‘चीनी का रोज़ा’ आगरा का इतिहास | Chini ka Rauza History in Hindi

Chini ka Rauza / चीनी का रोज़ा आगरा, उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के मंत्री अल्लामा अफ़ज़ल ख़ान शकरउल्ला शिराज़ को समर्पित मक़बरा है। इस मकबरे का नामकरण इसमें मुख्य रूप से प्रयुक्त होने वाली रंगीन चीनी टाइल्स पर हुआ है।

'चीनी का रोज़ा' आगरा का इतिहास | Chini ka Rauza History in Hindi

चीनी का रोज़ा आगरा – Chini ka Rauza History & Information in Hindi

चीनी का रौजा महान विद्वान व कवि और मुगल बादशाह शाहजहां के प्रधानमंत्री मुल्लाह शुकरुल्लाह शिराजी की कल्पना का परिणाम है। शुकरुल्लाह शीराजी ईरान के शीराजा का रहने वाला था। जहांगीर ने उसे अफजल खां की उपाधि दी थी। गद्दी पर बैठने के बाद शाहजहां ने उसे अपना वजीर बनाया। शुक्रुल्‍लाह शीशीराजी ने अपना मकबरा अपने जीवनकाल में ही लगभग 1628 से 1639 के बीच बनवाया था। उसकी मौत 1639 में लाहौर में हो गई। उसके पार्थिव शरीर को आगरा लाया गया और मकबरे में दफन कर दिया गया।

सन 1639 में बने इस ख़ूबसूरत मक़बरे का नाम इसको बनाने में इस्‍तेमाल हुए पत्‍थरों के नाम पर पड़ा। यह मक़बरा उस समय के मुग़ल वास्‍तुशिल्‍प पर पारसी प्रभाव का दर्शाता है। एत्मादुद्दौला के मक़बरे से एक किलोमीटर से भी कम दूरी पर स्थित इस इमारत के ऊपर गोलाकार गुंबद है। इसे देखकर बताया जा सकता है कि यह आगरा की एकमात्र पारसी इमारत है।

गुंबद की भीतरी छत पर तस्‍वीरों और इस्‍लामिक लिखावट के चिह्न देखे जा सकते हैं। गुंबद के ऊपर क़ुरान की कुछ आयतें भी खुदी हुई हैं। भारत में यह अपने तरह का पहला निर्माण था, जिसमें विस्तृत रूप से चमकदार कांच के टाइल्स का प्रयोग किया गया था। इसलिए इसे भारत में भारतीय व पर्सियन वास्तुशिल्प शैली से बना ऐतिहासिक स्थल होने का गौरव प्राप्त है।

मक़बरे का निर्माण आयताकार आकार में किया गया है और इसमें मुख्य रूप से भूरे पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इसकी दीवार को रंगीन टाइल्स से सजाया गया है और उन पर इस्लामिक लिखावट के चिन्ह देखे जा सकते हैं। मक़बरे का बीच का हिस्सा एक अष्टभुज आकृति है, जिसमें आठ वक्राकार गुफाएं हैं। इस मक़बरे की सबसे बड़ी खासियत इसकी अफ़ग़ान शैली में बनी गोल गुंबद है, जिस पर पवित्र इस्लामिक शब्द लिखे गए हैं। दुर्भाग्यवश यह मक़बरा अब काफ़ी उजड़-सा गया है, फिर भी यह अपनी मूल भव्यता को प्रदर्शित करता है।

भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण ने चीनी का रोजा की गिर चुकी बाउंड्रीवाल, खस्‍ताहाल स्‍मारकऔर बाउंड्रीवाल से लगे यमुना किनारे के गंदे प्‍लॉट का हुलिया बदलने का काम शुरू किया है।


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