Venkatraman Ramakrishnan / भारतीय मूल के अमेरिकी विज्ञानी वेंकटरमण रामकृष्णन को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए साल 2009 का नोबेल पुरस्कार दिया गया हैं। यह पुरस्कार उन्हें अमेरिकी वैज्ञानिक थॉमस ए. स्टेट्ज और इस्राएल की अदा ई. योनथ के साथ संयुक्त रूप से दिया गया। इसके अलावा रामकृष्णन को वर्ष 2012 में नाइटहुड की उपाधि मिल चुकी हैं।
इन वैज्ञानिकों को राइबोसोम की संरचना और कार्यप्रणाली पर अध्ययन के लिए इन प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया। इन्होने थ्रीडी तकनीक के ज़रिए समझाया कि किस तरह रिबोसोम्ज़ अलग-अलग रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। इनकी इस उपलब्धि से कारगर प्रतिजैविकों को विकसित करने में मदद मिलेगी। वेंकी के नाम से मशहूर वेंकटरामन सातवें भारतीय एवं तीसरे तमिल मूल के व्यक्ति हैं जिनको नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
वेंकटरामन रामकृष्णन – Venkatraman Ramakrishnan Biography in Hindi
पूरा नाम – वेंकटरामन “वेंकी” रामकृष्णन.
जन्म – 1952.
जन्मस्थान – चिदंबरम, तमिल नाडु, भारत.
राष्ट्रीयता – संयुक्त राज्य अमेरिका.
कार्य – जैव रासायन, जैव-भौतिकी एवं कंप्यूटेशनल जीवविज्ञान.
प्रसिद्ध का कारण – एक्स-रे क्रिस्टेलोग्राफी, रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार,
वेंकटरमण रामकृष्णन ने सिद्ध किया की – रिबोसोम नाम रिबोन्यूक्लिइक एसिड और ग्रीक शब्द सोमा अर्थात शरीर के मेल से बना है। यह कण कोषिका के डीएनए को पढ़ता है और उसमें निहित आनुवंशिक सूचनाओं के अनुसार शरीर के अनगिनत प्रोटीन बनाता है। दूसरे शब्दों में वह हमारे शरीर की संरचना और रासायनिक स्तर पर इस संरचना के नियंत्रण का काम करता है। वह डीएनए के रूप में लिखे आनुवंशिक कोड को समझ कर उसे न्यूक्लिइक ऐसिड में बदलता है। इसे ट्रांसलेशन यानी अनुवाद क्रिया कहते हैं। साथ ही वह अलग-अलग अमाइनो ऐसिड़ों को जोड़ कर तथाकथित पॉलीपेप्टाइड कड़ियां बनाता है और संदेशवाही आरएनए की सहायता से उन्हें सही-सही क्रमबद्ध करता है। रिबोसोम आकार में केवल 20 नैनो मीटर जितने बड़े होते हैं। उनका पता सबसे पहले 1950 में रूमानिया के कोषिका वैज्ञानिक जिओर्जी पलादे ने लगाया था।
प्रारंभिक जीवन
वेंकटरामन रामकृष्णन’ तमिलनाडु के कड्डालोर जिले में स्तिथ चिदंबरम में 1952 में पैदा हुए थे। उनके पिता सी॰वी॰ रामकृष्णन और माता राजलक्ष्मी भी वैज्ञानिक थे। उनके पिता बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय में जैव रसायन विभाग के प्रमुख थे वेंकटरामन की प्रारंभिक शिक्षा अन्नामलाई विश्वविद्यालय में हुई. एवं उसके बाद इन्होंने 1971 में बड़ौदा के महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातक स्तर तक की पढ़ाई पूरी की।
स्नातक पूरा करने के बाद वे आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका चले गये और ओहियो विश्वविद्यालय में शोध-कार्य करना प्रारंभ किया जहाँ से 1976 में उन्हें पीएचडी की डिग्री प्राप्त हुई। इन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में कुछ दिनों तक शिक्षण कार्य भी किया। यहीं इनमें जीवविज्ञान के प्रति झुकाव बड़ा एवं अपने भौतिकी के ज्ञान का प्रयोग जीव विज्ञान में प्रारम्भ किया।
फ़िलहाल वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, (इंग्लैण्ड) के मेडिकल रिसर्च काउंसिल के मोलीक्यूलर बायोलॉजी लैबोरेट्री में जीव वैज्ञानिक के रूप में काम कर रहे हैं। रामकृष्णन्, अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के सदस्य होने के साथ साथ कैम्ब्रिज में स्तिथ ट्रिनिटी कॉलेज एवं रॉयल सोसायटी के फैलो भी हैं।
वेंकटरामन रामकृष्णन ने 1977 में करीब 95 शोधपत्र प्रकाशित किए। वर्ष 2000 में वेंकटरामन ने प्रयोगशाला में राइबोसोम की तीस ईकाईयों का पता लगाया और प्रतिजैविकों के साथ इनके यौगिकों पर भी अनुसंधान किया। 26 अगस्त 1999 को इन्होंने राइबोसोम पर आधारित तीन शोधपत्र प्रकाशित किए। उनका यह शोधकार्य 21 सितबंर 2000 को नेचर पत्रिका में छपा। उनके हालिया शोध से राइबोसोम की परमाणु संरचना का पता लगता है। रामकृष्णन् का नाम हिस्टोन और क्रोमैटिन की संरचना कार्य के लिए भी जाना जाता है।
रामकृष्णन ने वेरा रोसेनबेर्री के साथ विवाहित हैं। वेरा स्वयं एक लेखिका हैं। उनकी सौतेली बेटी तान्या कप्का औरिगन में डॉक्टर है और उनके बेटे रमन रामकृष्णन न्यूयॉर्क में आधारित वायलनचेलो संगीतकार हैं।
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