Brahma Temple / ब्रह्मा मंदिर राजस्थान के प्रसिद्ध शहर अजमेर में पुष्कर झील के किनारे पर स्थित है। यह भारत के कुछ मंदिरों में से एक है जो सृष्टि रचिता भगवान ब्रहमा को समर्पित है। पुरे विश्व में ब्रह्मा जी के केवल तीन मंदिर। पुष्कर में ब्रह्मा जी का यह मंदिर मूल रूप से 14वीं सदी में बनाया गया था।
ब्रह्मा मंदिर की जानकारी – Brahma Temple, Pushkar Information
हिन्दुओं में तीन प्रधान देव माने जाते है- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। एक ओर ब्रह्माजी जिन्हें इस सृष्टि का रचनाकार मानते हैं तो दूसरी ओर विष्णुजी संसार को पालने वाले हैं। लेकिन महेश यानी कि भगवान शिव को विनाशकारी माना जाता है क्योंकि पृथ्वी पर पाप बढ़ जाने पर वे अपना रौद्र रूप दिखाते हैं।
ब्रह्माजी ने ही हमें चार वेदों का ज्ञान दिया। हिन्दू धर्म के अनुसार उनकी शारीरिक संरचना भी बेहद अलग है। चार चेहरे और चार हाथ एवं चारो हाथों में एक-एक वेद लिए ब्रह्माजी अपने भक्तों का उद्धार करते हैं। लेकिन हमारे देश में जहाँ विष्णु और महेश के अनगिनत मंदिर है वही खुद की पत्नी सावित्री के श्राप के चलते ब्रह्मा जी का पुरे भारत में एक मात्र मंदिर है जो की राजस्थान के प्रशिद्ध तीर्थ पुष्कर में स्तिथ है।
पत्नी सावित्री ने ब्रह्मा जी को क्यों दिया था श्राप – Brahma Temple Story in Hindi
हिन्दू लोक कथाओं के अनुसार धरती पर वज्रनाश नामक राक्षस ने उत्पात मचा रखा था। उसके बढ़ते अत्याचारों से तंग आकर ब्रह्मा जी ने उसका वध किया। लेकिन वध करते वक़्त उनके हाथों से तीन जगहों पर कमल का पुष्प गिरा, इन तीनों जगहों पर तीन झीलें बनी। इसी घटना के बाद इस स्थान का नाम पुष्कर पड़ा। इस घटना के बाद ब्रह्मा ने संसार की भलाई के लिए यहाँ एक यज्ञ करने का फैसला किया।
ब्रह्मा जी यज्ञ करने हेतु पुष्कर पहुँच गए लेकिन किसी कारणवश सावित्री जी समय पर नहीं पहुँच सकी। यज्ञ को पूर्ण करने के लिए उनके साथ उनकी पत्नी का होना जरूरी था, लेकिन सावित्री जी के नहीं पहुँचने की वजह से उन्होंने गुर्जर समुदाय की एक कन्या ‘गायत्री’ से विवाह कर इस यज्ञ शुरू किया। उसी दौरान देवी सावित्री वहां पहुंची और ब्रह्मा के बगल में दूसरी कन्या को बैठा देख क्रोधित हो गईं।
उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि देवता होने के बावजूद कभी भी उनकी पूजा नहीं होगी। सावित्री के इस रुप को देखकर सभी देवता डर गए। सभी ने सावित्री जी से विनती की कि अपना श्राप वापस ले लीजिए, लेकिन उन्होंने किसा की न सुनी। जब गुस्सा ठंडा हुआ तो सावित्री ने कहा कि इस धरती पर सिर्फ पुष्कर में ही आपकी पूजा होगी। कोई भी आपका मंदिर बनाएगा तो उसका विनाश हो जाएगा।
भगवान विष्णु ने भी इस काम में ब्रह्मा जी की मदद की थी। इसलिए देवी सरस्वती ने विष्णु जी को भी श्राप दिया था कि उन्हें पत्नी से विरह का कष्ट सहन करना पड़ेगा। इसी कारण भगवान विष्णु ने राम के रुप में मानव अवतार लिया और 14 साल के वनवास के दौरान उन्हें पत्नी से अलग रहना पड़ा था।
पद्म पुराण के अनुसार ब्रह्माजी पुष्कर के इस स्थान पर दस हजार सालों तक रहे थे। इन सालों में उन्होंने पूरी सृष्टि की रचना की। जब पूरी रचना हो गई तो सृष्टि के विकास के लिए उन्होंने पांच दिनों तक यज्ञ किया था।
कथा के अनुसार उसी यज्ञ के दौरान सावित्री पहुंच गई थीं जिनके शाप के बाद आज भी उस तालाब की तो पूजा होती है लेकिन ब्रह्माजी की पूजा नहीं होती। आज भी श्रद्धालु केवल दूर से ही उनकी प्रार्थना कर लेते हैं, परंतु उनकी वंदना करने की हिमाकत नहीं करते। ब्रह्माजी के साथ पुष्कर के इस शहर में मां सावित्री की भी काफी मान्यता है।
कहते हैं कि क्रोध शांत होने के बाद सावित्री पुष्कर के पास मौजूद पहाड़ियों पर जाकर तपस्या में लीन हो गईं और फिर वहीं की होकर रह गईं। मान्यतानुसार आज भी देवी यहीं रहकर अपने भक्तों का कल्याण करती हैं।
मंदिर का निर्माण – Brahma Temple History in Hindi
मंदिर का निर्माण कब हुआ इसका कोई उल्लेख नहीं है। लेकिन ऐसा मन जाता हैं की आज से तकरीबन एक हजार दो सौ साल पहले अरण्व वंश के एक शासक को एक स्वप्न आया था कि इस जगह पर एक मंदिर है जिसके सही रख रखाव की जरूरत है। तब राजा ने इस मंदिर के पुराने ढांचे को दोबारा जीवित किया।
आज के युग में इस मंदिर को ‘जगत पिता ब्रह्मा’ मंदिर के नाम से जाना जाता है। जहां श्रद्धालुओं की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। लेकिन फिर भी कोई ब्रह्माजी की पूजा नहीं करता। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर इस मंदिर के आसपास बड़े स्तर पर मेला लगता है।
और अधिक लेख –
- पंढरपुर (विट्ठल रुक्मिणी मंदिर) का इतिहास
- श्रीकांतेश्वर मंदिर ‘नंजनगुड मंदिर’ का इतिहास, जानकारी
- भद्राचला राम मंदिर और भद्राचलम का इतिहास
Please Note :- I hope these “Brahma Temple, Ajmer, Rajasthan History in Hindi” will like you. If you like these “Brahma Temple Information & Story in Hindi” then please like our facebook page & share on whatsapp.