर और चिन्तपूर्णी मंदिर 110 कि॰मी॰ दूर है। सबसे पास का हवाईअद्दा चंडीगढ़ है। रैल्वे स्टेशन सबसे नजदिकी आनंदपुर साहिब है जहा से मंदिर 30 किमी की दुरी पर है। आनंदपुर साहिब से आसानी से टैक्सी बस मंदिर जाने के लिए मिल जाती है।


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