धीरूभाई अंबानी की प्रेरणादायी जीवनी | Dhirubhai Ambani biography in Hindi

Dhirubhai Ambani in Hindi/ धीरजलाल हीरालाल अंबानी जिन्हें धीरुभाई भी कहा जाता है, भारत के एक प्रसिद्ध उद्योगपति थे जिन्होंने रिलायंस इंडस्ट्रीज की स्थापना की। धीरूभाई अंबानी वो इंसान थे जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर किया। एक मध्य वर्ग परिवार में जन्मे धीरूबाई एक समय पेट्रोल पम्प में 300 रुपए वेतन में काम किये, लेकिन जब उन्होंने दुनिया से अलविदा किया उस समय उनकी सम्पति 62 हजार करोड़ रूपये से भी ज्यादा था। उन्होंने जिस मेहनत और लगन से तरक्की की है उसी वजह से भारत का हर युवा उनसें प्रेरणा लेता है। वे भारत ही नहीं, विश्व के प्रेरणादायी व्यक्तिवो में एक थे।

धीरूभाई अंबानी की प्रेरणादायी जीवनी | Dhirubhai Ambani biography in Hindi

नामधीरजलाल हीराचंद अंबानी (Dhirajlal Hirachand Ambani)
जन्म दिनांक28 दिसंबर 1932
जन्म स्थानचोरवाड़, गुजरात, भारत
मृत्यु24 जून, 2002
पिता का नामहिराचंद गोर्धनभाई अंबानी
माता का नामजमनाबेन
पत्नीकोकिलाबेन
संतानमुकेश अंबानी और अनिल अंबानी और दो बेटियाँ नीना कोठारी और दीप्ति सल्गाओकर

शुरुवाती जीवन – Early Life of Dhirubhai Ambani 

धीरूभाई अंबानी के शुरुवाती जीवन कठिनमय रहा हैं। उनका जन्म 28 दिसंबर, 1932, को गुजरात के जूनागढ़ जिले के चोरवाड़ गाँव में एक सामान्य मोध बनिया परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम हिराचंद गोर्धनभाई अंबानी और माता का नाम जमनाबेन था। इनके पिता एक शिक्षक थे और माँ गृहणी। धीरूभाई के चार भाई—बहन और थे। इतने बड़े परिवार का लालन-पालन करना अध्यापक गोर्धनभाई के लिए सरल काम न था। आर्थिक तंगी के कारण उन्हें हाईस्कूल में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ गई। पिता की मदद करने के लिए धीरूभाई ने छोटे-मोटे काम करने शुरू कर दिए।

करियर – Dhirubhai Ambani Career Story in Hindi

उन्होंने सबसे पहले गिरनार के पास भजिए की एक दुकान लगाई, जो मुख्यतः यहां आने वाले पर्यटकों पर आश्रित थी। लेकिन इस काम में उन्हें असफलता हाथ लगी क्यूंकि यह काम पूरी तरह आने वाले पर्यटकों पर निर्भर था, जो साल के कुछ समय तो अच्छा चलता था बाकि समय इसमें कोई खास लाभ नहीं था। इसके बाद उनके पिता इन्हे नौकरी करने की सलाह दी। धीरूभाई के बड़े भाई रमणीक भाई उन दिनों यमन में नौकरी किया करते थे। उनकी मदद से धीरूभाई को भी यमन जाने का मौका मिला। वहां उन्होंने ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ के साथ 300 रूपये प्रति माह के वेतन पर पेट्रोल पंप में काम किया। लगभग दो सालों बाद ‘ए. बेस्सी और कंपनी’ जब ‘शेल’ नामक कंपनी के उत्पादों के वितरक बन गए तब धीरुभाई को एडन बंदरगाह पर कम्पनी के एक फिलिंग स्टेशन में प्रबंधक की नौकरी मिली।

वहीँ से धीरुभाई के मन में व्यवसाय की बारीकियां जानने को लेकर उत्सुकता पैदा हुई। उनका मन इसमें कम और व्यवसाय करने के मौको की तरफ ज्यादा रहा। उन्होंने उस हरेक संभावना पर इस समय में विचार किया ​कि किस तरह वे सफल बिजनेस मैन बन सकते हैं।

धीरूभाई अंबानी को बिज़नेस का बारीकी सिखने की इतनी ललक थी की जब वे शेल कंपनी में अपनी सेवाएं दे रहे थे। वहां काम करने वाला कर्मियों को चाय महज 25 पैसे में मिलती थी, लेकिन धीरूभाई पास ही एक बड़े होटल में चाय पीने जाते थे, जहां चाय के लिए 1 रूपया चुकाना पड़ता था। उनसे जब इसका कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उसे बड़े होटल में बड़े-बड़े व्यापारी आते हैं और बिजनेस के बारे में बाते करते हैं। उन्हें ही सुनने जाता हूं ताकि व्यापार की बारीकियों को समझ सकूं। इस बात से पता चलता हैं की धीरूभाई अंबानी को बिज़नेस का कितना जूनून था।

धीरूभाई अंबानी ने सोच लिया था की उन्हें अपना कारोबार शुरू करना हैं इसलिए हमेशा पैसो का इन्तिजाम में लगे रहते थे। उन दिनों में यमन मे चांदी के सिक्कों का प्रचलन था। धीरूभाई को एहसास हुआ कि इन सिक्कों की चांदी का मूल्य सिक्कों के मूल्य से ज्यादा है और उन्होंने लंदन की एक कंपनी को इन सिक्कों को गलाकर आपूर्ति करनी शुरू कर दी। यमन की सरकार को जब तक इस बात का पता चलता वे मोटा मुनाफा कमा चुके थे। और इस तरह उन्होंने शुरुवाती पैसो का इन्तिजाम किया।

कुछ समय बाद यमन में आजादी के लिए आन्दोलन शुरू हो गए, इस कारण वहां रह रहे भारतीयों के लिए व्यवसाय के सारे दरवाज़े बंद कर दिए। इसके बाद लगभग 1950 के दशक के शुरुआती सालों में धीरुभाई अंबानी यमन से भारत लौट आये और अपने चचेरे भाई चम्पकलाल दमानी (जिनके साथ वो यमन में रहते थे) के साथ मिलकर पॉलिएस्टर धागे और मसालों के आयात-निर्यात का व्यापार प्रारंभ किया। रिलायंस कमर्शियल कारपोरेशन की शुरुआत मस्जिद बन्दर के नरसिम्हा स्ट्रीट पर एक छोटे से कार्यालय के साथ हुई। यही से जन्म हुआ रिलायंस कंपनी का और अंबानी परिवार का इतिहास। इस व्यापार के पीछे धीरुभाई का लक्ष्य मुनाफे पर ज्यादा ध्यान न देते हुए ज्यादा से ज्यादा उत्पादों का निर्माण और उनकी गुणवत्ता पर था। इस दौरान अम्बानी और उनका परिवार मुंबई के भुलेस्वर स्थित ‘जय हिन्द एस्टेट’ में एक छोटे से अपार्टमेंट में रहता था।

वर्ष 1965 में धीरुभाई अम्बानी और चम्पकलाल दमानी की व्यावसायिक साझेदारी समाप्त हो गयी। दोनों के स्वभाव और व्यापार करने के तरीके बिलकुल अलग थे इसलिए ये साझेदारी ज्यादा लम्बी नहीं चल पायी। एक ओर जहाँ पर दमानी एक सतर्क व्यापारी थे, वहीं धीरुभाई को जोखिम उठानेवाला माना जाता था।

इसके बाद धीरुभाई ने सूत के व्यापार में हाथ डाला जिसमे पहले के व्यापर की तुलना में ज्यादा हानि की आशंका थी। पर वे धुन के पक्के थे उन्होंने इस व्यापार को एक छोटे स्टार पर शुरू किया और जल्द ही अपनी काबिलियत के बल बूते धीरुभाई बॉम्बे सूत व्यापारी संगठन के संचालक बन गए।

अब तक धीरुभाई को वस्त्र व्यवसाय की अच्छी समझ हो गयी थी। इस व्यवसाय में अच्छे अवसर की समझ होने के कारण उन्होंने वर्ष 1966 में अहमदाबाद के नैरोड़ा में एक कपड़ा मिल स्थापित किया। यहाँ वस्त्र निर्माण में पोलियस्टर के धागों का इस्तेमाल हुआ और धीरुभाई ने ‘विमल’ ब्रांड की शुरुआत की जो की उनके बड़े भाई रमणिकलाल अंबानी के बेटे, विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था। उन्होंने “विमल” ब्रांड का प्रचार-प्रसार इतने बड़े पैमाने पर किया कि यह ब्रांड भारत के अंदरूनी इलाकों में भी एक घरेलु नाम बन गया।

‘रिलायन्स’ के इस मील ने पहले साल में ही 9 करोड़ का कारोबार करके 13 लाख का मुनाफा कमाया। 1977 को ‘रिलायन्स’ ने खुद के लिये पहली बार बाजार में शेअर बेच कर पैसा खड़ा किया किया। 1975 को जब ‘रिलायन्स’ एक छोटी कंपनी थी, उस समय में भी भारत में के 24 कपडा मील की जाँच करने के लिये आये हुये विश्व बॅक के एक टिम ने ऐसा कहा था की विकसीत देशो में की मीलों से तुलना करने लायक भारत में एकमेव मील ये रिलायन्स ही है।

1980 के दशक में धीरूभाई ने पॉलिएस्टर फिलामेंट यार्न निर्माण का सरकार से लाइसेंस लेने सफलता हासिल की। इसके बाद धीरूभाई सफलता का सीडी चढ़ाते गए। धीरुभाई को इक्विटी कल्ट को भारत में प्रारम्भ करने का श्रेय भी जाता है। जब 1977 में रिलायंस ने आईपीओ (IPO) जारी किया तब 58,000 से ज्यादा निवेशकों ने उसमें निवेश किया। धीरुभाई गुजरात और दूसरे राज्यों के ग्रामीण लोगों को आश्वस्त करने में सफल रहे कि जो उनके कंपनी के शेयर खरीदेगा उसे अपने निवेश पर केवल लाभ ही मिलेगा।

अपने जीवनकाल में ही धीरुभाई ने रिलायंस के कारोबार का विस्तार विभिन क्षेत्रों में किया। इसमें मुख्य रूप से पेट्रोरसायन, दूरसंचार, सूचना प्रोद्योगिकी, उर्जा, बिजली, फुटकर (retail), कपड़ा/टेक्सटाइल, मूलभूत सुविधाओं की सेवा, पूंजी बाज़ार और प्रचालन-तंत्र शामिल हैं। धीरुभाई की कैरियर 1970 व 80 के नियंत्रित अर्थव्यवस्था में बड़ी, उनके दोनों पुत्र 1991 के बाद मुक्त अर्थव्यवस्था के कारण निर्माण हुये नये मौको का पूरा उपयोग करके ‘रिलायन्स’ की पीढ़ी सफल तरिके से आगे चला रहे है।

धीरुभाई अंबानी ने जो कंपनी कुछ पैसे के लगत पर खड़ी की थी उस रिलायंस इंडस्ट्रीज में 2012 तक 85000 कर्मचारी हो गये थे और सेंट्रल गवर्नमेंट के पुरे टैक्स में से 5% रिलायंस देती थी। और 2012 में संपत्ति के हिसाब से विश्व की 500 सबसे अमीर और विशाल कंपनियों में रिलायंस को भी शामिल किया गया था। धीरुभाई अंबानी को सन्डे टाइम्स में एशिया के टॉप 50 व्यापारियों की सूचि में भी शामिल किया गया था। अंबानी ने 1977 में रिलायंस कंपनी को लाया और 2007 तक उनकी संपत्ति 60 बिलियन $ थी, जिसने अंबानी को विश्व का तीसरा सबसे अमीर परिवार बनाया।

हालाँकि इस बिच धीरूभाई अंबानी पर सरकार की नीतियों को प्रभावित करने और नीतियों की कमियों से लाभ कमाने के आरोप भी लगते रहे। नपर यह आरोप लगा कि उन्होंने सरकारी नीतियों को अपनी आवश्यकताओं के अनुकूल चालाकी से बदलवाया और अपने प्रतिद्वंदियों को भी सरकारी नीतियों के सहारे पठखनी दी।

निजी जीवन – Dhirubhai Ambani Personal Life

धीरूभाई अंबानी का विवाह कोकिलाबेन के साथ हुआ था और उनको दो बेटे थे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी और दो बेटियाँ नीना कोठारी और दीप्ति सल्गाओकर।

निधन – Dhirubhai Ambani Death

दिल का दौरा पड़ने के बाद धीरुभाई को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 24 जून, 2002 को भर्ती कराया गया। इससे पहले भी उन्हें दिल का दौरा एक बार 1986 में पड़ चुका था, जिससे उनके दायें हाँथ में लकवा मार गया था। 6 जुलाई 2002 को धीरुभाई अम्बानी ने अपनी अन्तिम सांसें लीं।

पुरूस्कार और सम्मान – Dhirubhai Ambani Awards

  • एशियन बिज़नस लीडरशिप फोरम अवार्ड्स 2011 में मरणोपरांत ‘एबीएलएफ ग्लोबल एशियन अवार्ड’ से सम्मानित।
  • भारत में केमिकल उद्योग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए ‘केमटेक फाउंडेशन एंड कैमिकल इंजीनियरिंग वर्ल्ड’ द्वारा ‘मैन ऑफ़ द सेंचुरी’ सम्मान, 2000।
  • एशियावीक पत्रिका द्वारा वर्ष 1996, 1998 और 2000 में ‘पॉवर 50 – मोस्ट पावरफुल पीपल इन एशिया’ की सूची में शामिल।
  • 1999 में बिजनेस इंडिया-बिजनेस मैन आॅफ द ईयर
  • वर्ष 1998 में पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय द्वारा अप्रतीम तेत्रित्व के लिए ‘डीन मैडल’ प्रदान किया गया।
  • वर्ष 2001 में ‘इकनोमिक टाइम्स अवार्ड्स फॉर कॉर्पोरेट एक्सीलेंस’ के अंतर्गत ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड।
  • फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा ‘मैन ऑफ 20th सेंचुरी’ घोषित।

FAQ

Q. धीरूभाई अंबानी के कितने बच्चे हैं?

Ans – 4 जिसमे दो बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी और दो बेटियाँ नीना कोठारी और दीप्ति सल्गाओकर.

Q. धीरूभाई अंबानी का जन्म कहां हुआ था?

Ans – चोरवाड़, गुजरात, भारत में

Q. धीरूभाई अंबानी की कुंडली

Ans – धीरूभाई अम्बानी की राशि मकर राशि हैं। इनकी कुंडली एक करामाती ग्रह राहु है।

धीरूभाई अंबानी के प्रसिद्ध अनमोल विचार – Dhirubhai Ambani Quotes in Hindi

  • मेरी सफलता का राज़ मेरी महत्वाकांक्षा और अन्य लोगों का मन जानना है’
  • “सही उद्यमशीलता जोखिम लेने से ही आता है”
  • “मुश्किल परिस्थितियों का अवसर की तरह देखिए और उसे अपने लाभ के लिए उपयोग कीजिए”
  • “कठिनाइयों में भी अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश करें। कठिनाइयों को अवसरों में तब्दील करें। असफलताओं के बावजूद, अपना मनोबल ऊँचा रखें। अंत में सफलता आपको अवश्य मिलेगी”
  • “बड़ा सोचो, जल्दी सोचो, आगे सोचो। विचारों पर किसी का एकाधिकार नहीं है”
  • “हम अपने शाशकों को नहीं बदल सकते पर जिस तरह वो हम पर राज करते हैं उसे बदल सकते हैं”
  • “फायदा कमाने के लिए न्योते की ज़रुरत नहीं होती”
  • “यदि आप दृढ संकल्प और पूर्णता के साथ काम करेंगे तो सफलता ज़रूर मिलेगी”
  • “कठिन समय में भी अपने लक्ष्य को मत छोड़िये और विपत्ति को अवसर में बदलिए”
  • “समय सीमा पर काम ख़तम कर लेना काफी नहीं है, मैं समय सीमा से पहले काम ख़तम होने की अपेक्षा करता हूँ”
  • “जो सपने देखने की हिम्मत करते हैं, वो पूरी दुनिया को जीत सकते हैं”
  • “हम दुनिया को साबित कर सकते हैं कि भारत सक्षम राष्ट्र हैं। हम भारतीयों को प्रतियोगिता से डर नहीं लगता। भारत उपलब्धियां प्राप्त करने वालों का राष्ट्र है”

और अधिक लेख –

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