हीर-राँझा की सच्ची प्रेम कहानी | Heer Ranjha True love Story in Hindi

Heer Ranjha History – ऐसे दुनिया मे कई प्यार के किससे और कहानी जो हमे प्रमाणित करते हैं की सच्चा प्यार ना कभी हारता हैं ना कभी झुकता हैं वो हमेशा अमर रहता हैं चाहे दुनिया कितनो जालिम हो जाए. आख़िर मे जीत प्यार की ही होती हैं।

इन्ही कहानियो मे एक कहानी हीर-रांझा की हैं जो प्यार की ऐसी अमिट छाप छोड़ी जिसे दुनिया आज भी याद करता हैं। उनका प्यार अमर हैं। आइए जाने हीर-रांझा की सच्ची प्रेम कहानी ..

हीर-राँझा की सच्ची प्रेम कहानी Heer Ranjha True Story In HindiTrue Love Story in Hindi

प्यार को शब्दों में बयाँ नहीं किया जा सकता और ना ही इसकी कोई परिभाषा है। इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। ये तो एक ऐसा खूबसूरत एहसास है जो दो लोगो को बहुत गहराई से आपस में जोड़ता है। ये एक ऐसा बंधन है जो दो लोगों को रूह की गहराई से बांध देता है। प्यार आसानी से किसी से हो तो सकता है पर आसानी से ख़त्म नहीं हो सकता। प्यार को सिर्फ वो महसूस कर सकता है जो सच में किसी से सच्चा प्यार करता है।

ये हैं कहानी – About Heer Ranjha True Love Story in Hindi 

ये कहानी पाकिस्तान से शुरू होती हैं। पाकिस्तान की चेनाब नदी के किनारे पर तख़्त हजारा नामक गाँव था। मौजू चौधरी गाँव का मुख्य ज़मींदार था। उसके चार पुत्र थे और राँझा उन चारो भाइयो में सबसे छोटा था। राँझा का असली नाम ढीदो था और उसका उपनाम राँझा था इसलिए उसे सभी राँझा कहकर बुलाते थे। राँझा चारो भाइयो में छोटा होने के कारण अपने पिता का बहुत लाडला था। राँझा के दुसरे भाई खेती में कड़ी मेहनत करते रहते थे और राँझा बाँसुरी बजाता रहता था। जिस कारण उसके भाई रांझा से नफ़रत करते थे।

रांझा को बचपन में ही खूबसूरती से इश्क था। उसने अपने लिए सपनों में ही एक हसीना की तस्वीर गढ़ ली थी। रांझा बड़ा ही आशिक मिजाज था। बारह साल की उम्र में पिता का साया उसके सिर से उठ गया था और भाइयो से विवाद हो गया। अपने भाइयों से अलग होकर वह सारा दिन पेड़ों के नीचे बैठा रहता और अपने सपनों की शहजादी के बारे में सोचा करता था। एक बार एक पीर ने उससे पूछा-तुम इतने दुःखी क्यों हो? तब रांझा ने पीर को अपने द्वारा रचित प्रेम गीत सुनाए, जिसमें सपनों की शहजादी का उल्लेख था। पीर ने बताया कि तुम्हारे सपनों की शहजादी हीर के अलावा और कोई नहीं हो सकती। यह सुन रांझा अपनी हीर की तलाश में निकल पड़ा।

एक रात रांझा ने एक मस्जिद में आश्रय लिया, अगली सुबह वो मस्जिद से रवाना हो गया और एक दुसरे गाँव में पंहुचा जो हीर का गाँव था। हीर एक सियाल जनजाति के सम्पन्न जाट परिवार से संबंध रखती थी ये जगह अभी पंजाब ,पाकिस्तान में है। पहली बार हीर को देखते ही रांझा समझ गया की यही मेरी सपनो की शहज़ादी हैं। हीर बहुत सख्त दिमाग वाली लड़की थी। एक रात रांझा चुपके से हीर की नाव में सो गया। यह देख हीर आगबबूला हो गई, लेकिन जैसे ही उसने जवाँ मर्द रांझे को देखा, वह अपना गुस्सा भूल गई और रांझा को देखती ही रह गई। तब रांझा ने उसे अपने सपनों की बात कही। रांझे पर फिदा हीर उसे अपने घर ले गई और अपने यहाँ नौकरी पर रखवा दिया।

हीर के पिता ने रांझा को मवेशी चराने का काम सौंप दिया। हीर, रांझा की बांसुरी की आवाज में मंत्रमुग्ध हो जाती थी और धीरे धीरे हीर को रांझा से गहरा प्यार हो गया। वो कई सालो तक गुप्त जगहों पर मिलते रहे, लेकिन हीर के चाचा को इसकी भनक लग गई और सारी बात हीर के पिता चुचक और माँ मालकी को बता दी।

अब हीर के घरवालो ने राँझा को नौकरी से निकाल दिया और दोनों को मिलने से मना कर दिया। हीर को उसके पिता ने सैदा खेरा नाम के व्यक्ति से शादी करने के लिए बाध्य किया। मौलवियों और उसके परिवार के दबाव में आकर उसने सैदा खरा से निकाह कर लिया। जब इस बात की खबर राँझा को पता चली तो उसका दिल टूट गया। वो ग्रामीण इलाको में अकेला दर-दर भटकता रहा। एक दिन उसे एक जोगी गोरखनाथ मिला, गोरखनाथ जोगी सम्प्रदाय के “कानफटा” समुदाय से था और उसके सानिध्य में रांझा भी जोगी बन गया।

रब्ब का नाम लेता हुआ वो पुरे पंजाब में भटकता रहा और अंत में उसे हीर का गाँव मिल गया जहा वो रहती थी। वो हीर के पति सैदा के घर गया और उसका दरवाजा खटखटाया उसकी आवाज सुनकर हीर बाहर आई और उसे भिक्षा देने लगी। दोनों एक-दूसरे को देखते रह गए। रांझा रोजाना फकीर बनकर आता और हीर उसे भिक्षा देने। दोनों रोजाना मिलने लगे। यह हीर की भाभी ने देख लिया। उसने हीर को टोका तो रांझा गाँव के बाहर चला गया। सारे लोग उसे फकीर मानकर पूजने लगे। उसकी जुदाई में में हीर बीमार हो गई। जब वैद्य हकीमों से उसका इलाज न हुआ तो हीर के ससुर ने रांझे के पास जाकर उसकी मदद माँगी। रांझा हीर के घर चला आया। उसने हीर के सिर पर हाथ रखा और हीर की चेतना लौट आई।

जब लोगों को पता चला कि वह फकीर रांझा है तो उन्होंने रांझा को पीटकर गाँव से बाहर धकेल दिया। फिर राजा ने उसे चोर समझकर पकड़ लिया। रांझा ने जब राजा को हकीकत बताई और अपने प्यार की परीक्षा देने के लिए आग पर हाथ रख दिया तो उसने हीर के पिता को आदेश दिया कि वह हीर की शादी रांझा से कर दे। राजा की आज्ञा के डर से उसके पिता ने मंजूरी तो दे दी, लेकिन शादी के दिन हीर के चाचा कैदो ने हीर खाने में जहर मिला दिया ताकि ये शादी रुक जाये। ये सुचना जैसे ही राँझा को मिली वो दौड़ता हुआ हीर के पास पहुचा लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।

हीर ने वो खाना खा लिया था जिसमे जहर मिला था और उसकी मौत हो गयी। रांझा अपने प्यार की मौत के दुःख को झेल नही पाया और उसने भी वो जहर वाला खाना खा लिया और उसके करीब उसकी मौत हो गयी। हीर-रांझा को उनके पैतृक गाँव झंग में दफन किया गया। जहाँ आज भी प्रेम का मज़ार बना हुआ हैं। भले ही हीर मर गई, रांझा मर गया, लेकिन उनकी मोहब्बत आज भी जिंदा है।

हीर-राँझा की प्रेम कहानी पर आधारित कई फ़िल्मे और धारावाहिक बनी – Heer Ranjha Film

  • भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले हीर-रांझा / Heer Ranjha नाम से 1928 , 1929 , 1931 और 1948 में कुल चार फिल्मे बनी हालांकि ये चारो फिल्मे उतनी सफल नही रही।
  • विभाजन के बाद पहली बार 1971 में हीर रांझा / Heer Ranjha फिल्म भारत में बनी जिसमे राजकुमार और प्रिया राजवंश मुख्य कलाकार थे और ये फिल्म काफी सफल रही।
  • 2009 में हीर-रांझा फिल्म पंजाबी में बनी जिसमे गुरदास मान मुख्य अभिनेता थे।
  • पाकिस्तान में भी 1970 में हीर-रांझा फिल्म बनी थी और 2013 में धारावाहिक ।

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12 thoughts on “हीर-राँझा की सच्ची प्रेम कहानी | Heer Ranjha True love Story in Hindi”

  1. R...Parwej shahenshah

    mera bhi kahani kuchh aisa hi hai mai to kab ka mar gya hu ghar wale mar diye sirf mera shrir hai undar se khatm ho gya hu pyar me apne rukhsar se bichhdne k baad aisa koi bhi din nhi h ki hum roye n ho

    1. Merri heer bahut busy rahati h kabhi bhi mere liye uske pas tym nahi hota h lekin m usse ranjha se bhi jyada pyar krta hu m uske liye kuch bhi kr skta hu lekin vo mere liye kabhi kuch ni krti
      Agr. Garwalo ne uski saddi koi or jagah krva di to mai aatnkvadi ban kr sab ko khatam kr dunga or sat me khud bhi khtam hojaunga hmari life me sab se bada dusman gar vale h or ager use kuch ho gya to m kisi ko nahi chhodunga m uske liye hi jinda hu or uske liye hi marunga
      I love you P

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