प्रसिद्ध संगीतकार ए. आर. रहमान की जीवनी | A. R. Rahman Biography in Hindi

A. R. Rahman / ए. आर. रहमान एक प्रसिद्ध संगीतकार और गायक हैं। इनका पूरा नाम ‘अल्ला रक्खा रहमान’ है। सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फ़िल्मों में भी संगीत दिया है जिसमे विदेशी फिल्मे भी शामिल हैं। ए.आर रहमान दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित ऑस्कर अवॉर्ड जीत चुके हैं और भारतीय संगीत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिला चुके हैं।

प्रसिद्ध संगीतकार ए. आर. रहमान की जीवनी | A. R. Rahman Biography in Hindi

ए. आर. रहमान का संक्षिप्त परिचय – Information About A. R. Rahman in Hindi

नाम अल्लाह रखा रहमान (Allahrakka Rahman)
जन्म दिनांक 6 जनवरी 1966, चेन्नई
पिता का नाम आर. के. शेखर
माता का नाम कस्तूरी
पत्नी सायरा बानू
राष्ट्रीयता भारतीय
कार्य क्षेत्र संगीतकार, गीतकार, गायक
उपलब्धि 14 फ़िल्मफेयर पुरस्कार, 4 राष्ट्रीय पुरस्कार, 2 ऑस्कर पुरस्कार, 2 ग्रैमी पुरस्कार

ए.आर रहमान का संगीत धीमे ज़हर की तरह है, जो धीरे- धीरे असर करता है. और फिर परवान चढ़ जाता है। भारतीय संगीत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिला चुके हैं। सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। रहमान के फिल्मो में अपने काम करने के अंदाज़ और स्टेज ने उन्हें एक नया उपनाम “मद्रास का शेर” दिया। उनके तमिल फैंस उन्हें ‘ईसाई पुयल’ के नाम से बुलाते है।

प्रारंभिक जीवन – A. R. Rahman Biography

रहमान का जन्म 6 जनवरी 1966 को मद्रास, (चेन्नई) भारत में हुआ था। इनके पिता का नाम आर. के. शेखर और माता का नाम कस्तूरी है। इनका बचपन का नाम दिलीप कुमार था जो बाद में इस्लाम धर्म अपनाने के कारण ए. आर. रहमान हो गया।

8 वर्ष की आयु में ही उनके पिता आर. के. शेखर का देहांत हो गया और उनके घर में आर्थिक तंगी आ गई। किसी तरह संगीत के वाद्य यंत्र किराए पे देकर गुजर-बसर किया। हालात इतने बिगड़ गए कि उनके परिवार को इस्लाम अपनाना पड़ा। 80 के दशक में रहमान ने इस्लाम धर्म ग्रहण किया।

हालाँकि कहा जाता है कि 1989 में रहमान की छोटी बहन काफी बीमार पड़ गई थी। सभी डॉक्टरों ने कह दिया कि उसके बचने की कोई उम्मीद नहीं है। रहमान ने अपनी छोटी बहन के लिए मस्जिदों में दुआयें मांगी जल्द हीं उनकी दुआ रंग लाई और उनकी बहन चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गई। इस चमत्कार को देख रहमान ने इस्लाम कबूल कर लिया।

वही दूसरी तरफ रहमान की बायोग्राफी ‘द स्पिरिट ऑफ म्यूजिक’ में यह बताया गया है कि कैसे एक ज्योतिषी के कहने पर उन्होंने नाम बदला। रहमान ने एक इंटरव्यू में बताया कि यह भी सच है कि उन्हें अपनी नाम अच्छा नहीं लगता था। एक दिन जब मेरी मां मेरी बहन की कुंडली दिखाने एक ज्योतिषी के पास गई तो उस हिंदू ज्योतिषी ने ही मुझे नाम बदलने की सलाह दी बस फिर क्या था मेरा नाम दिलीप कुमार से ए आर रहमान पड़ गया। ए आर इसलिए क्योंकि मेरी मां चाहती थी कि उसमें अल्ला रख्खा भी जोड़ा जाए।

शिक्षा

रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिली है। उनके पिता आरके शेखर मलयाली फ़िल्मों में संगीत देते थे। रहमान ने संगीत की शिक्षा मास्टर धनराज से प्राप्त की। मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुट्स के लिए की-बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते थे। वे इलियाराजा के बैंड के लिए काम करते थे।

रहमान एक बेहतर कीबोर्ड प्लेयर थे। साथ ही वे कई मौको पर बैंड का बंदोबस्त भी करा देते थे, जैसा की उन्होंने अपने बचपन के मित्र सिवामणि, जॉन अन्थोनी, सुरेश पेटर्स, जोजो और राजा के साथ मिलकर किया था और बाद में उन्होंने चेन्नई पर आधारीत रॉक ग्रुप नेमसिस एवेन्यु की भी स्थापना की थी। वे कीबोर्ड, पियानो, सिंथेसाइज़र, हारमोनियम और गिटार के महान ज्ञाता कहलाते है। विशेष तौर पर तो उन्होंने सिंथेसाइज़र में महारत हासिल कर रखी थी। क्योकि उनकी अनुसार सिंथेसाइज़र में संगीत और तंत्रज्ञान का अद्भुत संगम होता है।

11 साल की अल्पायु में ही वे अपने पिता के करीबी दोस्त एम.के. अर्जुन के साथ मलयालम ऑर्केस्ट्रा बजाया करते थे। बाद में उन्होंने कुछ दुसरे संगीतकारों के साथ काम करना शुरू किया, जैसे की एम.एस.विस्वनाथन, ल्लैयाराजा, रमेश नायडू और राज-कोटि, इसके बाद उन्होंने जाकिर हुसैन, कुन्नाकुदी वैद्यनाथन और एल.शंकर के साथ विश्व स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन भी किया। उनके हुनर को देखते हुए उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज, लन्दन के संगीत विभाग से शिष्यवृत्ति भी मिलती थी। चेन्नई में पढते हुए, रहमान अपनी स्कूल से ही वेस्टर्न क्लासिकल संगीत में ग्रेजुएट हुए।

शादी

ए आर रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। उनके तीन बच्चे हैं- खदीजा, रहीम और अमन। वे दक्षिण भारतीय अभिनेता राशिन रहमान के रिश्तेदार भी है। रहमान संगीतकार जी वी प्रकाश कुमार के चाचा हैं।

करियर – A. R. Rahman Life History

ए. आर. रहमान ने अपने शुरुआती कैरियर में कुछ टीवी विज्ञापन एवं धारावाहिकों में अपने संगीत को जिंगल्स के रूप में दिया। 1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। उन्हें सबसे बड़ी कामयाबी 1992 में तब मिली जब सुप्रसिद्ध निर्देशक मणिरत्नम ने उन्हें अपनी फ़िल्म ‘रोज़ा’ का संगीत देने की पेशकश की। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ के नहीं देखा, इसी फ़िल्म के लिए उन्हें उस साल ‘राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार’ से सम्मानित भी किया गया।

रहमान ने अब तक 100 से भी अधिक गानों में अपना संगीत दिया है जो कि कई भाषाओ में है। रहमान के गानों की 200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की 50 वीं वर्षगाँठ पर 1997 में “वंदे मातरम्‌” एलबम बनाया, जो जबर्दस्त सफल रहा।

भारत बाला के निर्देशन में बनी एलबम “जन गण मन”, जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रभुदेवा और शोभना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का ट्रुप बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।

स्लमडॉग मिलियनेयर को छोड़कर रहमान ने हॉलीवुड फिल्मो में भी काफी पहचान बनाई है जिसमे 127 ऑवर और लॉर्ड ऑफ़ वॉर शामिल है। अंतरराष्ट्रिय सफलता के बावजूद रहमान ने दक्षिण भारतीय फिल्मो में गाना कभी नही छोड़ा। एयरटेल की प्रसिद्ध टोन को भी, संगीतकार रहमान ने ही गाया है, जो दुनिया की सबसे ज्यादा डाउनलोड की जाने वाली टोन बनी, जिसे 150 मिलियन से भी ज्यादा लोगो ने डाउनलोड किया था।

2009 में आन का लगान फिल्म का गाना Amazon.Com के दुनिया के प्रसिद्ध 100 गानों की लिस्ट में 45 वे स्थान पर था। 2005 में, फिल्म आलोचनकर्ता रिचर्ड कोर्लिस ने रहमान के शुरुवाती गाने को सभी समय के 10 बेस्ट गानों की लिस्ट में शामिल किया था।

सम्मान और पुरस्कार

  • टाइम्स पत्रिका ने उन्हें ‘मोजार्ट ऑफ मद्रास’ की उपाधि दी।
  • संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए 1995 में ‘मॉरीशस नेशनल अवॉर्ड्स’, ‘मलेशियन अवॉर्ड्स’।
  • चार बार संगीत के लिए ‘राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता’।
  • फर्स्ट वेस्ट एंड प्रोडक्शन के लिए ‘लारेंस ऑलीवर अवॉर्ड्स’।
  • 2000 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित।
  • विश्व संगीत में योगदान के लिए 2006 में ‘स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी’ से सम्मानित।
  • मध्यप्रदेश सरकार का ‘लता मंगेशकर अवॉर्ड्स’।
  • छः बार ‘तमिलनाडु स्टेट फ़िल्म अवॉर्ड’ विजेता।
  • 14 बार ‘फ़िल्मफेयर’ विजेता।
  • 13 बार ‘फ़िल्म फेयर साउथ अवॉर्ड’ विजेता।
  • रहमान ‘गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड’ से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय हैं।
  • ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फ़िल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन ऑस्कर नामांकन हासिल हुए हैं। इसी फ़िल्म के गीत जय हो.. के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फ़िल्मी गीत की श्रेणी में दो ‘ग्रैमी पुरस्कार’ मिले।
  • लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड 2007 में रहमान को संगीत के क्षेत्र में सबसे प्रसिद्ध भारतीय का अवार्ड दिया गया।
  • फ्रेंच टी.व्ही. ने अपनी प्रसिद्ध फिल्म बॉम्बे के लिये रहमान का ही थीम गाना लिया था। यह भी उनके लिये अपनेआप में ही विशेष सम्मान है।

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