नीलम संजीव रेड्डी की जीवनी | Neelam Sanjiva Reddy Biography in Hindi

Neelam Sanjiva Reddy – नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल 25 जुलाई, 1977 से 25 जुलाई 1982 तक रहा। नीलम संजीव रेड्डी भारत के ऐसे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होते हुए प्रथम बार विफलता प्राप्त हुई और दूसरी बार उम्मीदवार बनाए जाने पर राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। प्रथम बार इन्हें वी.वी गिरी के कारण बहुत कम अंतर से हार स्वीकार करनी पड़ी थी। तब यह कांग्रेस द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाए गये थे और अप्रत्याशित रूप से हार गए। दूसरी बार गैर कांग्रेसियों(जनता पार्टी) ने इन्हें प्रत्याशी बनाया और यह विजय हुए।

नीलम संजीव रेड्डी की जीवनी | Neelam Sanjiva Reddy Biography In Hindi

नीलम संजीव रेड्डी की जीवनी – About Neelam Sanjiva Reddy in Hindi

पूरा नामनीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjiva Reddy)
जन्म दिनांक19 मई 1913
जन्म भूमिइल्लुर ग्राम, अनंतपुर ज़िला, आंध्र प्रदेश
मृत्यु1 जून 1996
पिता का नामनीलम चिनप्पा रेड्डी
माता का नामज्ञात नहीं
पत्नीश्रीमती नागा रत्नम्मा
कर्म-क्षेत्रराजनितिक
नागरिकताभारतीय
शिक्षास्नातक
पदभारत के छठे राष्ट्रपति

प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने जब वी.वी गिरि को राष्ट्रपति चुनाव जीतने में सफलता प्रदान कराई तब यह लगा था कि नीलम संजीव रेड्डी ने एक ऐसा मौका गंवा दिया जो अब उनकी जिंदगी में कभी नहीं आएगा। लेकिन राजनीति के पंडितों के अनुमान और दावे धरे के धरे रह गए। भाग्य की शुभ करवट ने नीलम संजीव रेड्डी जैसे हारे हुए योद्धा को विजय योद्धा के रूप में परिवर्तित कर दिया। यह भारतीय राजनीति के ऐसे अध्याय बनकर सामने हैं जो अनिश्चितता का प्रतिनिधित्व करते नजर आते हैं। यह भारत के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जो निर्विरोध निर्वाचित हुए।

प्रारंभिक जीवन और पृष्टभूमि – Early Life of Neelam Sanjiva Reddy

भारत के छठे निर्वाचित राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई 1913 को इल्लुर गाँव, अनंतपुर जिले में हुआ था। जो आंध्र प्रदेश में है। उनका परिवार संभ्रांत तथा भगवान शिव का परम भक्त था। इनके पिता का नाम नीलम चिनप्पा रेड्डी था। जो कांग्रेस पार्टी के काफी पुराने कार्यकर्ता और प्रसिद्ध नेता टी प्रकाशम के साथी थे।

इनका विवाह 8 जून, 1935 को नागा रत्नम्मा के साथ सम्पन्न हुआ था। इनके एक पुत्र एवं तीन पुत्रियाँ हैं। पुत्र सुधीर रेड्डी अनंतपुर में सर्जन की हैसियत से अपना स्वतंत्र क्लिनिक पार्टी ऑफ़ इण्डिया के प्रभावशाली नेता रहे हैं और आज़ादी की लड़ाई में यह भी कई बार जेल गए हैं।

शिक्षा और राजनैतिक जीवन – Neelam Sanjiva Reddy Life History

नीलम संजीव रेड्डी का प्रथमिक शिक्षा थियोसोफिकल हाई स्कूल आड़यार, मद्रास में संपन्न हुई। आगे की शिक्षा आर्ट्स कॉलेज अनंतपुर में प्राप्त की। महात्मा गांधी के आह्वान पर जब लाखो युवा पढ़ाई और नौकरी का त्याग कर स्वाधीनता संग्राम में जुड़ रहे थे तभी नीलम संजीव रेड्डी मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही इस आंदोलन में कूद पड़े थे। उन्होंने भी पढ़ाई छोड़ दी थी। श्री रेड्डी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया था। उस समय आकर्षण का केंद्र बने, जब उन्होंने विद्यार्थी जीवन में सत्याग्रह किया था। वह युवा कांग्रेस के सदस्य थे। उन्होंने कई राष्ट्रवादी कार्यक्रमों में हिस्सेदारी भी की थी। इस दौरान उन्हें कई बार जेल की सजा भी काटनी पड़ी।

20 वर्ष की उम्र में ही श्री रेड्डी काफी सक्रिय हो चुके थे। राज्य की राजनीतिक में भी एक कुशल प्रशासक के तौर पर इनका प्रभाव अनुभव किया जाने लगा था। यह 1936 में आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के सामान्य सचिन निर्वाचित हुए और इस पद पर 10 वर्ष से अधिक समय गुजारा। यह इस बात को सिद्ध करता है कि वह प्रतिभावान है और उनमें नेतृत्व के गुण थे।

भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान भी ये जेल गए और सन 1940 से 1945 के बीच जेल में ही रहे। मार्च 1942 में सरकार ने उन्हें छोड़ दिया था पर अगस्त 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में फिर गिरफ्तार हो गए। उन्हें गिरफ्तार कर अमरावती जेल भेज दिया गया जहाँ उन्हें टी. प्रकाशम्, एस. सत्यमूर्ति, के. कामराज और वी. वी. गिरी जैसे आन्दोलनकारियों के साथ रखा गया।

अप्रैल 1949 से अप्रैल 1951 तक वे मद्रास राज्य से निषेध, आवास और वन मिनिस्टर भी थे। 1951 के चुनाव में कम्युनिस्ट लीडर तरिमेला नागी रेड्डी के खिलाफ मद्रास वैधानिक असेंबली के लिए हुए चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

सन 1960 और 1962 के मध्य नीलम संजीव रेड्डी तीन बार भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वो तीन बार राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1966 में लाल बहादुर शास्त्री मंत्रिमंडल में वह इस्पात और खनन मंत्री रहे और जनवरी 1966 से मार्च 1967 के मध्य उन्होंने इंदिरा गाँधी सरकार में परिवहन, नागरिक उड्डयन, जहाजरानी और पर्यटन मंत्रालय संभाला।

सन 1967 के लोक सभा चुनाव में रेड्डी आंध्र प्रदेश के हिन्दुपुर से जीतकर सांसद बन गए और 17 मार्च को उन्हें लोक सभा का अध्यक्ष चुन लिया गया। लोक सभा अध्यक्ष पद को निष्पक्ष और स्वतंत्र रखने के लिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अध्यक्ष को संसद का प्रहरी कहा और कई मौकों पर इंदिरा गाँधी से भी मोर्चा ले लिया जिसका खामियाजा उन्हें दो साल बाद राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भुगतना पड़ा।

राष्ट्रपति का पदभार – Neelam Sanjiva Reddy 

21 जुलाई 1977 को नीलम संजीव रेड्डी की नियुक्ती राष्ट्रपति के पद पर की गयी और 25 जुलाई 1977 को वे भारत के छठे राष्ट्रपति बने। रेड्डी ने तीन सरकारों के साथ काम किया था, प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, चरण सिंह और इंदिरा गाँधी। भारत की आज़ादी की 20 वी एनिवर्सरी पर रेड्डी ने घोषणा की थी वे राष्ट्रपति भवन को छोड़कर एक छोटे आवास में रहने के लिए जा रहे है और उन्होंने उन्हें मिलने वाले पैसो में 70% की कटौती देश के विकास के लिए भी की थी।

निधन – Neelam Sanjiva Reddy Died

नीलम संजीव रेड्डी का देहान्त 1 जून, 1996 को 83 वर्ष की आयु में हुआ। वे एक अनुभवी राजनेता ही नहीं बल्कि एक अच्छे कवि और कुशल प्रशासक भी थे। उन्होंने राजनीति में रहते हुए उसकी गरिमा का सदैव पालन किया। एक पक्के राष्ट्रवादी व्यक्ति के रूप में नीलम संजीव रेड्डी को सदैव याद किया जाएगा।

इन्होने पने जीवन काल में जर्मनी, आस्ट्रेलिया, यू. के, फ्रांस, हंगरी, पोलैण्ड, कनाडा, पेरू, नेपाल, यूगांडा, जाम्बिया, केन्या और अमेरिका की यात्रा की हैं। इन्हे 1958 में वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, त्रिमूर्ति द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।


और अधिक लेख :-

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *