Gandhi Hall in Hindi / गाँधी हॉल, मध्य प्रदेश के इन्दौर शहर स्थित ऐतिहासिक इमारतों में से एक है। इसे टाउन हॉल के नाम से भी जाना जाता हैं। एक समय में यह इन्दौर की सबसे सुन्दर इमारत थी। सन 1904 में स्थापित किंग एडवर्ड हॉल के नाम पर आधारित इसका नाम सन् 1948 में महात्मा गाँधी हॉल रख दिया गया। यह इन्दौर शहर के कई पर्यटन स्थलों में से एक है।
गाँधी हॉल इंदौर का इतिहास और जानकारी – Gandhi Hall History in Hindi
गाँधी हॉल आजादी के बाद इंदौर की एकमात्र इमारत थी, जो समय बताती थी। इसे घंटाघर भी कहा जाता है। इंदौर में रहने वालो के लिए ही नहीं, पर्यटकों और इतिहास को जनने वालों के लिए भी यह एक जाना पहचाना नाम है।
इस हॉल का निर्माण 1904 में करवाया गया था और इसका नाम किंग एडवर्ड हॉल रखा गया था। भारत की आजादी के बाद, इस भव्य हॉल का नाम 1948 में बदलकर महात्मा गांधी हॉल कर दिया गया।
इस हॉल का निर्माण भारतीय – गोथिक शैली में किया गया है जिसे बंबई के चार्ल्स फ्रेडरिक स्टीवंस ने डिजायन किया था। इसकी निर्माण की लागत 2.50 लाख रुपए थी और इसका उदघाटन नवंबर, 1905 में प्रिंस ऑफ़ वेल्स (जार्ज पंचम) द्वारा किया गया था। इस हॉल की वास्तुकला आश्चर्यचकित कर देने वाली है।
इसके बिच हॉल की क्षमता 2000 लोगों की है जिसके कारण यहाँ वर्ष भर पुस्तक एवं चित्रों की प्रदर्शनी लगती रहती है। यहाँ पर पुस्तकालय, उद्यान एवं मन्दिर भी है।
चारों तरफ मुंह वाला यह टॉवर हॉल के बीचों – बीच में स्थित है और एक गुंबद से घिरा है। खुली छत, सजवटी पट्टियां, ऊंची छतें, सुसज्जित कमरे, मीनारें आदि इस हॉल को भव्यता प्रदान करते है।
इसके भीतर की छत प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी है, इसका फर्श काले और सफे द संगमरमर से बना है, इसमें बीच की मीनार चोकोर आकार में बनी है।
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