शीरीं-फरहाद की सच्ची प्रेम कहानी | Shirin Farhad Love Story in Hindi

शीरीं-फरहाद की सच्ची प्रेम कहानी | Shirin Farhad Love Story in Hindi

शीरीं-फरहाद की सच्ची प्रेम कहानी – Shirin Farhad True Love Story in Hindi

प्यार एक गहरा और खुशनुमा एहसास है। जब किसी से प्यार होता हैं, तो दिल और दिमाग सातवे आसमान में होना महसूस करते हैं। अपने प्यार को पाने के लिए कुछ भी क़ुरबानी देने को तैयार रहते हैं। यहां तक की प्यार की खातिर लोग जान भी दे देते हैं। दुनिया में कई ऐसे सच्चे प्यार की कहानिया मशहूर हैं जो अपने प्यार पाने के लिए अपनी जान दे दी। हालाँकि वो तो इस दुनिया से चले गए लेकिन उनकी प्यार अमर हो गयी। और उनके प्यार का किस्सा, उनका नाम आज भी लोगो के जुबान में रहता हैं। इसी तरह एक सच्चे प्रेम कहानी शीरीं-फरहाद (Shirin Farhad) की हैं।

इस कहानी को उज्बेकिस्तान के महान लेखक अलीशेर ने 14वीं शताब्दी में खम्सा ग्रंथ में रचना की हैं। जिसमें उन्होंने पांच प्रेम कथाओं का वर्णन किया हैं। उन्हीं कथाओं में से एक है, फरहाद और शीरीं की प्रेम कहानी। शीरीं-फरहाद (Shirin Farhad) की कहानी सच्ची घटना पर आधारित हैं।

आर्मेनिया के बादशाह की बेटी शीरीं बेइंतहा खूबसूरत थी। उसकी तस्वीर देखकर ही पर्शिया के बादशाह खुसरो उस पर फिदा हो गए थे। उन्होंने तुरंत अपने सिपहसालार को शीरीं के सामने शादी का प्रस्ताव लेकर भिजवाया। खुसरो का प्रस्ताव जब शीरीं को मिला तो उन्होंने भी शादी के लिए हामी भर दी, पर साथ ही एक शर्त भी रख दी। और वो शर्त थी कि बादशाह पर्शिया लोगों तथा उसके लिए दूध का दरिया लाकर दे दे।

बादशाह इस बात के लिए राजी हो गए और वे अपने साम्राज्य में ऐसे आदमी ढूँढना शुरू किया जो इस काम को पूरा कर सके। इसी बीच उन्हें एक ऐसा आदमी मिला जो उनका नहर खुदवाने का काम पूरा करने का जिम्मेवारी ले ली। और वो शख्स का नाम था फरहाद। इस बीच बादशाह ने शीरीं से निकाह कर लिया था।

बादशाह ने फरहाद को बुलवाया और शीरीं से मिलवाया ताकि उसकी सलाह पर फरहाद नहर की खुदाई कर सके। लेकिन खुदा को कुछ और मंजूर था। शीरीं को देखते ही फरहाद उसका दीवाना हो गया, और शीरीं से प्यार करने लगा। नहर खोदते-खोदते फरहाद शीरीं के नाम की रट लगाने लगा। एक दिन जब शीरीं वहां आई तो फरहाद ने उसके कदमों पर झुकते हुए अपने इश्क का इजहार किया, लेकिन शीरीं ने उसे झिड़क दिया, और वो चली गयी।

लेकिन सच्चा प्यार हार कहां मानता है। इसके बाद फरहाद को नहर जल्दी खोदने का जूनून सवार हो गया। शीरीं का नाम लेते-लेते फरहाद ने समय से पहले नहर तो खोद डाली, लेकिन वह शीरीं के इश्क में और भी दीवाना हो गया। जब बादशाह को इसकी जानकारी मिली तो वह आगबबूला हो गया। लेकिन फरहाद ने बिना डरे दिल की बात कह डाली कि मैं शीरीं की मोहब्बत में इतना दीवाना हो गया हूं कि अपने दिलो दिमाग पर नियंत्रण ही नहीं रहा। इस पर बादशाह ने तलवार से उसे मारना चाहा तो उसके वजीर ने रोक लिया और फरहाद को सलाह दी कि यदि वह अपनी मेहनत से पहाड़ियों के आर-पार सड़क बना देगा तो शीरीं से उसका निकाह कर दिया जाएगा। क्यूंकि वजीर जानता था कि फरहाद यह नहीं कर पाएगा। लेकिन दीवाने फरहाद ने यह शर्त स्वीकार कर ली।

अपनी मोहब्बत की खातिर दिन-रात काम करके फरहाद सड़क बनाने लगा रहा। उसकी बेइंतहा मोहब्बत ने आखिर शीरीं का दिल जीत लिया। इस बीच सड़क पूरी होते देख बादशाह घबराया। उसने फरहाद के पास यह झूठी खबर पहुंचा दी कि शीरी ने आत्महत्या कर ली। यह सुनते ही फरहाद दीवारों से सिर पटक-पटककर चिल्लाने लगा और अपने सिर पर कुल्हाड़ी मारकर दम तोड़ दिया। जब शीरीं को फरहाद की मौत की खबर सुनाई गई तो वह दौड़कर उस जगह पहुंची जहाँ फरहाद ने दम तोड़ा था। और जब उसे बादशाह के छल का पता चला तो उसने महल में लौटने से इंकार कर दिया और फरहाद के कदमों पर वो भी दम तोड़ दिया। इन दो अमर प्रेमियों को एक साथ दफन किया गया। ये भले ही दुनिया से कूच कर गए हों, लेकिन इनकी मोहब्बत एक मिसाल बन गयी और आज भी जिंदा है और कयामत तक जिंदा रहेगी।

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