Gol Gumbaz / गोल गुम्बद कर्नाटक राज्य के बीजापुर शहर में स्थित आदिलशाही वंश के सातवें शासक मुहम्मद आदिलशाह का मक़बरा है। यह विश्व का दूसरा सबसे विशाल गुम्बद है। इस विशाल गुम्बद के बनने में बीस वर्ष का समय लगा था। इस इमारत का निर्माण धावुल के प्रसिद्ध वास्तुकार याकूत ने किया था।
गोल गुम्बद का इतिहास – Gol Gumbaz History in Hindi
गोल गुम्बद दुनिया का दुसरा सबसे बड़ा मकबरा है और बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह का मकबरा भी है। आदिल शाह, 1460 से 1696 के बीच शाही राजवंश का शासक था। पर्यटकों को गोल गुम्बद का दौरा अवश्य करना चाहिए क्योकि इसका एक ऐतिहासिक महत्व है।
इस गुम्बद का फर्श का क्षेत्रफल 18337 वर्गफुट है जो रोम के पेंथियन सेंट पीटर-गिर्जे के गुम्बद से कुछ ही छोटा है। इसकी ऊँचाई फर्श से 175 फुट है और इसकी छत में लगभग 130 फुट वर्ग स्थान घिरा हुआ है। इस गुम्बद का चाप आश्चर्यजनक रीति से विशाल है। दीवारों पर इसके धक्के की शक्ति को कम करने के लिए गुम्बद में भारी निलंबित संरचनाएं बनी हैं, जिससे गुम्बद का भार भीतर की ओर रहे। इस गोलगुम्बद का व्यास 44 मीटर है, इस गुम्बद के अंदरूनी हिस्से में कोई सहारा नहीं है जो कि अभी तक रहस्य बना हुआ है
इसमें एक फुसफुसा गैलरी भी है। इस गैलरी में आवाज 7 बार गूजॅती है और एक तरफ से दूसरी तरफ तक स्पष्ट रूप से सुनाई देती है। यह माना जाता है कि राजा आदिल शाह और उनकी बेगम इसी गैलरी के रास्ते एक- दूसरे से बातें किया करते थे।
आदमी के पैरों तक की आहट ऐसी सुनाई पड़ती है, मानो बहुत से लोग एक साथ चल रहे हैं। यदि आप कहीं जोर से हंस पड़े तो ऐसा सुनाई पड़ेगा मानो कोई बड़े जोर-जोर से शोर मचा रहा है, यहां तक कि कागज के टुकड़े को फाड़ने का शब्द भी बिजली की कड़क-सा सुनाई पड़ता है। इसलिए इस गुंबद के भीतर थोड़ी दूर पर खड़े होकर बातें करने में भी बड़ी कठिनाई पड़ती है, क्योंकि गूंज के कारण ध्वनि साफ-साफ सुनाई नहीं देती। गायक इसी गैलरी में बैठकर गाते थे ताकि उनकी आवाज और संगीत प्रत्येक कोने तक पहुंच सके।
वास्तुकला – Information About Gol Gumbaz in Hindi
इस गुम्बद का वास्तुशिल्प, सुविधानुसार 8 वीं मंजिल की 4 मीनारों वाली और प्रवेश घुमावदार सीढि़यों द्धारा बनाया गया था। इसके बड़ी दीवारों वाले बगीचें में 51 मीटर की ऊॅचाई और 1700 वर्ग मीटर का क्षेत्र कब्र बनाने के लिए निर्मित करवाया गया था।
इस इमारत की बनावट को देखकर अचरज होता है। समाधि के भीतर की चारों तरफ 11 फुट चौड़े बरामदे हैं। इन बरामदों की छतें भी 109 फुट 6 इंच की ऊंचाई पर मेहराबों के सहारे पाटी गई। मीनारों के ऊपर चढ़ाने के लिए उनमें जीने हैं। भवन के बीचों-बीच एक ऊंचे चबूतरे पर नकली समाधियां बनी हैं। असली कब्रें तो तहखाने के भीतर 205 वर्गफुट के विस्तार में हैं।
यहाँ स्थित उद्यान काफ़ी ख़ूबसूरत है। इस गुम्बद के ऊपर से बीजापुर शहर का पूरा दृश्य दिखाई पड़ता है। गोल गुम्बद सेंट पीटर्स के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गुम्बद वाला स्मारक है। बहुत प्राचीन होने से इस गुंबद के धरातल में स्थान-स्थान पर टूट-फुट हो जाने के कारण ध्वनि-रोष होने लगा था, इसके बाद भारत सरकार ने लाखों रुपया खर्च कर इस स्मारक की मरम्मत करा दी है।
कैसे पहुंचे
बीजापुर बैंगलोर, बेलगाम व गोवा के रास्ते पहुंचा जा सकता है। बेलगाम इन तीनों में सबसे नजदीक है। यहीं हवाई अड्डा भी है और यहां से बीजापुर 205 किमी है। रहने को मौर्या आदिल शाही, सनमन, सम्राट व मधुवन इंटरनेशनल होटलों को देखा जा सकता है।
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We shuld be thankful to ASI for maintenance and upkeepment of this world class monument.