चन्द्रमा की उत्पति, इतिहास, जानकारी | Moon Information History in Hindi

एस्ट्रोनॉमी के अनुसार जो पिण्‍ड सूर्य के चारों ओर चक्‍कर लगाता है, उसे ग्रह कहते हैं और जो पिण्‍ड किसी ग्रह के चारों ओर चक्‍कर लगाता है, उसे उपग्रह अथवा उस ग्रह का चन्‍द्रमा कहते हैं। इसलिए हमारा चांद वास्‍तव में हमारे पृथ्‍वी के चारों ओर चक्‍कर लगाने वाला एक मात्र उपग्रह है, इसलिए ये हमारी पृथ्‍वी का इकलौता चन्‍द्रमा है।

चन्द्रमा (चाँद ) की उत्पति, इतिहास, जानकारी | Moon Information & History in Hindi

कैसे बना चंद्रमा – Kaise Bana Moon

चंद्रमा लगभग 4.5 करोड़ वर्ष पूर्व धरती और थीया ग्रह (मंगल के आकार का एक ग्रह) के बीच हुई भीषण टक्कर से जो मलबा पैदा हुआ, उसके अवशेषों से बना था। यह मलबा पहले तो धरती की कक्षा में घूमता रहा और फिर धीरे-धीरे एक जगह इकट्टा होकर चांद की शक्ल में बदल गया। अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए पत्‍थरों की जांच से पता चला है कि चंद्रमा और धरती की उम्र में कोई फर्क नहीं है। इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक पाई गई है। एक अन्य परिकल्पना विखंडन सिद्धांत पर आधारित है, जिसके अनुसार पृथ्वी की सतह के करीब 2900 किलोमीटर नीचे एक नाभिकीय विखंडन के फलस्वरूप पृथ्वी की धूल और पपड़ी अंतरिक्ष में उड़ी और इस मलबे ने इकट्ठा होकर चांद को जन्म दिया। हालांकि यह सिद्धांत विवादित है।

चन्द्रमा की जानकारी और इतिहास – Moon Information in Hindi

Moon / चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है। यह सौर मंडल का पांचवां सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी के बीच से चन्द्रमा के मध्य तक कि दूरी 384,403 किलोमीटर है यह दूरी पृथ्वी की परिधि के 30 गुना है। चन्द्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से 1/6 है। यह प्रथ्वी के परिक्रमा में 27.3 दिन पूरा हो और अपनी आंखों के चारों ओर एक पूर्ण चक्कर भी 27.3 दिन में लगाया जाता है। यही कारण है कि चंद्रमा का एक हिस्सा या चेहरे पर हमें पृथ्वी की ओर होता है। यदि चन्द्रमा पर खड़े होकर पृथ्वी को देखे तो पृथ्वी साफ़ साफ़ अपनी आंख पर घूमता हुआ दिखता है लेकिन आसमान में उसकी स्थिति सदा स्थिर बनी रहेंगे अर्थात् पृथ्वी को कई वर्षों तक निहारते रहो वह अपनी जगह से टस से मस नहीं होगा।

पृथ्वी- चन्द्रमा-सूर्य ज्योतिति के कारण “चन्द्र दशा” हर 29 .5 दिन में बदलते हैं। आकार के हिसाब से अपने स्वामी ग्रह के संबंध में यह सौर मंडल में सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है जिसका विषाणु पृथ्वी का एक चौथाई और द्रव्यमान 1/81 है। बृहस्पति की सैटेलाइट लो के बाद चन्द्रमा दूसरा सबसे अधिक घनत्व वाला उपग्रह है।

सूर्य के बाद आसमान में सबसे अधिक चमकदार निकाय चन्द्रमा है समुद्री ज्वार और भाटा चन्द्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का कारण आते है। चन्द्रमा की तात्कालिक कक्षीय दूरी, पृथ्वी के व्यास का 30 गुना है इसलिये आसमान में सूर्य और चंद्रमा का आकार हमेशा सामान दिखता है। वह पृथ्वी से चंद्रमा का 59% भाग दिखता है जब चंद्रमा में कक्षा में घूमता हुआ सूर्य और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है और सूर्य को पूरी तरह से ढकेगा तो उसे सूर्यग्रहण कहते हैं।

सोवियत राष्ट्र की लूना -1 पहले अन्तरिक्ष यान था जो चन्द्रमा पास से गुजरा था लेकिन लुना -2 पहले यान था जो चन्द्रमा की धरती पर उतरा था। 1968 में केवल नासा अपोलो कार्यक्रम ने उस समय मानव मिशन के लिए उपलब्धि हासिल की थी और पहले मानवयुक्त ‘चंद्रा परिक्रमा मिशन’ की शुरुआत अपोलो -8 के साथ हुई थी। 1969 से 1972 के बीच में छह मानवयुक्त यान ने चन्द्रमा की धरती पर कदम रखा जिसमें से अपोलो -11 ने सबसे पहले कदम रखा था। इन मिशनों ने वापसी के दौरान 380 कि ग्रा। से अधिक चंद्र चट्टानों को साथ लौटने के लिए जिसका इस्तेमाल चंद्रमा का उत्पत्ति, उसकी आंतरिक संरचना का निर्माण और उसके बाद के इतिहास का विस्तृत भूवैज्ञानिक समझ विकसित करना था। ऐसा माना जाता है कि लगभग 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी के साथ विशाल टक्कर की घटना ने इसकी स्थापना की है।

1972 में अपोलो -17 मिशन के बाद से चंद्रमा का दौरा केवल मानव रहित अंतरिक्ष यान से ही किया गया जिसमें से विशेष रूप से अंतिम सोवियत लुनोखोद रोवर द्वारा किया गया है। 2004 से बाद में, जापान, चीन, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी में से प्रत्येक ने चंद्र परिक्रमा के लिए भेजा है। इन अंतरिक्ष अभियानों में चंद्रमा पर जल-बर्फ की खोज की पुष्टि के लिए विशिष्ट योगदान दिया गया है। चंद्रमा के भविष्य के लिए मानवयुक्त मिशन योजना सरकार के साथ निजी वित्त पोषित प्रयासों से बनाया गया है। चंद्रमा ‘बाह्य अंतरिक्ष संधि’ के तहत रहना है जिससे यह शांतिपूर्ण उद्देश्यों की खोज के लिए सभी राष्ट्रों के लिए स्वतंत्र है।

आतंरिक संरचना – Moon Inner Structure in Hindi

चंद्रमा एक विभेदित निकाय है जिसका भूरसायानिक रूप से तीन भाग क्रश, मेटल और कोर है। चंद्रमा का 240 किलोमीटर त्रिज्या का लोहे की बहुलता युक्त एक ठोस अंतररे कोर है और यह आंतरिक कोर का बाहरी भाग मुख्य रूप से लगभग 300 किलोमीटर की त्रिज्या के साथ तरल लोहे से बना हुआ है। कोर के चारों ओर 500 किलोमीटर की त्रिज्या के साथ एक आंशिक रूप से पिघली हुई सीमा परत है। चंद्रमा की खुरदुरी सहत पर बेहद अस्‍थिर और हल्का वायुमंडल होने की संभावना व्यक्त की जाती है और यहां पानी भी ठोस रूप में मौजूद होने के सबूत मिले हैं। यहां की धूल चिपचिपी है जिसके चलते वैज्ञानिकों के उपकरण खराब हो जाते हैं। यदि कोई अंतरिक्ष यात्री वहां जाएगा तो उसके कपड़ों पर धूल जल्दी से चिपक जाएगी और फिर उसे निकालना मुश्किल होता है।

एक नजर में चन्द्रमा की जानकारी – Chand ki Jaankari 

  • चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह, जो वायुमंडल विहीन है और जिसकी पृथ्वी से दूरी 3,84,365 कि.मी. है।
  • यह सौरमण्डल का पाचवाँ सबसे विशाल प्राकृतिक उपग्रह है।
  • चन्द्रमा की सतह और उसकी आन्तरिक सतह का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है।
  • इस पर धूल के मैदान को शान्तिसागर कहते हैं। यह चन्द्रमा का पिछला भाग है, जो अंधकारमय होता है।
  • चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत लीबनिट्ज पर्वत है, जो 35000 फुट (10,668 मी0) ऊँचा है। यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है।
  • चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है।
  • इसके प्रकाश को पृथ्वी में आने में 1.3 सेकंड लगता है।
  • चन्द्रमा, पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन और 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है। यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है। पृथ्वी से चन्द्रमा का 57% भाग देखा जा सकता है।
  • चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी के चारो ओर घुमने में लगा समय (परिभ्रमण काल) 27 घंटा 7 मिनिट 43 सेकंड है।
  • चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58.48º का अक्ष कोण बनाता है। चन्द्रमा पृथ्वी के अक्ष के लगभग समानान्तर है।
  • चन्द्रमा का धरातल असमतल और इसका व्यास 3,476 कि.मी है तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग 1/8 है।
  • पृथ्वी के समान इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है।
  • सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की अवधि 29.53 दिन (29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 2.8 सेकेण्ड) होती है। इस समय को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं।
  • नक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग 27½ दिन (27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट और 11.6 सेकेण्ड) में पुनः उसी स्थिति में होता है। 27½ दिन की यह अवधि एक नाक्षत्र मास कहलाती है।
  • ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों के अनुपात 11:5 हैं।
  • ओपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाए गए चट्टानों से पता चला है कि चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है, जितनी की पृथ्वी (लगभग 460 करोड़ वर्ष)। इसकी चट्टानों में टाइटेनियम की मात्रा अत्यधिक मात्रा में पायी गयी है।
  • चंद्रमा हर वर्ष धरती से 3.78 सेंटीमीटर दूर होता जा रहा है। एक निश्चित दूरी होने पर पर चंद्रमा धरती की परिक्रमा करने में 28 दिन की बजाए 47 दिन लगाएगा। यह भी आशंका व्यक्त की जा सकती है कि यदि चांद इसी तरह से ज्यादा दूर होता जाएगा तो धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति और कक्षा से दूर होकर अंतरिक्ष में कहीं खो सकता है। ऐसे में धरती पर दिन महज 6 घंटे के लिए रह जाएगा। मतलब बाकी समय रात रहेगी?
  • चंद्रमा का सबसे बड़ा पर्वत दक्षिणी ध्रुव पर स्थित लीबनिट्ज पर्वत है, जो 35,000 फुट (10,668 मी.) ऊंचा है।

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