बिहार पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक धरोहरों, धर्म, अध्यात्म और संस्कृति का केन्द्र रहा है। यहाँ की परम्पराएं, संस्कृति, रीति-रिवाज और जीवन-पद्धतियां, मेले, पर्व, त्योहार हमेशा से पर्यटकों को आकर्षित करते रहे हैं। यह एक ऐसा राज्य है जिसने दुनिया को दो धर्म दिए- बौद्ध धर्म और जैन धर्म। यहां आकर पर्यटकों को दो धर्मों का मेल तो देखने को मिलता ही है साथ ही यहां की संस्कृति भी सभी को अपनी ओर आकर्षित करती है।
बिहार के दर्शनीय व पर्यटन स्थल – Bihar Tourism Place in Hindi
जनसंख्या की दृष्टि से बिहार भारत का दूसरा बड़ा राज्य है और भौगोलिक दृष्टि से बारहवां बड़ा राज्य है। बिहार राज्य का यह नाम ‘विहारा’ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है ‘मठ’। बिहार पर्यटन प्राचीन सभ्यता, धर्म, इतिहास और संस्कृति का अनूठा मेल है, जो भारत की पहचान है। यह राज्य भारत के कुछ महान साम्राज्यों जैसे मौर्य, गुप्त और पलस के उदय और उनके पतन का गवाह रहा है। 5वीं से 11वीं सदी के बीच यहां विश्व का प्रारंभिक विश्वविद्यालय विकसित हुआ। उसके अवशेष आज भी बिहार पर्यटन के आकर्षणों में से एक हैं। बौद्ध धर्म के कुछ पवित्र स्थल भी इसी राज्य में हैं। हिंदू धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म के कुछ महत्वपूर्ण स्थान भी यहां हैं।
बिहार राज्य, पश्चिम में उत्तर प्रदेश, उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल का उत्तरी भाग और दक्षिण में झारखंड की सीमाओं से लगा हुआ है। बिहार पर्यटन- झील, झरने और हॉट स्प्रिंग्स के रूप में प्राकृतिक सुंदरता के क्षेत्र प्रदान करता है। प्राचीनकाल के क्लासिक भारत में प्राचीन बिहार ताकत, शिक्षा और संस्कृति का केंद्र था।
बिहार की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है जब यहां मौसम सुहावना रहता है। भारत के पूर्वी हिस्से में स्थित बिहार के चारों ओर धरती है जिससे बिहार से किसी भी राज्य में आना जाना सुविधाजनक है। बिहार भारत के बाकी हिस्सों से रेल, हवाई और सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
बिहार के पर्यटन स्थल – Bihar Tourist Place in Hindi
1). गया :-
1865 में गया की स्थापना की गई थी और इसे एक आजाद जिला का दर्जा दिया गया था। गया हिंदू धर्म का हब है और बौद्ध का भी तीर्थस्थल है। यह माना जाता है कि यहां एक पेड़ है जिसके नीचे बैठकर बुद्ध ज्ञान प्राप्त करते थे। गया एक बहुत ही भीड़-भाड़ वाला स्थान है जो फालगु नदी के किनारे बसा हुआ है।
2). प्रेतशिला पर्वत
बिहार के गया का प्रेतशिला पर्वत पटना से दक्षिण में 100 किमी. दूर स्थित है। इस प्राचीन शहर का हिंदुओं और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्व है। गया का प्रेतशिला पर्वत फाल्गु नदी के पास स्थित है। इस नदी की यह विशेषता है कि इसका पानी उपर से दिखाई नहीं देता। इसका पानी कीचड़ और रेत की मोटी परत के नीचे रहता है। गया जाने वाले लोग गड्ढा खोदकर इसका पानी निकालते हैं।
3). विश्वशांति स्तूप, राजगीर :-
विश्वशांति स्तूप बिहार का एक बहुत ही नामी ऐतिहासिक स्थल है। भारत में 7 शांति स्तूप है जिसमें से विश्वशांति स्तूप एक है। 1969 में इस स्तूप का निर्माण हुआ था, जिसका मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच शांति और अहिंसा फैलाना था।
नालंदा से 15 किमी. दूर स्थित राजगीर, मंदिरों और मठों से भरी जगह है। यह एक घाटी में बसी जगह है और इसके आसपास के स्थान बहुत सुंदर हैं। आसपास के जंगल राजगीर की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।
4). कंवरलेक
कंवरलेक भारत का सबसे बड़ा फ्रशवाटर लेक है। यहां पक्षियों कि लगभग 60 प्रजातियां हैं। यह देखने में बहुत ही खूबसूरत है। इसे देखने के लिए पर्यटक यहां आते हैं।
5). मुछालिंदा लेक :-
मान्यता है कि एक बहुत बड़े तूफान से शेष नाग ने बुद्ध भगवान को बचाया था, उस समय इस लेक का यह नाम रखा गया था। मुछालिंदा ने बढ़ती लहरों से बुद्ध की रक्षा की थी। यहां आपको एक ऐसी मूर्ति भी देखने को मिलेगी जो यहां के इतिहास को बयां करती है।
6). अहिरोली
बिहार के बक्सर शहर के केंद्र से 5 किमी दूर स्थित एक छोटा सा गांव अहिरोली है। यहां देवी अहिल्या का एक मंदिर है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं। रामायण के अनुसार देवी अहिल्या ने गलती से एक बार अपने पति का भेष धरकर आए एक व्यक्ति को अपना पति समझ लिया। इससे गौतम ऋषि बहुत क्रोधित हुए और देवी अहिल्या को मानव से पत्थर बना दिया। बक्सर के अहिरोली गांव का यह मंदिर लोगों को देवी अहिल्या के निरअपराध होने की याद दिलाता है। कई सालों बाद उस क्षेत्र से गुजरते हुए भगवान राम ने देवी अहिल्या को देखा और उसे मुक्त किया। भगवान राम के छूते ही पत्थर बनी देवी अहिल्या वापस मानव बन गई। बक्सर का यह अहिरोली गांव लोगों के लिए एक तीर्थ स्थल है। लोग यहां दूर दूर से अपने जाने अनजाने में हुए पापों से मुक्ति पाने आते हंै।
7). जलमंदिर, पावापुर :-
यह एक जैन तीर्थ स्थल है, जो बिहार के पावापुरी में स्थित है। यह मंदिर लेक के बिल्कुल बीचों-बीच है और यह कमल के फूलों से भरा हुआ है। यह माना जाता है कि इस मंदिर को नंदीवरधान ने बनवाया है, जो महावीर के बड़े भाई थे। यह मंदिर विमान के आकार में बनवाया गया है।
8). वाल्मीकि नगर
वाल्मीकि नगर में रामायण के रचियता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर वाल्मीकि आश्रम स्थित है। वाल्मीकि का नाम पहले रत्नाकर था, जो लोगों से सामान छीनकर अपना जीवन यापन करते थे। बाद में उन्हें पछतावा हुआ और उन्होंने प्रायश्चित करने का फैसला किया। इसके पश्चात उन्हें भगवान के जीवन को संकलित करने का आशीर्वाद मिला।
9). हसनपुरा
बिहार का हसनपुरा गांव, धनाई नदी के किनारे सिवान से दक्षिण में 21 किमी दूर स्थित है। यह जगह अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है लेकिन इसकी प्राकृतिक सुंदरता भी कुछ कम नहीं है। अरब के किसी दूर देश से एक संत मखदूम सैयद हसन चिश्ती भारत आए थे। वह भारत के लोगों और संस्कृति से इतना प्रभावित हुए कि अपने देश वापस ना जाने का फैसला कर लिया। उन्होंने ही हसनपुरा गांव की स्थापना की। मखदूम सैयद हसन चिश्ती यहां लंबे समय तक रहे। उनका रुझान धर्म और आत्मा की पवित्रता की ओर था। वह बिहार के हसनपुर में धार्मिक संस्था खानकाह के संस्थापक थे।
10). चंपारण
चंपारण बिहार का एक प्रसिद्ध स्थान है जिसका भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बहुत महत्व है। यह वह स्थान है जहां महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन की संरचना का पहला प्रयास किया था। यह जगह प्रसिद्ध चंपारण आंदोलन के लिए जानी जाती है जो बिहार और देश के अन्य हिस्से में नील खेती करने वाले किसानों पर होने वाले अत्याचार के विरोध में शुरु हुआ था। इस आंदोलन का प्रभाव काफी लंबे समय तक रहा था। चंपारण के अच्छे दिन लाने के लिए महात्मा गांधी अपने प्रयासों में दृढ़ थे। आखिरकार ब्रिटिश सरकार को जांच कमेटी बनानी पड़ी। कमेटी को चंपारण के किसानों की स्थिति की जांच करने और रिपोर्ट देने की जिम्मदारी दी गई।