इस्लाम धर्म के बारे में रोचक बातें | Facts About Islam in Hindi

Facts About Islam Dharm / इस्लाम एकेश्वरवादी धर्म है, जो अल्लाह की तरफ से अंतिम रसूल और नबी, मुहम्मद द्वारा इंसानों तक पहुंचाई गई अंतिम ईश्वरीय किताब कुरान की शिक्षा पर स्थापित है। इस्लाम का अर्थ है शांति। लेकिन इन दिनों लोगो के बिच कुछ गलत धारणायें हो गयी हैं। इस्लाम का मूल अर्थ है मानवता से प्यार करना। यदि व्यक्ति एक अच्छा इंसान नहीं हैं तो वह एक अच्छा मुसलमान नहीं बन सकता है। जो व्यक्ति मुस्लिम समुदाय से नहीं है वह भी कह सकता है कि मैं मुसलमान हूँ क्यों कि मुसलमान होने का मतलब है ऐसा व्यक्ति जो शांति से रहता है और अल्लाह को समर्पित है।

इस्लाम धर्म के बारे में रोचक बातें | Facts About Islam in Hindi

इस्लाम एक ऐसा धर्म है जिसे लोगों ने अच्छी तरीका से समझ नहीं पाते है, क्यों कि उन्हें इसकी मूल बातें पता नहीं हैं। इस्लाम अन्य धर्मों का आदर करता है और अन्य धर्मों के लोगों से भाईचारा रखना सिखाता है। इस्लाम मानता है कि धर्म को लेकर किसी पर कोई दबाव नहीं है। आइये जाने इस्लाम से जुडी कुछ रोचक बातें..

इस्लाम धर्म से जुड़े रोचक तथ्य – Facts About Islam Dharm in Hindi (Islamic Knowledge)

1). इस्लाम दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ धर्म है, एक अनुमान के मुताबिक 2050 तक यह ईसाई धर्म के बराबर हो जाएगा।

2). इंडोनेशिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश हैं। वहां 120 मिलियन मुस्लिम हैं। इंडोनेशिया के बाद पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश का नंबर आता है।

3). मुस्लिम का असली मतलब है ‘वह सबकुछ और हर कोई जो खुद को अल्लाह की इच्छा के लिए समर्पित है।’ इसमें इंसान से लेकर पेड़-पौधे और जानवर भी शामिल हैं।

4). इस्लाम का मतलब है ‘ईश्वर को प्रस्तुत और समर्पित’ हालाँकि ईश्वर को अरबी भाषा में ‘अल्लाह’ कहा जाता है।

5). अल्लाह के 99 नाम है और हर नाम का अलग मतलब है। जैसे ‘अल-रहमान’ का मतलब है ‘सबसे दयालु’, अल-हफी का मतलब है ‘सबका रखवाला’ आदि।

6). हजरत मोहम्मद साहब पर जो अल्लाह की पवित्र किताब उतारी गई है, वह है- कुरआन। अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। उस संदेश को ही कुरआन में संग्रहित किया गया हैं। कुरआन को नाजिल हुए लगभग 14 सौ साल हो गए लेकिन इस संदेश में जरा भी रद्दोबदल नहीं है।

7). सभी अरबी मुस्लिम नहीं हैं और सभी मुस्लिम अरबी नहीं हैं। अरबी लोग ईसाई, बौद्ध, यहूदी, एथेस्ट भी हैं। फिर भी इन्डोनेशिया में मुस्लिम आबादी ज्यादा है।

8). मुस्लिम धर्म के लोग मोहम्मद और मक्का-मदीना की पूजा नहीं करते। मोहम्मद साहब इस्लाम के अंतिम धर्मगुरु (नबी) हुये। उनका आदर सबके मन में हैं लेकिन उनकी पूजा नहीं की जाती है। यदि अल्लाह के अलावा कोई किसी और की पूजा करता है तो उसे पाप समान समझा जाता है जिसे शिर्क कहा जाता है। मक्का और मोहम्मद दोनों को इस्लाम में बहुत माना जाता है लेकिन उनकी पूजा नहीं की जाती है।

9). अल्ला-हु-अकबर डरने का शब्द या कोई स्लोगन नहीं है अल्ला-हु-अकबर का मतलब है ‘अल्लाह सबसे महान है’। मुस्लिम लोग अपने दुख-दर्द और चिंताएँ मिटाने के लिए ऐसा कहते हैं। जो व्यक्ति मुसलमान नहीं है वह इसका अर्थ लगा सकता है कि ‘ईश्वर महान है’।

10). मोहम्मद पैगंबर साहब के मकबरे के पास ही यीशु के लिए एक खास जगह है। ऐसा माना जाता है कि एक दिन यीशु आएंगे और उन्हें यहाँ दफनाया जाएगा।

11). सभी मुस्लिम महिलाएं हिजाब नहीं पहनती बुरखा या हिजाब का मतलब सिर्फ अपने आप को ढ़कना है। मुस्लिम महिला के लिए बुरखा पहनना अनिवार्य नहीं है, वे अन्य ढीले और मॉडर्न परिधान भी पहन सकती हैं। बस आपके शरीर का कोई हिस्सा दिखना नहीं चाहिए। मतलब की अपने-आप को परदे में रखना।

12). इस्लाम में शराब और स्मोकिंग क्यों बंद है इसका कारण है कि एल्कोहल और शराब एक धीमा जहर है और इस्लाम में आत्महत्या वर्जित है। जो भी आपको मार सकती है इस्लाम उसकी आज्ञा नहीं देता है। इसके साथ इन चीजों के सेवन के बाद व्यक्ति बुरे काम भी करता है। साथ नशे में रहकर लोग गलत काम कर देते हैं। इसलिए इस्लाम धर्म ये सब हराम हैं।

13). क्या आप जानते हैं मैरी या मरियम का नाम जितना बाईबल में लिया गया है उससे कहीं ज्यादा कुरान में लिया गया है।

14). भले अब इतिहास चेंज हो गया हो पर ये सच हैं की द्वितीय विश्व युद्ध में बहुत से मुसलमानों ने नाजियों से यहूदियों को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया था।

15). इस्लाम में बच्चे के भ्रूण को मारने पर प्रतिबंध (हराम) है। यदि उससे माँ को खतरा है तो ऐसा किया जा सकता है।

16). इस्लाम धर्म के अनुसार मुस्लिम महिलाएं अकेली यात्रा नहीं कर सकती हैं। यह केवल उनकी रक्षा के लिए है, उन्हें अपने पिता, भाई या पति के साथ ट्रैवल करना चाहिए। फिर भी कुछ महिलाएं इसका पालन नहीं करती हैं और अकेले ही यात्रा करती हैं। फिर भी कई मुस्लिम देशों में महिलाओं को अकेले यात्रा नहीं करने के बारे में कानून बना हुआ है।

17). इस्लाम धर्म की मान्याताओं में बेटियों को वरदान माना जाता है।

18). अधिकतर मुस्लिम अरब लोग नहीं होता। दुनिया के केवल 15 फीसदी मुस्लिम ही अरब हैं।

19). हिंसा इस्लाम के खिलाफ है। इस्लाम का मतलब है शांति और लोगों को द्रढ़ता से इसका पालन करना चाहिए। इस्लाम मानवता पर आधारित है और मोहम्मद साहब ने तो उन लोगों को भी प्यार किया जिन्होने उन पर कचरा फेंका था। जो व्यक्ति अपने आपको मुसलमान कहता है और हिंसा फैलाता है इस्लाम ऐसे व्यक्ति को स्वीकार नहीं करता है।

20). हालाँकि कुछ समय से इस्लाम के अर्थ को गलत साबित किया जा रहा है हिंसा फैलाना वाला धर्म कहा जा रहा हैं। लेकिन सत्य तो यह है कि इस्लाम कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लेता। पवित्र कुरान के अनुसार यदि कोई इंसान किसी को मारता है तो वह इस्लाम का बंदा नहीं, बल्कि सारी मनुष्य जाति का कातिल कहलाता है। कुरान के अनुसार एक इंसान को दूसरे इंसान को तो क्या, किसी पशु-पक्षी तथा पेड़-पौधों को आहत करने की भी अनुमति नहीं दी जाती।

21). स्लाम में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि व्यक्ति जब चाहे अपनी पत्नी को तीन बार ‘तलाक है’ कहकर हमेशा के लिए छोड़ सकता है, बल्कि उसे छोड़ना उसके लिए कोई आसान कार्य नहीं है।

22). हमेशा से ही लोगों को एक गलतफहमी है कि इस्लाम में स्त्रियों को परदे के पीछे रहने की ही अनुमति दी जाती है। वह अपनी इच्छा से कुछ पहन नहीं सकतीं, कुछ खा नहीं सकतीं, इतना ही नहीं उन्हें पति की इच्छा के विरुद्ध किसी भी प्रकार का फैसला लेने का हक नहीं है। लेकिन ये सच नहीं है। कुरान के अनुसार एक पुरुष एवं स्त्री दोनों ही अल्लाह के बच्चे हैं और दोनों को ही सामाजिक रूप से बराबर का हकदार माना गया है। यदि एक स्त्री चाहे तो वह खुद से जुड़े सभी फैसले ले सकती है। पति के बुरे व्यवहार के सामने खुद को सही साबित करने के लिए कड़े फैसले ले सकती है। यदि वे बुरका पहनती हैं तो वह केवल खुद को दुनिया की नज़र से ढकने के लिए। अपनी तहज़ीब को बरकरार रखने के लिए मुस्लिम औरतें दुनिया की बुरी नज़रों से खुद को बचाती हैं, लेकिन इसी बुरके के भीतर एक मजबूत स्त्री है, जो कमज़ोर नहीं है।

23). लोगों के दिमाग में अक्सर ये सवाल परेशान करता होगा की इस्लाम धर्म में एक से अधिक विवाह करने का इजाजत क्यों हैं। यह सत्य है कि एक मुस्लिम एक से ज्यादा महिलाओं से विवाह कर सकता है, लेकिन इसके लिए भी एक वजह होनी चाहिए। कुरान के अनुसार यदि वह व्यक्ति किसी की मदद, किसी विधवा को सुरक्षा देने या किसी मजबूर बेसहारा स्त्री के बच्चों को अपना नाम देने के लिए उससे विवाह करता है तो वह एक से अधिक निकाह करने के लिए आज़ाद है। लेकिन यदि वह अपनी पत्नियों को आर्थिक सहारा देने में असमर्थ है तो उसे एक से अधिक निकाह करने का ख्याल भी अपने दिमाग में नहीं लाना चाहिए।


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