जयसमन्द ‘ढेबर’ झील का इतिहास और जानकारी | Jaisamand Lake in Hindi

जयसमन्द झील या ‘ढेबर झील’ (Dhebar Lake) राजस्थान राज्य के अरावली पर्वतमाला के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक विशाल झील है। यह झील राजस्थान की सबसे बड़ी झील और एशिया के दूसरे नंबर की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। अपने प्राकृतिक परिवेश और बाँध की स्थापत्य कला की ख़ूबसूरती से यह झील वर्षों से पर्यटकों के आकर्षण का महत्त्वपूर्ण स्थल बनी हुई है। यह झील 6 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा है। इस झील का ढाई मीटर तक का अधिकांश भाग गहनता से भरा हुआ है। चलिए जाने ढेबर झील का इतिहास और जानकारी (Dhebar Lake History in Hindi)..

जयसमन्द झील का इतिहास और जानकारी | Jaisamand Lake in Hindi

ढेबर झील की जानकारी – Dhebar Jheel Information in Hindi

जयसमंद झील उदयपुर जिला मुख्यालय से 51 कि॰मी॰ की दूरी पर दक्षिण-पूर्व की ओर उदयपुर-सलूम्बर मार्ग पर स्थित है। इस झील का निर्माण महाराजा जय सिंह ने करवाया था। इस झील के किनारे निर्मित संगमरमर की छतरियाँ इस झील की खूबसूरती पर चार चाँद लगाते हैं। कहा जाता है कि गर्मी के मौसम में महारानियाँ यहीं आकर रहती थीं। झील के किनारे ही एक वन्यजीव अभ्यारण्य भी है, जहाँ वन्यजीवों का खुला विचरण यहाँ आए पर्यटकों को और उत्साहित करता है।  झील के किनारे घूमना, नाव की सवारी करना और पक्षियों को देखना पर्यटकों के लिए लोकप्रिय गतिविधियाँ हैं।

झील के निर्माण का मुख्य उद्देश्य सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना था। झील के निर्माण से पहले, इस क्षेत्र में बारिश कम होती थी और खेती करना मुश्किल था। झील के निर्माण से इस क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो गया और खेती का विकास हुआ। सिंचाई के लिए इस झील से दो नहरें निकाली गई हैं। इस झील को ढेबर झील (Dhebar Lake) के नाम से भी जाना जाता हैं।

जयसमंद झील (Jaisamand Jheel) पूरी तरह से भरी होती है, तो इसका क्षेत्रफल लगभग 50 वर्ग किमी होता है। ढेबर झील का मूल नाम जय समंद था और यह 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में गोमती नदी के आर-पार बने एक संगमरमर के बांध द्वारा निर्मित है। पश्चिमी क्षेत्र में स्थित गांवों तक झील से नहरों द्वारा पानी ले जाया जाता है, जहाँ तट पर मछुआरों के गाँव बसे हुए हैं।

झील के निर्माण के बाद, झील के आसपास के क्षेत्र में कई महलों और मंदिरों का निर्माण किया गया। झील के किनारे पर स्थित महलों में से एक हवा महल है। हवा महल को महाराणा जय सिंह की रानियों के लिए ग्रीष्मकालीन महल के रूप में बनाया गया था।

जयसमंद झील का इतिहास – Jaisamand Lake History in Hindi

Dhebar Lake History in Hindi

महाराणा जयसिंह द्वारा 1687 एवं 1691 ईसवी के मध्य इस झील का निर्माण करवाया था। 14 हज़ार 400 मीटर लंबाई एवं 9 हज़ार 500 मीटर चौडाई में निर्मित यह कृत्रिम झील एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी का स्वरूप मानी जाती है। महाराणा जयसिंह ने इस भव्य झील का नाम जयसमंद (जयसमुद्र) रखा और इसके किनारे कई भव्य महलों का निर्माण करवाया जिनमें उनकी सबसे छोटी रानी कोमलदेवी का महल और हवा महल शामिल हैं।

दो पहाडि़यों के बीच में ढेबर दर्रा को कृत्रिम झील का स्वरूप दिया गया। बताया जाता है कि कुछ वर्षों पूर्व इस झील में नौ नदियों एवं आधा दर्जन से भी अधिक नालों से जल आता था, लेकिन अब मात्र गोमती नदी और इसकी सहायक नदियों और कुछ नालों से ही जल का आगमन हो पाता है।

ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार यह भी बताया जाता है कि झील में पानी लाने वाली गोमती नदी पर महाराणा जयसिंह ने 375 मीटर लंबा एवं 35 मीटर ऊँचा बाँध बनवाया था, जिसके तल की चौड़ाई 20 मीटर एवं ऊपर से चौड़ाई पाँच मीटर है। बाँध का निर्माण बरवाड़ी की खानों के सफ़ेद सुमाजा पत्थर से कराया गया है। झील की मजबूती के लिहाज से दोहरी दीवार बनाई गई है। सुरक्षा की दृष्टि से बाँध से क़रीब 100 फीट की दूरी पर 396 मीटर लंबा एवं 36 मीटर ऊँचा एक और बाँध बनवाया गया। महाराणा सज्जनसिंह एवं फहसिंह के समय में इन दो बाँधों के बीच के भाग को भरवाया गया और समतल भूमि पर वृक्षारोपण किया गया।

झील के बीच तीन टापू भी हैं, जिन पर कभी मीणा और साधु समुदाय के लोग रहते थे। यह विश्व-विख्यात झील जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य का एक अंग होने की वजह से, झील तथा उसके टापू और पृष्ठभाग में मौजूद अरावली पर्वत-माला असंख्य जलपक्षियों को आकर्षित करते हैं।

कहा जाता है कि, एक बार इस बाँध में पानी का स्तर ज़्यादा हो गया था, जिससे आस पास के क्षेत्रों में बाढ़ आ गयी। इस बाढ़ की चपेट में लगभग 10 गाँव आए और ये सारे गाँव बाढ़ के पानी में जलमग्न हो गये। उन गाँवों को झील के किनारे फिर से बसाया गया। कहा जाता है कि आज भी जब गर्मी के दिनों में झील के पानी का स्तर कम होता है, तो झील में उन गांवों के खंडहर नजर आते हैं।

यह बाँध अपने आप में आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। झील की तरफ़ के बाँध पर कुछ-कुछ दूरी पर बनी छह ख़ूबसूरत छतरियाँ पर्यटकों का मन मोह लेती हैं। गुम्बदाकार छतरियाँ पानी की तरफ़ उतरते हुए बनी हैं। इन छतरियों के सामने नीचे की ओर तीन-तीन बेदियाँ बनाई गई हैं। सबसे नीचे की बेदियों पर सूंड़ को ऊपर किए खड़ी मुद्रा में पत्थर की कारीगरी पूर्ण कलात्मक मध्यम कद के छह हाथियों की प्रतिमा बनाई गई है। यहीं पर बाँध के सबसे उँचे वाले स्थान पर महाराणा जयसिंह द्वारा भगवान शिव को सर्मपित ‘नर्मदेश्‍वर महादेव’ का कलात्मक मंदिर भी बनाया गया है।

पर्यटन स्थल – Dhebar Lake Tourist Place in Hindi

महाराजा जय सिंह द्वारा बनवायी गयी यह झील एक लोकप्रिय स्थल है। जयसमन्द झील पर्यटकों के आकर्षण का सबसे बड़ा केन्द्र बन गई है। झील के अंदर बांध के सम्मुख एक टापू पर पर्यटकों की सुविधा के लिए ‘जयसमन्द आइलेंड’ का निर्माण एक निजी फर्म द्वारा कराया गया है। यहाँ आने वाले पर्यटकों के लिए ठहरने के लिए अच्छे सुविधायुक्त वातानुकूलित कमरे, रेस्टोरेन्ट, तरणताल एवं विविध मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं। यहाँ तक पहुँचने के लिए नौका का संचालन किया जाता है। नौका से झील में घूमना अपने आप में अनोखा सुख का अनुभव देता है। जयसमन्द झील के निकट वन एवं वन्यजीव प्रेमियों के लिए वन विभाग द्वारा वन्यजीव अभयारण्य भी बनाया गया है। यहाँ एक मछली पालन का अच्छा केन्द्र भी है।

झील के पृष्ठभूमि में अरावली का ढलान, पलाश के वृक्षों के छोटे बड़े झुरमुट, कई फलों के वृक्ष जैसे खजूर, गूलर, लसोडा आदि के वृक्षों से भरा हुआ है। पास ही के खुले मैदान में बेर और खैर के वृक्ष यहाँ के वनस्पति नज़ारे को एक अलग ही रूप देते हैं। यह सारा इलाका पुराने समय के ज़माने में राजा महाराजाओं का पसंदीदा शिकारगाह था। उनके द्वारा बनवाई गई अनेक शिकार की ओदियां आज भी वहां मौजूद हैं।

आज यह विश्व-विख्यात झील जयसमंद वन्यजीव अभयारण्य का एक अंग है। झील तथा उसके टापू और पृष्ठभाग में मौजूद अरावली पर्वत-माला असंख्य जलपक्षियों को आकर्षित करते हैं। इन पक्षियों में शामिल हैं हवासिल, बुज्जे, चमचे, जलमोर, जलमखानी, कुररी, बलाक, क्रौंच, बगुले आदि।

ढेबर झील के बारे में रोचक तथ्य – Dhebar Lake Facts in Hindi

  • धेबर झील राजस्थान के उदयपुर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील उदयपुर शहर के पश्चिमी भाग में स्थित है और इसका निर्माण महाराणा जवाहर सिंह ने कराया था।
  • धेबर झील राजस्थान का सबसे बड़ा झील है। यह झील 6 किलोमीटर लंबा और 3 किलोमीटर चौड़ा है। इस झील का ढाई मीटर तक का अधिकांश भाग गहनता से भरा हुआ है।
  • धेबर झील राजस्थान के प्रमुख पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहां कई प्रकार के पक्षियों जैसे कि सारस, गांगा बैगन, तीतर, बटेर और चकवी आदि पाए जाते हैं।
  • धेबर झील के आस-पास एक बहुत बड़ा वन है जो राजस्थान के सबसे बड़े वनों में से एक है। यहां आप कई प्रकार के जंगली जानवरों को देख सकते हैं, जैसे कि तेंदुआ, चीता, लकड़बग्घा, हिरण, बाघ आदि।
  • धेबर झील एक बहुत ही अनुभवपूर्ण जगह है जो प्रकृति के साथ-साथ दर्शनीय स्थलों का भी एक समन्वय है। इसलिए, यह झील उदयपुर के पर्यटकों के लिए एक अनिवार्य दर्शनीय स्थल है।
  • धेबर झील के आस-पास कई खूबसूरत गांव हैं जो यहां के पर्यटकों को एक अनुभवपूर्ण ग्रामीण जीवन का अनुभव करने का मौका देते हैं।
  • इसके अलावा, धेबर झील उदयपुर शहर से कुछ ही किलोमीटर दूरी पर होने के कारण इसे आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां पर्यटक सुखद जलवायु, अद्भुत वन और भव्य पक्षियों का अनुभव कर सकते हैं।

FAQ

ढेबर झील का दूसरा नाम क्या है?

ढेबर झील को जयसमन्द झील के नाम से जाना जाता हैं।

जयसमंद झील का निर्माण कब और किसने करवाया था?

ढेबर झील का निर्माण महाराणा जयसिंह द्वारा 1687 एवं 1691 ईसवी के मध्य करवाया था।

राजस्थान की सबसे बड़ी कृत्रिम झील कौन सी है?

जयसमन्द ‘ढेबर’ झील


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