Hippocrates / हिपोक्रेटिस, या बुकरात, प्राचीन यूनान के एक प्रमुख विद्वान थे, इन्हे आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का जनक कहा जाता है। इन्होंने रोग परीक्षण, निदान और उपचार के जिन पद्धतियों का प्रयोग किया उसी पर आधुनिक चिकित्सा शास्त्र का आधार हैं। डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी होने के बाद आज भी जो शपथ ली जाती है उसे हिपोक्रेटिस ओथ के नाम से जाना जाता है।
हिपोक्रेटिस की जीवनी – Hippocrates Biography in Hindi
हिपोक्रेटिस का जन्म 460-370 ई.पु माना जाता है। उनका औपचारिक नाम हिप्पोक्रेट्स अस्सक्लिपैड्स था, जिसका अर्थ है “(डॉक्टर-भगवान) अस्सलापियोस का वंशज।” इनका जन्म प्राचीन यूनान के एक द्वीप कोस में हुवा था। इनके पिता एस्कचूलेनियस का मंदिर के पुरोहित थे। एस्कचूलेनियस को ग्रीक और रोमन के लोग उस समय आरोग्य-देवता मानते थे।
प्रसिद्ध यूनानी इतिहासकर और दार्शनिक प्लेटो ने हिप्पोक्रेटस की चर्चा की है। प्लेटो का कहना है कि हिप्पोक्रेटस ने दूर-दूर तक भ्रमण किया, जहां भी हो गए उन्होंने चिकित्सा शास्त्र की शिक्षा दी है।
वह डॉक्टरों को प्राय यह सलाह दिया करते थे, कि रोगियों को यह बताने में कभी न हिचकिचाएं की बीमारी कब तक चलेगी, क्योंकि यदि उनकी यह भविष्यवाणी सही उतरी तो लोग उन पर अधिक-से-अधिक विश्वास करेंगे और उपचार के लिए अपने आप निसंकोच सौंप देंगे।
मृत्यु – मृत्यु शहर लारिस्सा में हुई।
हालाँकि कुछ ऐसे लोग है जो कहते है कि हिप्पोक्रेटस् हुआ ही नही ; उसके नाम से प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्र-विषयक सत्तर पुस्तके एक लेखक की संघ रचनाये है।
हिपोक्रीत्ज़ की शपथ – Hippocratic Oath in Hindi
हिपोक्रीत्ज़ की शपथ (Hippocratic Oath) ऐतिहासिक रूप से चिकित्सकों एवं चिकित्सा व्यसायियों द्वारा ली जाने वाली शपथ है। जो इस प्रकार हैं –
- मैं अपोलो वैद्य, अस्क्लीपिअस, ईयईआ, पानाकीआ और सारे देवी-देवताओं की कसम खाता हूँ और उन्हें हाज़िर-नाज़िर मानकर कहता हूँ कि मैं अपनी योग्यता और परख-शक्ति के अनुसार इस शपथ को पूरा करूँगा।
- जिस इंसान ने मुझे यह पेशा सिखाया है, मैं उसका उतना ही गहरा सम्मान करूँगा जितना अपने माता-पिता का करता हूँ। मैं जीवन-भर उसके साथ मिलकर काम करूँगा और उसे अगर कभी पैसों की ज़रूरत पड़ी, तो उसकी मदद करूँगा। उसके बेटों को अपना भाई समझूँगा और अगर वे चाहें, तो बगैर किसी फीस या शर्त के उन्हें सिखाऊँगा। मैं सिर्फ अपने बेटों, अपने गुरू के बेटों और उन सभी विद्यार्थियों को शिक्षा दूँगा जिन्होंने चिकित्सा के नियम के मुताबिक शपथ खायी और समझौते पर दस्तखत किए हैं। मैं उन्हें चिकित्सा के सिद्धान्त सिखाऊँगा, ज़बानी तौर पर हिदायतें दूँगा और जितनी बाकी बातें मैंने सीखी हैं, वे सब सिखाऊँगा।
- रोगी की सेहत के लिये यदि मुझे खान-पान में परहेज़ करना पड़े, तो मैं अपनी योग्यता और परख-शक्ति के मुताबिक ऐसा अवश्य करूँगा; किसी भी नुकसान या अन्याय से उनकी रक्षा करूँगा।
- मैं किसी के माँगने पर भी उसे विषैली दवा नहीं दूँगा और ना ही ऐसी दवा लेने की सलाह दूँगा। उसी तरह मैं किसी भी स्त्री को गर्भ गिराने की दवा नहीं दूँगा। मैं पूरी शुद्धता और पवित्रता के साथ अपनी ज़िंदगी और अपनी कला की रक्षा करूँगा।
- मैं किसी की सर्जरी नहीं करूँगा, उसकी भी नहीं जिसके किसी अंग में पथरी हो गयी हो, बल्कि यह काम उनके लिए छोड़ दूँगा जिनका यह पेशा है।
- मैं जिस किसी रोगी के घर जाऊँगा, उसके लाभ के लिए ही काम करूँगा, किसी के साथ जानबूझकर अन्याय नहीं करूँगा, हर तरह के बुरे काम से, खासकर स्त्रियों और पुरुषों के साथ लैंगिक संबंध रखने से दूर रहूँगा, फिर चाहे वे गुलाम हों या नहीं।
- चिकित्सा के समय या दूसरे समय, अगर मैंने रोगी के व्यक्तिगत जीवन के बारे में कोई ऐसी बात देखी या सुनी जिसे दूसरों को बताना बिलकुल गलत होगा, तो मैं उस बात को अपने तक ही रखूँगा, ताकि रोगी की बदनामी न हो।
- अगर मैं इस शपथ को पूरा करूँ और कभी इसके विरुद्ध न जाऊँ, तो मेरी दुआ है कि मैं अपने जीवन और कला का आनंद उठाता रहूँ और लोगों में सदा के लिए मेरा नाम ऊँचा रहे; लेकिन अगर मैंने कभी यह शपथ तोड़ी और झूठा साबित हुआ, तो इस दुआ का बिलकुल उल्टा असर मुझ पर हो।
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