Kohinoor Diamond / कोहिनूर हीरा दुनिया के सभी हीरों का राजा हिरा है, जिसे आंध्र प्रदेश के गुंटूर (भारत) की एक खान से निकाला गया था। कोहिनूर को फ़ारसी में “कूह-ए-नूर” (Koh-i-Noor) कहा जाता है, जिसका अर्थ है- “कुदरत की विशाल आभा या रोशनी का पर्वत”। यह हीरा 105 कैरेट (लगभग 21.600 ग्राम) का है। यह अभी तक विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात ऐतिहासिक हीरा रह चुका है। कई मुग़ल बादशाहों और फ़ारसी शासकों से होता हुआ, यह हीरा अनतत: ब्रिटिश शासन के अधिकार में चला गया और अब उनके ख़ज़ाने में शामिल है।
कोहिनूर हीरा की जानकारी – Kohinoor Diamond Information in Hindi
माना जाता है कि कोहिनूर हीरा (Kohinoor Heera) वर्तमान भारत के आंध्रप्रदेश राज्य के गुंटूर जिले में स्थित गोलकुंडा की खदानों से प्राप्त हुआ था। पर यह हीरा खदान से कब बाहर आया? इसकी कोई पुख्ता जानकारी इतिहास में मिलती नहीं है। यह मात्र जनश्रुति या अफवाह ही है। एक अन्य कथा के अनुसार लगभग 3200 ई.पू. यह किसी को हीरा नदी की तली में मिला था।
एक मिथ के अनुसार लगभग 5000 वर्ष पहले संस्कृत भाषा में सबसे पहले हीरे का उल्लेख किया गया। इसे “स्यामंतक” के नाम से जाना गया. यहाँ गौर करने बात यह है कि स्यामंतक को कोहिनूर से अलग माना जाता था।
कहा जाता है कि यह हीरा 1306 में तब चर्चा में आया जबकि इसको पहनने वाले एक शख्स ने लिखा कि जो भी इंसान इस हीरे को पहनेगा, वो इस संसार पर राज तो करेगा लेकिन इसी के साथ उसका दुर्भाग्य भी शुरू हो जाएगा।
पूरी दुनियाँ में कोहिनूर हीरा / Kohinoor Diamond सबसे कीमती और प्रसिद्ध माना जाता है जिसकी कीमत अभी भी पूरी तरह से नहीं लगायी जा सकी है। लेकिन ऐसा माना जाता है की इसके साथ एक ऐसा अभिशाप जुड़ा हुआ है जिससे आजतक कोई नहीं बच पाया। कहा जाता है की यह हीरा अभिशापित है जिस कारण यह जिस किसी के भी पास जाता है उसे यह पूरी तरह से बर्बाद कर देता है, अनेक लोगो ने, शक्तिशाली राजपरिवारो ने इसे पाना चाहा लेकिन यह जिस किसी के भी पास गया उसे बर्बाद कर गया और कई ऐतिहासिक राज परिवारो के पतन के साथ इस हीरे का नाम जुड़ा है।
Kohinoor Diamond Story in Hindi
कई लोग इसे सम्यन्तक मणि भी कहते है और इसके बारे में कहाँ जाता है की इसे भगवान् सूर्य ने अपने प्रबल भक्त ‘सत्राजित’ की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान स्वरुप दिया था और यही इसके उत्पत्ति की कहानी मानी जाती है और यही से इसकी अभिशप्त कहानी शुरू होती है। पुराणों के अनुसार यह हीरा एक दिन सत्राजित से खो गया और इसका झूठा आरोप श्रीकृष्ण पर लगा, परन्तु श्रीकृष्ण ने यह हीरा ढूंढ कर वापस सत्राजित को दे दिया और सत्राजित ने श्रीकृष्ण से प्रभावित हो यह उन्हें ही भेंट कर दिया, इसीलिए कहाँ जाता है की श्री कृष्ण पर झूठे आरोप से इस हीरे की अभिशापित कहानी शुरू हुई और बाद में इसी हीरे के कारण यदुवंश का विनाश भी हुआ। यदुवंश के विनाश के बाद यह हीरा इतिहास में कहीं खो गया और मध्यकाल तक इसका कोई उल्लेख नहीं मिलता लेकिन सन 1306 में एक लेख लिखा गया जिसमे पहली बार इस हीरे का उल्लेख किया गया, इस लेख में मुताबिक जो भी इस हीरे को अपने पास रखेगा उसे बुरीतबाही का सामना करना पड़ेगा, परन्तु तब के शासको ने बात को हँसी में उड़ा दिया लेकिन कोहिनूर ने अपना असर दिखाना जारी रखा।
कोहिनूर हीरा हर पुरुष राजा के लिए एक श्राप साबित हुआ। जिसने भी इसे पाने की कोशिश की या अपना बनाया, इस हीरे ने उनके पूरे के पूरे वंश को ही समाप्त कर दिया। यह बात जानने के बाद अंग्रेजी सरकार ने यह निर्णय किया कि इसे कोई पुरुष नहीं बल्कि महिला ही पहनेगी।
कोहिनूर हीरा अभी कहाँ है? – Kohinoor Hira Kahan hai aur Kiske Pas Hain
कोहिनूर कई देश का सफर करते हुए कई राजाओ के हाथों से होते हुए अंततः वर्तमान में लंदन के टावर में सुरक्षित रखा गया है। अंग्रेजो को 1850 में यह हिरा मिला था।
कोहिनूर हिरा का इतिहास एक नजर में – Kohinoor Diamond History In Hindi
1). कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है. मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा ख़नन क्षेत्र में निकला था कोहिनूर।
2). मूल रूप में ये 793 कैरेट का था. अब यह 105.6 कैरेट का रह गया है जिसका वजन 21.6 ग्राम है। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।
3). कोहिनूर के बारे में पहली जानकारी 1304 के आसपास की मिलती है, तब यह मालवा के राजा महलाक देव की संपत्ति में शामिल था।
4). इसके बाद इसका जिक्र बाबरनामा में मिलता है. मुगल शासक बाबर की जीवनी के मुताबिक, ग्वालियर के राजा बिक्रमजीत सिंह ने अपनी सभी संपत्ति 1526 में पानीपत के युद्ध के दौरान आगरा के किले में रखवा दी थी। बाबर ने युद्ध जीतने के बाद किले पर कब्ज़ा जमाया और तब 186 कैरेट के रहे हीरे पर भी कब्जा जमा लिया। तब इसका नाम बाबर हीरा पड़ गया था।
5). इसके बाद ये हीरा मुगलों के पास ही रहा. 1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगलिया सल्तनत पर हमला किया। 1739 में उसने दिल्ली के तब के शासक मोहम्मद शाह को हरा कर उसे बंदी बना लिया और शाही ख़जाने को लूट लिया। इसमें बाबर हीरा भी था. इस हीरे का नाम नादिर शाह ने ही कोहिनूर रखा।
6). नादिर शाह कोहिनूर को अपने साथ ले गया.1747 में नादिर शाह के अपने ही लोगों ने उनकी हत्या कर दी। इसके बाद कोहिनूर नादिर शाह के पोते शाह रुख़ मिर्ज़ा के कब्ज़े में आ गया।
7). 14 साल के शाह रुख़ मिर्ज़ा की नादिर शाह के बहादुर सेनापति अहमद अब्दाली ने काफी मदद की तो शाह रुख़ मिर्जा ने कोहिनूर को अहमद अब्दाली को ही सौंप दिया।
8). अहमद अब्दाली इस हीरे को लेकर अफ़ग़ानिस्तान तक पहुंचा. इसके बाद यह हीरा अब्दाली के वंशजों के पास रहा।
9). अब्दाली का वंशज शुजा शाह जब लाहौर पहुंचा तो कोहिनूर उसके पास था. पंजाब में सिख राजा महाराजा रणजीत सिंह का शासन था। जब महाराजा रणजीत सिंह को पता चला कि कोहिनूर शुजा के पास है, तो उन्होंने उसे हर तरह से मनाकर 1813 में कोहिनूर हासिल कर लिया।
10). रणजीत सिंह कोहिनूर हीरे को अपने ताज में पहनते थे. 1839 में उनकी मौत के बाद हीरा उनके बेटे दिलीप सिंह तक पहुंचा।
11). 1849 में ब्रिटेन ने महाराजा को हराया. दिलीप सिंह ने लाहौर की संधि पर तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के साथ हस्ताक्षर किए. इस संधि के मुताबिक कोहिनूर को इंग्लैंड की महारानी को सौंपना पड़ा।
12). कोहिनूर को लॉर्ड डलहौजी 1850 में लाहौर से मुंबई ले कर आए और वहां से छह अप्रैल, 1850 को मुंबई से इसे लंदन के लिए भेजा गया।
13). तीन जुलाई, 1850 को इसे बकिंघम पैलेस में महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया। 38 दिनों में हीरों को शेप देने वाली सबसे मशूहर डच फर्म कोस्टर ने इसे नया अंदाज दिया। इसका वजन तब 108.93 कैरेट रह गया. यह रानी के ताज का हिस्सा बना। अब कोहिनूर का वजन 105.6 कैरेट है।
14). स्वतंत्रता हासिल करने के बाद 1953 में भारत ने कोहिनूर की वापसी की मांग की थी, जिसे इंग्लैंड ने अस्वीकार कर दिया था।
15). 1976 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फ़िकार अली भुट्टो ने भी इसकी मांग की थी, जिसे ब्रिटेन ने ख़ारिज़ कर दिया था।
16). इसके बाद सन 2000 में भी कई बार भारतीय सदन ने कोहिनूर पर भारतीय दावा करते हुए ब्रिटिश सरकार पर आरोप लगाया, कि कोहिनूर को ब्रिटिश सरकार ने अनैतिक रूप से प्राप्त किया है।
17). कोहिनूर मुद्दा अभी भी काफी चर्चे में है. एक और जहाँ भारत उसे वापिस लाने की कवायद कर रहा है, वहीं ब्रिटिश सरकार भी इसे नहीं लौटाने की जिद पर अड़ी है। दोनों ही देश की सरकारें सही फैसले के लिए हल ढूंढ रही है।
मैंने आपके बहुत सारे आर्टिकल पढ़े है, आप बहुत ही सटीक जानकारी देते है। ये बहुत ही अच्छी जानकारी है। इसको पढ़ कर मुझे इससे जुडी सारि चीज़े पता चल गयी। यहां बहुत अच्छी जानकारी मिली।
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धन्यवाद.
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