Agra in Hindi – आगरा एक ऐतिहासिक नगर है। यह उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में एक हैं। आगरा महाभारत के समय से एक प्राचीन शहर था और फिर दिल्ली सल्तनत के शासक सुल्तान सिकंदर लोदी ने 1504 में आगरा की स्थापना की। महाभारत के समय इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था। यह शहर उत्तर प्रदेश के यमुना नदी के किनारे बसा है।
आगरा का परिचय एक नजर में – Agra Information in Hindi
पूरा नाम | आगरा |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
संस्थापक | सिकंदर लोदी (1504) |
जनसंख्या | 44,18,797 (2011) |
भाषा | हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी, ब्रज |
क्षेत्रफल | 87 km² |
तहसीलें | 06 |
जनसंख्या घनत्व | 1094 व्यक्ति/किमी |
साक्षरता दर | 71.6 % |
नदी | यमुना |
झीलें | कीठम झील |
प्रमुख पर्यटन स्थल | ताजमहल |
आगरा का इतिहास – Agra History in Hindi
आगरा का इतिहास मुख्य रूप से मुगल काल से जाना जाता है लेकिन इसका सम्बन्ध महर्षि अन्गिरा से है जो 1000 वर्ष ईसा पूर्व हुए थे। इतिहास में पहला ज़िक्र आगरा का महाभारत के समय से माना जाता है, जब इसे अग्रबाण या अग्रवन के नाम से संबोधित किया जाता था। कहते हैं कि पहले यह नगर आयॅग्रह के नाम से भी जाना जाता था। तौलमी पहला ज्ञात व्यक्ति था जिसने इसे आगरा नाम से संबोधित किया।
आगरा का स्थापना का श्रेय सिकंदर लोदी को दिया जाता हैं, जिसने सन् 1504 ई. में आगरा को बसाया था। सिकंदर लोदी के मृत्यु के बाद उसके बेटे सुल्तान इब्राहिम लोदी ने इस शहर पर शासन किया। 1526 में पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी लोदी हर हुई और इस शहर पर मुग़ल बादशाह बाबर का कब्ज़ा हुआ।
इसे अकबरबाद के रूप में जाना जाता था और बादशाह अकबर, जहांगीर और शाहजहां के तहत मुगल साम्राज्य की राजधानी बना रहा। आगरा मुगल साम्राजय की चहेती जगह थी। आगरा 1526 से 1658 तक मुग़ल साम्राज्य की राजधानी रहा। मुगल साम्राज्य के पतन के बाद, शहर मराठों के प्रभाव में आया और 1803 में ब्रिटिश राज ने कब्ज़ा जमाया।
आगरा के पर्यटक स्थल – Agra Tourist Places in Hindi
आगरा आगरा उन ऐतिहासिक और वास्तुकला से परिपूर्ण स्मारकों से भरा पड़ा है जो शहर के इतिहास को बयां करते हैं। यहां ऐतिहासिक स्मारकों और भव्य वास्तुकला से बने मंदिर, किले और मकबरे हैं। सभी मध्यकालीन युग की खूबसूरत और आश्चचर्यजनक संरचनाओं की वजह से आगरा को देश के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। आज भी आगरा मुग़लकालीन इमारतों जैसे – ताज महल, किला, फ़तेहपुर सीकरी आदि की वजह से एक विख्यात पर्यटन-स्थल है। ये तीनों इमारतें यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सुची में शामिल हैं।
ऐतिहासिक स्थल –
ताजमहल : आगरा का ताजमहल से तो आप भी वाकिफ होंगे, दुनिया के सातवें आश्चर्य में से एक है। यह 1653 में बना है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। यहीं मुमताज महल का मकबरा भी है। इसलिए ताजमहल को प्यार का प्रतीक भी माना जाता है। ताजमहल भारतीय, पर्सियन और इस्लामिक वास्तुशिल्पीय शैली के मिश्रण का उत्कृष्ट उदाहरण है। जिसे लगभग हजारों पर्यटक रोज देखने आते है।
आगरा फोर्ट : यह किला 1565 में महान मुगल सम्राट अकबर के समय में बना था। शाहजहां के शासनकाल में इसे लाल पत्थरों से फिर से बनवाया गया। इसलिए इसे लाल किला भी कहा जाता हैं। लाल किले में मोती मस्जिद, जहांगीर महल, दिवान—ए—आम, दिवान—ए—खास, शीश महल, खास महल बने है। यहां संगमरमर और पीट्रा ड्यूरा नक्काशी का महीन कार्य किया गया है।
फतेहपुर सिकरी : मुगल सम्राट अकबर ने फतेहपुर सीकरी बसाई, व अपनी राजधानी वहां स्थानांतरित की। यह आगरा से 35 कि॰मी॰ दूर है। यहां अनेकों भव्य इमारतें बनवायीं। बाद में पानी की कमी के चलते, वापस आगरा लौटे। यहां भी बुलंद दरवाजा, एक विश्व धरोहर स्थल है। फतेहपुर सिकरी के नाम का अर्थ है विजय हासिल करना।
जामा मस्जिद : जामा मस्जिद 1648 में शाहजहां ने बनवाया। जो आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के पास है। यह मस्जिद शाहजहाँ की पुत्री, शाहजा़दी जहाँआरा बेगम़ को समर्पित है।
मोती मस्जिद : आगरा में पवित्र स्थानों में एक स्थान मोती मस्जिद भी है। शाहजहां ने इस मस्जिद का निर्माण अपने शाही दरबार के लिए करवाया था। जों 1648 से 1654 में बनी है। जिसकी लागत 1,60,000 आई थी। विश्व में स्थिती सभी मस्जिदों के मंच में तीन सीढ़ियां होती हैं, परन्तु ये एक मात्र ऐसी मस्जिद है, जिसमें चार सीढ़ियां हैं। बताया जाता है कि मोती मस्जिद मुगल युग में बनी सबसे मंहगी वास्तुकला परियोजना में से एक है।
सिकंदरा (अकबर का मकबरा) : आगरा किला से मात्र 13 किलोमीटर की दूरी पर, सिकंदरा में महान मुगल सम्राट अकबर का मकबरा है। सिकंदरा स्थित यह मकबरा 119 एकड़ में फैला हुआ है। यह मकबरा उसके व्यक्तित्व की पूर्णता को दर्शाता है। सुंदर वृत्तखंड के आकार में, लाल बलुआ-पत्थर से निर्मित यह विशाल मकबरा हरे भरे उद्यान के बीच स्थित है। अकबर ने स्वयं ही अपने मकबरे की रूपरेखा तैयार करवाई थी और स्थान का चुनाव भी उसने स्वयं ही किया था। 8 साल में बने इस मकबरे का निर्माण कार्य अकबर के द्वारा 1605 में शुरू करवाया गया था और उनके बेटे जहांगीर ने इसके निर्माण को 1605 में पूरा करवाया।
एतमादुद्दौला का मकबरा : मुगल बादशाह अकबर के बेटे जहांगीर ने अपनी बेगम नूरजहां के पिता मिर्जा गियास बेग को एतमादुद दौला का खिताब दिया था। एतमादुद दौला और उनकी पत्नी अस्मत जहां का यह मकबरा 1622 से 1628 के बीच उनकी बेटी नूरजहां ने बनवाया था। मुगल काल के अन्य मकबरों से अपेक्षाकृत छोटा होने से, इसे कई बार श्रंगारदान भी कहा जाता है। यहां के बाग, पीट्रा ड्यूरा पच्चीकारी, व कई घटक ताजमहल से मिलते हुए हैं।
मेहताब बाग : महताब बाग का अर्थ होता है चांद की रोशनी का बाग। यमुना नदी के किनारे 25 एकड़ में फैले इस बाग का निर्माण 1631 से 1635 के बीच करवाया गया था। यह उद्यान ताजम़हल से लगभग ढाई किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में बना है। यह भारत का सबसे पुराना मुग़ल उद्यान हैं।
स्वामी बाग और दयाल बाग : स्वामीबाग समाधि हुजूर स्वामी महाराज (श्री शिव दयाल सिंह सेठ) का स्मारक/ समाधि है। यह नगर के बाहरी क्षेत्र में है, जिसे स्वामी बाग कहते हैं। वे राधास्वामी मत के संस्थापक थे। उनकी समाधि उनके अनुयाइयों के लिये पवित्र है। इसका निर्माण 1908 में आरम्भ हुआ था और कहते हैं कि यह कभी समाप्त नहीं होगा।
चीनी का रोजा : आगरा स्थित चीनी का रोजा शाहजहाँ के मंत्री, अल्लामा अफज़ल खान शकरउल्ला शिराज़, को समर्पित है और अपने पारसी शिल्पकारी वाले चमकीले नीले रंग के गुम्बद के लिये दर्शनीय है। 1635 में बनी इस खूबसूरत मकबरे का नाम इसको बनाने में इस्तेमाल हुए पत्थरों के नाम पर पड़ा।
बागेश्वर नाथ मंदिर : आगरा में स्थित मंगलेश्वर मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर, आर्य समाज मंदिर और दयाल बाग में स्वामी जी महाराज को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर प्रमुख है।
कांच महल : सिकंदरा में अकबर के मकबरे के बगल में स्थित वर्गाकार कांच महल मुगल वास्तुशिल्प की विशेषताओं का जीता-जागता उदाहरण है। इसका निर्माण 1605 से 1619 के बीच किया गया था।
आगरा कैसे पहुंचे – Agra Tour in Hindi
आगरा शहर प्रमुख शहर दिल्ली, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, हरिद्वार, देहरादून एवं जयपुर आदि शहरों से सीधे रेल और सड़क मार्ग दोनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली-मुम्बई और दिल्ली-चेन्नई के लिए मध्य-पश्चिम और मध्य-दक्षिण रेलवे नेटवर्क है। दिल्ली से आगरा के लिये रा.राजमार्ग-2 है जिसकी दूरी 200 कि॰मी॰ है जो कि लगभग 4 घंटे में तय की जाती है।
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