अभिनेता फरहान अख्तर की जीवनी | Farhan Akhtar Biography in Hindi

Farhan Akhtar / फरहान अख्तर हिंदी फिल्मो के अभिनेता, निर्माता, निर्देशक, लेखक, पार्श्व गायक हैं। साथ ही इन्होने कई टीवी शो होस्ट भी किया हैं। वे ऐसे अभिनेता हैं जो बहुत कम समय बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।

अभिनेता फरहान अख्तर की जीवनी | Farhan Akhtar Biography in Hindi

फरहान अख्तर का परिचय – Farhan Akhtar Biography in Hindi

फरहान का जन्म 9 जनवरी 1974 को मुंबई में जावेद अख्तर के घर में हुआ था। जावेद अख्तर बॉलीवुड के मशहूर लेखक, कवि हैं। इनकी माँ का नाम हनी ईरानी है, जोकि एक बॉलीवुड अभिनेत्री है। ऐसे तो फरहान अख्तर का पूरा परिवार फिल्मो से कही न कही जुड़ा हैं। फराहन अख्तर प्रसिद्ध उर्दू कवि जान-निसार के पोते हैं। अख्तर की सौतेली माँ शबाना आजमी भी बॉलीवुड का एक- मानी अभिनेत्रीं हैं। इनकी एक बहन है-जोया अख्तर जोकि एक निर्देशक और लेखक हैं। फराहन अख्तर निर्देशक-कोरिओग्राफर फराह खान के मौसेरे भाई है।

इन्होने अपनी शुरुवाती शिक्षा मानेकजी कूपर स्कूल मुंबई से पूरी की। इसके बाद HR College से डिग्री हासिल की। यूँ कहे तो फरहान बॉलीवुड के मल्टी टैलेंटेड कलाकार हैं। हर चीज़ में उम्दा। बहुत ही कम समय में फराहन ने अपनी कड़ी मेहनत से खुद को फ़िल्मी दुनिया में स्थापित किया है।

इनका विवाह एक हेयर स्टाइलिस्ट अधुना भावनी अख्तर के साथ हुआ, जो अपने भाई के साथ बी ब्लंट सैलून चलाती हैं। उनकी दो बेटियां-अकीरा और शाक्य हैं। फरहान और रितिक रोशन बचपन से ही अच्छे दोस्त हैं।

फ़िल्मी करियर

फरहान अख्तर ने अपना करियर 17 साल की उम्र में लमहे (1991) जैसी फ़िल्मों के लिए सिनेमाटोग्राफर-निर्देशक मनमोहन सिंह के साथ प्रशिक्षु के रूप में शुरू किया था। 1997 में फ़िल्म हिमालय पुत्र (1997) में निर्देशक पंकज पराशर के सहायक के तौर पर काम करने के बाद तीन साल के लिए एक टेलीविजन प्रोडक्शन हाउस को सेवा देनेवाले फरहान विभिन्न तरह के कार्य कर रहे हैं।

फिल्मीं परिवर से होने के बावजूद फरहान ने कभी भी बॉलीवुड में स्थापित होने के लिए अपने पिता या माँ का सहारा नहीं लिया। अख्तर ने अपने निर्देशन का डेब्यू फिल्म दिल चाहता (2001) से किया। यह फिल्म को आलोचकों ने काफी सराहा और अवार्ड्स नॉमिनेशन भी मिले। फराह की पहली निर्देशित फिल्म का लेखन उनके पिता जावेद अख्तर ने किया था।

हालाँकि अख्तर कहना हैं की उन्होंने फिल्म दिल चाहता है का निर्देशन तब किया था जब उनकी माँ ने उन्हें घर से निकलने की धमकी दी थी। फराह अपने माँ को अपना सबसे बड़ा आलोचक मानते हैं।

अख्तर फिर अपनी अगली परियोजना, ऋतिक रोशन और प्रीति जिंटा अभिनीत फ़िल्म लक्ष्य (2004), के निर्माण में जुटे, जो उन लक्ष्यहीन नौजवानों के बारे में थी, जो आखिर में अपने लिए एक लक्ष्य तय करने में कामयाब होते हैं। हालांकि फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी हासिल नहीं की, पर बहुत सारे समीक्षकों ने प्रशंसा की। फ़िल्म की स्क्रिप्ट उनके पिता जावेद अख्तर ने लिखी थी। इस बीच, उन्होंने गुरिंदर चड्ढा की 2004 की हॉलीवुड फ़िल्म ब्राइड एंड प्रिज्युडिस के लिए भी गीत लिखे।

इसके बाद अख्तर ने 1986 में आई अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म डॉन का रीमेक बनाया, जिसमे शाहरुख़ खान भूमिका निभायी थी। यह फुलम उस साल की सफल फिल्मों में से एक फिल्म थीं, इसी फिल्म से फरहान अख्तर को बॉलीवुड में पहचान मिली।

अब तक बतौर निर्देशक फरहान अख्तर बॉलीवुड में अपनी पैठ जमा चुके थे।  इसके बाद उन्होंने एक्टिंग में किस्मत आजमाई। एक्सल एंटरटेनमेंट निर्मित फिल्म रॉक ऑन से अख्तर ने अपना बॉलीवुड डेब्यू किया। इस फिल्म में अख्तर ने गायकी का भी भरपूर उपयोग किया।

आनंद सुरापुर की फ़िल्म, द फकीर ऑफ वेनिस (2007) और रॉक ऑन!! (2008) से उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत की। वे अपनी बहिन के निर्देशित लक बाइ चांस फिल्म में भी नजर आये। इसका बाद इन्होने कई हिट फिल्मे की, जिसमे भाग मिल्खा भाग, दिल धड़कने दो, आदि.

आमिर खान को रंग दे बसंती मिलने से पहले फराहन को ऑफर हुई थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया था, जिसका अफ़सोस उन्हें आज भी है।

वह डांस रियलिटी शो नच बलिये (2005) के पहले सत्र में एक जज के रूप में टेलीविजन के कुछ शो और फेमिना मिस इंडिया (2002 में) में जज के रूप में दिखे। वे NDTV इमेजिन पर अपने शो ओए!, इट इज फ्राइडे के लिए टीवी शो मेजबान के भी रूप में दिखे।

प्रसिद्ध फिल्में

दिल चाहता है, रॉक ऑन जिन्दगीं ना मिलेगी दोबारा, दिल धड़कने दो, मिल्खा सिंह, कार्तिक कालिंग कार्तिक, डॉन, शादी के साइड इफेक्ट्स, तलाश, फुकरे, लक बाई चांस, रॉक ऑन 2।

निजी जीवन

फरहान अख्तर निजी जिंदगी में बहुत शांत स्वभाव के हैं। इनकी जिंदगी से जुड़े कई किस्से हैं। फिल्म “जिंदगी मिलेगी ना दुबारा” में फराहन ने काफी एडवेंचर किये। लेकिन उन्हें अपनी असल जिंदगी में कॉकरोच से बेहद डर लगता है। फरहान अख्तर फिल्म शोले को 50 बार देख चुके हैं, लेकिन उन्हें यह दीवार से बेहतर नहीं लगी। फराहन खान की जिंदगी का सबसे खराब वक्त 1992-93 में था, जब उन्हें दंगों के दौरान मुस्लिम होने का खामियाजा भुगतना पड़ा।


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