विज्ञानी जी.एन. रामचन्द्रन की जीवनी | G. N. Ramachandran Biography in Hindi

G. N. Ramachandran / जी.एन. रामचन्द्रन एक भारतीय भौतिक विज्ञानी थे। रामचन्द्रन ने फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलाॅजी विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। उनका दर्शनशास्त्र, भारतीय एवं पश्चिमी संगीत में गहरी रूचि थी। एक महान वैज्ञानिक होने के साथ-साथ वह एक बेहतरीन वक्ता और कवी भी थे।

विज्ञानी जी.एन. रामचन्द्रन की जीवनी | G. N. Ramachandran Biography in Hindi

जी.एन. रामचन्द्रन का प्रारंभिक जीवन – G. N. Ramachandran Biography in Hindi

विज्ञानी जी.एन. रामचन्द्रन का जन्म 8 अक्टूबर, 1922 को केरला राज्य के इरेकुलम में हुवा था। इनका पूरा नाम गोपालसमुन्द्रम नारायणा रामचन्द्रन (Gopalasamudram Narayanan Ramachandran) हैं। इनके पिता का नाम जी.आर. नारायण अय्यर और माता लक्ष्मी अमाल थी। यह एक तमिल परिवार था। रामचन्द्रन के पिता एक कॉलेज में गणित के प्रोफेसर थे, इसलिए इन्हे भी बचपन से गणित में बहुत रूचि थी।

शिक्षा –

रामचन्द्रन ने इंटरमीडिएट कम्पलीट करने के बाद फिजिक्स होनोर्स में सेंट् जोसेफ कॉलेज, तिरूचिराप्पल्ली से बी.एससी पूरी की। इनके पिता चाहते थे की वे सिविल सविर्स में जायें पर वे अपने पुत्र को इसके लिए राजी नहीं कर सके। इसके बाद इन्होने इंडियन इंस्ट्यिूट आॅंफ साइंस, बंगलौर से इलैक्ट्रिल इंजीनियरिंग मास्टर डिग्री करना चाहा पर फिजिक्स की और ज्यादा झुकाव होने के कारण बाद में इन्होने फिजिक्स में स्थान्तरित करा लिया। उस समय सी.वी. रमण इंस्ट्टीयूट के डायरेक्टर और फिजिक्स डिपार्टमेंट के हेड थे। उन्ही की आग्रह पर इन्हे फिज़िक्स मिला। रामचन्द्रन सी.वी. रमण से बहुत प्रभावित थे। अन्य वैज्ञानिक जिन्होने उनके जीवन को प्रभावित किया वे थे विलियम लाॅरेंस ब्रेग और लिनस कार्ल पोलिंग।

हालाँकि उस समय इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ साइंस डिग्री देने के लिए मान्य नहीं था। वहां के विद्यार्थियों को डिग्री के लिए अपनी थिसिस देश के दूसरे इंस्टिट्यूशन में भेजनी पड़ती थी। मास्टर डिग्री के प्राप्त करने के बाद, डाक्टरेल के लिए अपना रिसर्च वर्क प्रोफेसर रमन केे देखरेख में जारी रखा। रामचन्द्रन ने अपनी डाक्टर आॅफ साइंस (डी.एस.सी) डिग्री 1947 में प्राप्त की।

उस समय केम्ब्रीज के केवनडिस लेबोरेटरी में सर विलियम लाॅरेंस ब्रेग डायरेक्टर पद पर थे। रामचन्द्रन ने उनके साथ कार्य करने की इच्छा से दुबारा डाक्टेयल डिग्री प्राप्त करने का निर्णय लिया जिससे कि व उनके सन्दिग्ध में शोध कार्य कर सकें। हालांकि उन्हें सर लाॅरेंस के अंर्तगत सीधे कार्य करने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। उनको डाक्टर डब्लू. ए. ऊस्टर जो की प्रसिद्ध विज्ञानी थे के साथ काम करने का मौका मिला।

करियर –

पिएचडी कम्पलीट करने के बाद फिर इन्होने इंडियन इंस्ट्यूट आॅफ साइंस, बंगलौर का रुख किया जहा पर इन्होने फिजिक्स डिपार्टमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रहे। बाद में इन्हे मद्रास यूनिवर्सिटी में न्योता मिला जिसमे वे फिजिक्स के प्रोफेसर और एच.ओ.डी. रहे।

रामचन्द्रन ने 1970 तक वहां कार्य किया। उन्होंने अपने पुराने इंडियन इंस्टट्यूट आॅफ साइंस में दुबारा ज्वाईन कर लिया। उन्हें वहां नया मोलिकुलस बायोफिजिक्स डिपार्टमेट शुरू करने की जिम्मेदारी दी गई। डिपार्टमेंट ने 1971 कार्य शुरू किया और जल्दी ही यह स्ट्रेरचरल बायोलाॅजी बड़ा केन्द्र बन गया।

उन्होंने मालिकुलर बायोफिज़िक्स के दो केन्द्रों की शुरूआत की, पहला मद्रास विश्वविद्यालय, चैनई और दूसरा इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ साइंस, बैंगलौर। दोनों ही केन्द्र अंतराष्ट्रीय स्तर पर बायोफिजिक्स के शोध केन्द्र के लिए विख्यात हुए। उन्होंने बड़ी संख्या के नवयुवकों को विज्ञान की तरफ आर्कषिक किया, जिन्होंने आगे चल कर बायोफिजिक्स के विभिन्न क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दिया।

रामचन्द्रन ने फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलाॅजी विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया। उन्होंने 250 पब्लिकेशनस् में अपने लेख दिए और कुछ अंतराष्ट्रीय जनरल में अपने रिव्यू भी दिए। रामचन्द्रन को अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड प्राप्त हुए। वे 1977 में रायल सोसाईटी, लंदन के फैलो चुने गये। भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी ने अपने स्वणजयन्ती समारोह पांच विशेष प्रोफेसरशिप अवार्ड दिये जिसमें कि पहला अलबर्ट आइंटिन प्रेफेसरशिप अवार्ड रामचन्द्रन को दिया गया। इस महान विज्ञानी का 7 अप्रैल 2001 को चेन्नई में निधन हो गया।


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