मुक्तेश्वर मंदिर का इतिहास, जानकारी | Mukteshwar Temple History in Hindi

Mukteshwar Temple / मुक्तेश्वर मंदिर जिसे शिव मंदिर और मुक्तेश्वर धाम कहा जाता है भुवनेश्वर के ख़ुर्द ज़िले में स्थित है। यह मुक्तेश्वर में स्थित एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है। मुक्तेश्वर मंदिर दो मन्दिरों का समूह है: परमेश्वर मंदिर तथा मुक्तेश्वर मंदिर। मुक्तेश्वर मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है।

मुक्तेश्वर मंदिर का इतिहास, जानकारी | Mukteshwar Temple History in Hindi

मुक्तेश्वर मंदिर का इतिहास – Mukteshwar Temple History in Hindi

भुवनेश्वर स्थित मुक्तेश्वर मंदिर 10वीं शताब्दी का मंदिर है। यह शहर का एक महत्वपूर्ण लैंडमार्क है। मुक्तेश्वर मंदिर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए लगभग 100 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। यह मंदिर समुद्र सतह से 7000 फुट की ऊँचाई पर पहाड़ी की छोटी पर स्थित है। 350 वर्ष पुराना यह मंदिर हिंदू भगवान शिव को समर्पित है और हिंदुओं के लिए इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

यहाँ भगवान शिव के साथ ब्रह्मा, विष्णु, पार्वती, हनुमान और नंदी जी भी विराजमान हैं। मन्दिर के बाहर लंगूरों का जमावड़ा लगा रहता है। इस मंदिर में शिवलिंग सफ़ेद संगमरमर का बना हुआ है और योनि तांबे से बनी है। यह मंदिर कलिंग वास्तुकला पर बना हैं।

परमेश्वर मंदिर तथा मुक्तेश्वर मंदिर की स्‍थापना 970 ई. के आसपास हुई थी। परमेश्वर मंदिर अभी सुरक्षित अवस्‍था में है। यह मन्दिर इस क्षेत्र के पुराने मन्दिरों में सबसे आकर्षक है। इसमें आकर्षक चित्रकारी भी की गई है। एक चित्र में एक नर्त्तकी और एक संगीतज्ञ को बहुत अच्‍छे ढंग से दर्शाया गया है। इस मन्दिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग है। यह शिवलिंग अपने बाद के लिंगराज मन्दिर के शिवलिंग की अपेक्षा ज्‍यादा चमकीला है।

मुक्तेश्वर मंदिर में नागर शैली और कलिंग वास्तुकला का अद्भूत मेल देखा जा सकता है। मुक्तेश्वर मंदिर में नक़्क़ाशी का बेहतरीन काम किया गया है। इस मन्दिर में की गई चित्रकारी काफ़ी अच्‍छी अवस्‍था में है। एक चित्र में कृशकाय साधुओं तथा दौड़ते बंदरों के समूह को दर्शाया गया है। एक अन्‍य चित्र में पंचतंत्र की कहानी को दर्शाया गया है। इस मन्दिर के दरवाज़े आर्क शैली में बने हुए हैं। इस मन्दिर के खंभे पर भी नक़्क़ाशी की गई है। इस मन्दिर का तोरण मगरमच्‍छ के सिर जैसे आकार का बना हुआ है। इस मन्दिर के दायीं तरफ एक छोटा सा कुआं है इसे मरीची कुंड के नाम से भी जाना जाता है।

इस मंदिर को कई कारणों से काफी प्रसिद्धि मिली है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है यहां की हजारों प्रतिमाएं और अद्भुत वास्तुशिल्पीय शैली, जो मंदिर को हर तरफ से घेरे हुए है।

मुक्तेश्वर का अर्थ होता है- स्वतंत्रता का भगवान। मंदिर के परिसर में हर साल तीन दिवसीय नृत्य उत्सव का आयोजन किया जाता है। यह आयोजन ओडिशा पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है और इसका उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम में ओडिशा के परंपरागत नृत्य ओडीसी की प्रस्तुति दी जाती है। मंदिर में श्रद्धालुओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में पर्यटक भी आते हैं।


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