सावन ‘श्रावण’ में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Bhagwan shiv ko kaise prasan kare

श्रावण हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवा महीना जो ईस्वी कलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है। इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है। यह महीना शिवजी की भक्ति का महीना है। श्रावण मास को सावन माह भी कहते है। मान्यता है कि जो लोग इस माह में शिवजी की पूजा करते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं। कार्यों में आ रही मुश्किलें खत्म हो जाती हैं और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। जानें इस विशेष महीना में भगवान शिव को प्रसन्न करने के उपाय जिन्हें करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

सावन (श्रावण) में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Shiv Bhagwan Ko Prasan Karne Ke Upay

रोज सुबह घर में गोमूत्र का छिड़काव करने के साथ ही गुग्गुल धूप जलाने से घर में किसी भी तरह की परेशानी दूर हो जाती है।

घर में सुख समृद्धि बरकरार रखने के लिए सावनभर नंदी (बैल) को हरा चारा खिलाएं।

सावन में रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ऊं नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। अगर रोज संभव न हो तो कम से कम प्रत्येक सोमवार ऐसा करें।

यदि विवाह में अड़चन आ रही है तो रोज शिवलिंग पर केसर मिला दूध चढ़ाएं। समस्या दूर हो जाएगी।

पति-पत्नी में प्रेम न हो, गृह क्लेश हो तो मक्खन-मिश्री का मिश्रण 108 बिल्वपत्रों पर रखकर चढ़ाएं। मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होगी।

धन संबंधी परेशानी है तो किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं और ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करें। धन संकट दूर होगा।

गरीबों को भोजन कराने से घर में अन्न की कमी नहीं होती साथ ही पितरों को भी शांति मिलती है।

आमदनी बढ़ाने के लिए सावन के महीने में किसी भी दिन घर में पारद शिवलिंग की स्थापना करें और उसकी यथा विधि पूजन करें इस दौरान ‘ऐं ह्रीं श्रीं ऊं नम: शिवाय: श्रीं ह्रीं ऐं’ इस मंत्र का 108 बार जाप करें

श्रवण सोमवार व्रत रखे और विधि विधान से शिव पूजा करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें।

मारकेश या मारक दशा चल रही हो तो मृत संजीवनी या महामृत्युंजय मंत्र के सवा लाख जप कराकर अभिषेक करें।

यदि सुख-समृद्धि की इच्छा हो तो भांग को घोटकर शिवजी का अभिषेक करें, लाभ होगा।

घर में बीमारियां अधिक फैैली रहती हैं तो सावन के प्रत्येक सोमवार को पानी में दूध व काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक तांबे से न करें। इसके बाद भगवान शिव से रोग निवारण के लिए प्रार्थना करें और प्रत्येक Shravan के सोमवार को रात में सवा नौ बजे के बाद गाय के सवा पाव कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करने का संकल्प लें।

कालसर्प के लिए भी शिवपूजा विशेष फलदायी है। कलियुग में शिव की पार्थिव पूजा का विधान भी है। इसके लिए बांबी, गंगा, तालाब, वेश्या के घर और घुड़साल की मिट्टी तथा मक्खन और मिश्री मिलाकर 108 शिवलिंग बनाकर उनका अभिषेक करें तो सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी, लेकिन सायंकाल को यह सभी 108 शिवलिंग जल में प्रवाहित कर दें।

सावन में किसी नदी या तालाब जाकर आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं और साथ ही साथ मन में भगवान शिव का ध्यान करते रहें। यह धन प्राप्ति का सबसे आसान उपाय है।

मन्त्र –

ऊंकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिन:।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नम:।।

नमंति ऋषयो देवा नमंत्यप्सरसां गणा:।
नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो नम:।।

महादेवं महात्मानं महाध्यानं परायणम्।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नम:।।

शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकनुग्रहकारकम्।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नम:।।

वाहनं वृषभो यस्य वासुकि: कंठभूषणम्।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नम:।।

यत्र यत्र स्थितो देव: सर्वव्यापी महेश्वर:।
यो गुरु: सर्वदेवानां यकाराय नमो नम:।।

षडक्षरमिदं स्तोत्रं य: पठेच्छिवसंनिधौ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते।।


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