Colosseum / कोलोसियम एक एलिप्टिकल एम्फीथिएटर है। यह इटली के रोम शहर के मध्य में स्थित है। इसका असली लेटिन नाम ‘एम्फीथिएटरम् फ्लावियम’ है, जिसे अंग्रेजी में ‘फ्लावियन एम्फीथिएटर’ कहा जाता है, लेकिन यह कोलोजियम के नाम से ही ज़्यादा प्रसिद्घ है। यह विश्व के नए 7 अजूबो में गिना जाता है। ये ईमारत रोम की स्थापत्य कला और इंजीनयरिंग का उत्तम नमूना है। इसका निर्माण लगभग सत्तरवी सदी में सम्राट वेस्पेसियन (Vespasian) ने करवाया था। इस स्टेडियम में लगभग 50,000 तक लोग एक साथ बैठकर जंगली जानवरों और गुलामों के बीच खूनी लड़ाइयों का खेल देखते थे।
कोलोसियम का इतिहास – Colosseum History In Hindi
रोमन वास्तु और इंजीनियरिंग का सर्वश्रेष्ठ नमूना माना जाता है इसका निर्माण तत्कालीन शासक वेसपियन ने 70 वें – 72 वें ईवी के मध्य में शुरू किया और 80 वें ईस्वी में यह सम्राट टाइटस ने पूरा किया। 81 और 96 साल के बीच में डोमिशियन के राज में कुछ और परिवर्तन किए गए थे। इस भवन का नाम एम्फ़िथिएटरम फ्लेवियम, वस्पियन और टाइटस के परिवार का नाम फ्लेवियस का कारण है।
कोलोसियम के निर्माण के समय लगभग 200 बैलगाड़ियों का उपयोग मार्बल्स के परिवहन में किया गया था। इसके निर्माण के लिए करीब 100,000 क्यूबिक मीटर पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। कोलोसियम को बनाने के लिए 60,000 यहूदी दासों ने काम किया था, जो 6 एकड़ के क्षेत्र को कवर करता है। यह रोम के लोगों के लिए एक उपहार के रूप में बनाया गया था। अगर आज के हिसाब से कोलोसियम की लागत का हिसाब लगाया जाए तो यह 39 मिलियन यूरो से अधिक होगी।
Colosseum or Coliseum Information in Hindi
यह भवन कोलोसियम अण्डाकार आकृति का बना हुआ है। उस समय इसकी क्षमता करीब 50000 पचास हज़ार दर्शको की थी। उस समय इतनी बड़ी व्यवस्था कोई मामूली बात नहीं थी। यह एक स्टेडियम है जहा मनोरंजन के लिए विभिन्न योद्धाओ के मध्य लड़ाईया हुआ करती थी। यह लड़ाईया खुनी संघर्ष हुआ करती थी। यहाँ पर आखिरी रिकॉर्ड किये गए खेल 6 वीं शताब्दी में आयोजित किये गए थे।
कभी कभी योद्धाओ को जानवरो से भी लड़ाया जाता था। ग्लेडिएटर नाम के योद्धा बाघ जैसे जानवरो से लड़ते थे। इस स्टेडियम में ऐसी लड़ाइयो वाले प्रदर्शनों में अनुमानतः 5 लाख पशु व करीब 10 लाख मनुष्य मारे गए थे। यहाँ कई प्रकार के पौराणिक कथाओ पर आधारित नाटक भी प्रदर्शित किये जाते थे। एक वर्ष में करीब दो बार बहुत बड़े व भव्य आयोजन होते थे। और यहाँ के निवासी ऐसे खेलो को बहुत पसंद करते थे। रोमन वासी बहुत ही रुचिपूर्वक इनको देखते थे। रोम के इस कोलोसियम की नकल करना आज भी नामुमकिन है। ये स्टेडियम दुनिया के इंजीनियरों के लिएआज भी एक पहेली बना हुआ है।
कोलोसियम के मुख्य प्रवेश द्वार के निकट स्थित, कॉन्सटैटाइन का आर्क था, जो 315 ई.पू. में बनाया गया था। 847 में आये एक बड़े भूकंप ने कोलोसियम के दक्षिणी भाग को नष्ट कर किया गया था। सेंट पीटर की बासीलीक के निर्माण के लिए कोलोसियम के कुछ टूटे हुए टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया है।
इस भवन को सार्वजनिक प्रयोग के लिए पूर्व मध्य काल में बंद कर दिया गया था। इसके बाद इसको विभिन्न कार्यो के लिए जैसे तीर्थ स्थल, निवास, किले व कार्यशालाओं इत्यादि के लिए प्रयोग किया जाता रहा। समय के साथ यह टूटता गया व आज यह भूकम्प व इसके पत्थर चोरियों के कारण यह केवल एक खंडहर के रूप में बचा है। यहाँ की सरकार अब इसकी देखभाल करती है तथा यात्रियों व पर्यटकों के लिए आज इसे अच्छा सजा कर रखा गया है।
यह यूनेस्को की विश्व विरासत में सम्मिलित किया गया है। इसके बाद साल 2007 में कोलोसियम को दुनिया के 7 अजूबों में से एक के रूप में चुना गया था। इस खँडहर को देखकर पता चलता है की उस समय रोमन साम्राज्य कितना शक्तिशाली था। यह एक बहुत ही प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। हर साल यहाँ 4 मिलियन से भी ज्यादा पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। यहाँ गुड फ्राइडे को पोप एक विशाल जुलुस यहाँ से निकालते है। इसलिए रोमन चर्च से इसका निकट सम्बन्ध है।
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Rome ka ye cOllesium to manav dharya ki misal h…tabhi kaha jata h “rome was not built in a day” bhut accje se aapne jankari di dhanyevad