आयुर्विज्ञानी ऋषि अश्विनी कुमारों | Ayurveda Ashvins Kumaras in Hindi

आयुर्वेद का इतिहास भारत के प्राचीन वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। आयुर्वेद का अर्थ है “जीवन का ज्ञान”। परम्परानुसार आयुर्वेद के आदि आचार्य अश्विनीकुमार (Ashvini Kumaras) माने जाते हैं जिन्होने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से इन्द्र ने यह विद्या प्राप्त की। चलिए, आज के इस लेख में आचार्य अश्विनीकुमार (ashvins brothers in hindu mythology) के बारे में जानते हैं।

Ayurved Ashvins Kumara

ऋषि अश्विनी कुमारों – Ashvins Kumaras History in Hindi

भारत ने वैदिक काल मे बहुत उन्नति की थी और इसका श्रेय भारत के वैदिक काल के दो महान चिकित्सक को जाता है वो थे अश्विनी कुमार। वे दोनो जुड़वा भाई थे और दोनो हमेशा साथ मे ही रहते थे। जिनका नाम नासत्य और दस्र होता है।

ऐसा वर्नर मिलता है की वे देवताओ का चिकित्सा करते थे तथा संसार के दूसरो लोगो को भी समय-समय पे स्वस्थ रहने का उपाय बताते थे। रोग-दोष एवं रोग-निवारण करने वाले अश्विनी कुमारों का ऋग्वेद मे गुणगान किया गया है।

एक वैदिक कथा के अनुशार, देवताओ के गुरु व्राहस्पति का प्राणप्रिय एक लौते पुत्र शन्यू बीमार पड़ गया और अनेक उपचार करने के बाद भी ठीक नही हुवा तब गुरु व्राहस्पति ने अश्विनी कुमार से उपचार करने की प्राथना की। अश्विनी कुमार के उपचार से शन्यु रोग मुक्त हो गये तब गुरु व्राहस्पति ने उन्हे ‘औषधियो का स्वामी’ कहकर संबोधित किया और उनकी बड़ी प्रशंसा की, पुराणो मे उनकी महिमा का वर्नर मिलता है।

धन्वन्त्रि के विषय मे उल्लेखित है की उन्होने देवराज इंद्र और ऋषि भारद्वाज से आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त किया था। पुराणो मे लिखा है की यह ज्ञान ब्रहंजी से दक्ष प्रजापति को, उनसे अश्विनी कुमारों को, तत्पश्चात देवराज इंद्र को, इंद्र से भारद्वज को, उनसे स्वंय इंद्र से धन्वन्त्रि को प्राप्त हुवा। इनमे देवराज इंद्र दक्ष प्रजापति अपने पद के कारण अपने अधीनस्थ सभी लोगो के ज्ञान के स्वामी माने जाते है।

विशुद्ध आयुर्वेद के विशेषग के रूप मे प्रथम स्थान अश्विनी कुमारो को ही देना चाहिए। चिकित्सा शास्त्र के युगल अधिष्ठाता के अतिरिक्त अश्विनी कुमारों की कोई सार्थकता ही नही हैं।

अपने औषधि ज्ञान के कारण ही दोनो अश्विनी कुमारों हमेशा नवयुवको के समान ही सवस्थ एवं सुंदर बने रहे। उन्होने जड़ी-बूटियो से औषधि बना के वैद ऋषि च्यवन् को भी सेवन कराई थी। जिसके सेवन से ऋषि च्यवन पुन: नवयुवक बन गये। वह औषधि ‘चयव्ंप्राश’ के नाम से प्रशिद्ध हुवी।

औषधि विज्ञान मे ही नही, अश्विनी कुमार शल्य-चिकित्सा (सर्जरी) मे भी कुशल प्रतिभावान थे। उनके शल्य-क्रिया ज्ञान के कुछ उदाहरण इस प्रकार है — यग के कटे हुए घोड़े का सिर फिर से जोड़ देना, पुशा के दाँत टूट जाने पर पुन: नया दाँत लगा देना, कटे हुए हाथ के जगह पर दूसरा हाथ लगा देना आदि।

अश्विनी कुमारों ने संसार को रोगमुक्त होने का रहस्य तथा शरीर मे वात, पित्त, और कफ तीन विकारो का ज्ञान कराया और स्वस्थ, संयम और सदाचरण का वह मार्ग दिखाया। जिस पर चलकर हमारे ऋषि-मुनियो और राम, कृष्ण, भीष्म, आदि महापुरुषो ने दीर्घ जीवन प्राप्त किया और प्राचीन भारतीय समाज स्वास्थ और दिर्गजीवी बना।

FAQ

वेदों में अश्विनी कुमार कौन है?

अश्विन कुमार आयुर्वेद में देवताओं के चिकित्सक माने जाते हैं। अश्विन कुमार दो जुड़वां भाई हैं, जिनका नाम नासत्य और दस्र होता है। ये दोनों वैदिक काल के प्रमुख देवताओं में से हैं और विशेष रूप से चिकित्सा और उपचार के क्षेत्र में उनकी महिमा गाई जाती है।

अश्विनी कुमार का भगवान कौन है?

परम्परानुसार आयुर्वेद के आदि आचार्य अश्विनीकुमार माने जाते हैं जिन्होने दक्ष प्रजापति के धड़ में बकरे का सिर जोड़ा था। अश्विनी कुमारों से इन्द्र ने यह विद्या प्राप्त की।


और अधिक लेख – 

If you like these “Ashvins Kumaras History & Story in Hindi” then please like our Facebook page & share on Whatsapp, Twitter,

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *