Lord Krishna / भगवान् श्रीकृष्ण को हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है, तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण के ही माने जाते हैं।
कृष्ण भगवान की जानकारी – Lord Krishna Information in Hindi
श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर ‘युग पुरुष’ थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभा सम्पन्न ‘राजनीतिवेत्ता’ ही नही, एक महान ‘कर्मयोगी’ और ‘दार्शनिक’ प्राप्त हुआ, जिसका ‘गीता’ ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है। वे लोग जिन्हें हम साधारण रूप में नास्तिक या धर्म निरपेक्ष की श्रेणी में रखते हैं, निश्चित रूप से ‘श्रीमद् भगवद्गीता’ से प्रभावित हैं। ‘गीता’ किसने और किस काल में कही या लिखी यह शोध का विषय है, किन्तु ‘गीता’ को कृष्ण से ही जोड़ा जाता है। यह आस्था का प्रश्न है और यूँ भी आस्था के प्रश्नों के उत्तर इतिहास में नहीं तलाशे जाते।
कृष्ण की जन्म की कहानी – Krishna birth story in hindi
देवकी मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या थी। कंस अपनी छोटी चचेरी बहन देवकी से अत्यन्त स्नेह करता था। देवकी शूर-पुत्र वसुदेव को ब्याही गई थी। जब उसका विवाह वसुदेव से हुआ तो कंस स्वयं रथ हाँककर अपनी बहन को उसकी ससुराल पहुँचाने के लिए चला। उल्लेख है कि कंस के चाचा और उग्रसेन के भाई देवक ने अपनी सात पुत्रियों का विवाह वसुदेव से कर दिया था, जिनमें से देवकी भी एक थी।
जब कंस रथ हाँक रहा था, तभी मार्ग में आकाशवाणी हुई- “हे मूर्ख! तू जिसे इतने प्रेम से पहुँचाने जा रहा है, उसी का आठवाँ गर्भ तेरा वध करेगा।” आकाशवाणी सुनते ही कंस का बहन के प्रति सारा प्रेम समाप्त हो गया। पुराणों के अनुसार जब कंस को यह भविष्यवाणी ज्ञात हुई कि देवकी के अाठवें गर्भ के हाथ से उसकी मृत्यु होगी तो वह बहुत सशंकित हो गया। उसने वसुदेव-देवकी को कारागार में बन्द करा दिया।
कंस द्वारा आजीवन कारावास में डाल दिये जाने के पश्चात देवकी तथा वसुदेव का कष्टमय जीवन प्रारम्भ हो गया। इसके बाद देवकी के छ: पुत्रों को कंस ने क्रमश: मौत के घाट उतार दिया। सातवें बच्चे (बलराम) का उसे कुछ पता ही नहीं चला। जब आठवें बच्चे की बारी आई तो कारागार में पहरा दुगना कर दिया गया। कारागार में बहुत से सैनिक तैनात कर दिए गए।
यथा समय देवकी की आठवीं सन्तान कृष्ण का जन्म कारागार में भादों कृष्ण पक्ष अष्टमी की आधी रात को हुआ। जिस समय वे प्रकट हुए प्रकृति सौम्य थी, दिशायें निर्मल हो गई थीं और नक्षत्रों में विशेष कांति आ गई थी। कारागार में अचानक प्रकाश हुआ। हाथ मे गदा, शंख धारण किये हुए चतुर्भुज रूप में भगवान विष्णु प्रकट हुवे। देवकी और वासुदेव उनके चरणों मे गिर पड़े। भगवन ने कहा, मैं पूण: बच्चे के रूप लेता हूँ और तुम मुझे यशोदा और नंद के घर छोड़ आओ। उनके यहाँ जन्मी पुत्री को लाकर कंस के हवाले कर दो। तुम चिंता न करो, कारागार के सरे पहरेदार सो जायेंगे और यमुना भी तुम रास्ता देगी।
आदेशानुसार वासुदेव जी शिशु श्री कृष्ण को सूप में रखकर निकल पड़े। वृन्दावन पहुंचकर बच्चे को सुलाकर वे नन्द की पुत्री को लेकर वापस आ गए। वापस पहुँचने के बाद फाटक स्वतः बन्द हो गया। ये खबर जैसे ही कंस को लगी उसने, कारागार आठवे पुत्र को मारने के लिए आ धमका। कंस ने जैसे ही उसको छीन कर पटक कर मारने की कोशिश की वो बच्ची तुरंत हवा के उड़ गयी और बोली – हे दुष्ट प्राणी मुझे मारने से तुझको क्या मिलेगा, तेरा वध करने वाला वृन्दावन जा पहुँचा है। इतना बोलकर वो गायब हो गयी। इस तरह कृष्ण का बचपन यशोदा और नंद के घर बिता। कंश भी श्रीकृष्ण को मारने के लिए कई राक्षस भेजे, लेकिन कभी सफल नहीं हो पाया।
कृष्ण का प्रारंभिक जीवन तो ब्रज में कटा और शेष द्वारका में व्यतीत हुआ। बीच-बीच में उन्हें अन्य अनेक जनपदों में भी जाना पड़ा। जो अनेक घटनाएं उनके समय में घटीं, उनकी विस्तृत चर्चा पुराणों तथा महाभारत में मिलती है। वैदिक साहित्य में तो कृष्ण का उल्लेख बहुत कम मिलता है और उसमें उन्हें मानव-रूप में ही दिखाया गया है, न कि नारायण या विष्णु के अवतार रूप में।
कृष्ण जन्म का समय – Lord Krishna Birth Time
हाल ही में ब्रिटेन में रहने वाले शोधकर्ता ने खगोलीय घटनाओं, पुरातात्विक तथ्यों आदि के आधार पर कृष्ण जन्म और महाभारत युद्ध के समय का सटिक वर्णन किया है। ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलिय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे।
विष्णु के अवतार –
सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है, तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार ‘श्रीराम’ और ‘श्रीकृष्ण’ के ही माने जाते हैं। श्रीकृष्ण ऐतिहासिक पुरुष थे, इसका स्पष्ट प्रमाण ‘छान्दोग्य उपनिषद’ के एक उल्लेख में मिलता है। वहाँ कहा गया है कि “देवकी पुत्र श्रीकृष्ण को महर्षिदेव:कोटी आंगिरस ने निष्काम कर्म रूप यज्ञ उपासना की शिक्षा दी थी, जिसे ग्रहण कर श्रीकृष्ण ‘तृप्त’ अर्थात पूर्ण पुरुष हो गए थे।” श्रीकृष्ण का जीवन, जैसा कि महाभारत में वर्णित है, इसी शिक्षा से अनुप्राणित था और ‘गीता’ में उसी शिक्षा का प्रतिपादन उनके ही माध्यम से किया गया है।
श्रीकृष्ण शिक्षा-दीक्षा – Lord Krishna in Hindi
योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण ने वेद और योग की शिक्षा और दीक्षा उज्जैन स्थित महर्षि सांदिपनी के आश्रम में रह कर हासिल की थी। वह योग में पारगत थे तथा योग द्वारा जो भी सिद्धियाँ होती है वह स्वत: ही उन्हें प्राप्य थी। सिद्धियों से पार भी जगत है वह उस जगत की चर्चा गीता में करते हैं। गीता मानती है कि चमत्कार धर्म नहीं है। स्थितप्रज्ञ हो जाना ही धर्म है।
कृष्ण पत्नी और प्रेमिका – Krishna ki Premikaye
कृष्ण को चाहने वाली अनेकों गोपियाँ और प्रेमिकाएँ थी। कृष्ण-भक्त कवियों ने अपने काव्य में गोपी-कृष्ण की रासलीला को प्रमुख स्थान दिया है। पुराणों में गोपी-कृष्ण के प्रेम संबंधों को आध्यात्मिक और अति श्रांगारिक रूप दिया गया है। महाभारत में यह आध्यात्मिक रूप नहीं मिलता।
रुक्मिणी, सत्यभामा, जाम्बवती आदि कृष्णकी विवाहिता पत्नियाँ हैं। राधा, ललिता आदि उनकी प्रेमिकाएँ थी। उक्त सभी को सखियाँ भी कहा जाता है। राधा की कुछ सखियाँ भी कृष्ण से प्रेम करती थी जिनके नाम निम्न है:- चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रग्डदेवी और सुदेवी हैं। ब्रह्मवैवर्त्त पुराण अनुसार कृष्ण की कुछ ही प्रेमिकाएँ थी जिनके नाम इस तरह है:- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा।
कृष्ण निवास – Lord Krishna Nivash
गोकुल, वृंदावन और द्वारिका में कृष्ण ने अपने जीवन के कई महत्वपूर्ण क्षण गुजारे। पूरे भारतवर्ष में कृष्ण अनेकों स्थान पर गए। वे जहाँ-जहाँ भी गए उक्त स्थान से जुड़ी उनकी गाथाएँ प्रचलित है लेकिन मथुरा उनकी जन्मभूमि होने के कारण हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
महाभारत का युद्ध और जानकारी – Mahabharat Information in Hindi
कौरवों और पांडवों के बीच हस्तिनापुर की गद्दी के लिए कुरुक्षेत्र में विश्व का प्रथम विश्वयुद्ध हुआ था। कुरुक्षेत्र हरियाणा प्रान्त का एक जिला है। मान्यता है कि यहीं भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
कृष्ण इस युद्ध में पांडवों के साथ थे। आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ई.पू. में हुआ। नवीनतम शोधानुसार यह युद्ध 3067 ई. पूर्व हुआ था। इस युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी। कृष्ण जन्म और मृत्यु के समय ग्रह-नक्षत्रों की जो स्थिति थी उस आधार पर ज्योतिषियों अनुसार कृष्ण की आयु 119-33 वर्ष आँकी गई है।
कृष्ण ने महाभारत युद्ध के दौरान महाराजा पांडु एवं रानी कुंती के तीसरे पुत्र अर्जुन को जो उपदेश दिया वह गीता के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वेदों का सार है उपनिषद और उपनिषदों के सार को गीता कहा गया है। ऋषि वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। गीता महाभारत के भीष्मपर्व का हिस्सा है।
स्वयं भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा है कि युद्ध क्षेत्र में जो ज्ञान मैंने तुझे दिया था उस वक्त मैं योगयुक्त था। अत: उस अवस्था में परमात्मा की बात कहते हुए, वह परमात्मा के प्रतिनिधि बनते हुए परमात्मा हैं या उनमें किसी प्रकार का अहंकार है।
श्रीकृष्ण की मृत्यु – Lord Krishna death Story in hindi
महाभारत के युद्ध के बाद द्वारिका बहुत ही शांत और खुशहाल थी। धीरे धीरे श्रीकृष्ण के पुत्र यदुवंश बहुत ही शक्तिशाली बन गया था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने चंचलता के वशीभूत होकर दुर्वासा ऋषि का अपमान कर दिया था। जिसके बाद दुर्वासा ऋषि ने क्रोध में आकर सांब को यदुवंश के विनाश का श्राप दे दिया था। इस श्राप के कारण यदुवंश में गृहयुद्ध हुआ और धीरे-धीरे विनाश हो गया।
श्रीकृष्ण अपने वंश की विनाश लीला को देख कर बहुत व्यथित थे। अपनी इसी व्यथा के कारण ही वे वन में रहने लगे थे। एक दिन जब वे वन में एक पीपल के पेड़ के नीचे योग निंद्रा में विश्राम कर रहे थे तभी जरा नामक एक शिकारी ने इनके पैर को हिरण समझ कर उस पर विषयुक्त बाण से प्रहार कर दिया था। विषयुक्त बाण के इसी भेदन को बहाना बनाकर श्रीकृष्ण ने अपने देह रूप को त्याग दिया और नारायण रूप में बैकुण्ठ धाम में विराजमान हो गए।
कृष्ण लीलाएँ – Lord Krishna Lilaye
कृष्ण लीलाओं का जो विस्तृत वर्णन भागवत ग्रंथ में किया गया है, उसका उद्देश्य क्या केवल कृष्ण भक्तों की श्रद्धा बढ़ाना है या मनुष्य मात्र के लिए इसका कुछ संदेश है? तार्किक मन को विचित्र-सी लगने वाली इन घटनाओं के वर्णन का उद्देश्य क्या ऐसे मन को अतिमानवीय पराशक्ति की रहस्यमयता से विमूढ़वत बना देना है अथवा उसे उसके तार्किक स्तर पर ही कुछ गहरा संदेश देना है, इस पर विचार करना चाहिए। श्रीकृष्ण एक ऐतिहासिक पुरुष हुए हैं, इसका स्पष्ट प्रमाण ‘छान्दोग्य उपनिषद’ के एक उल्लेख में मिलता है। वहाँ कहा गया है कि देवकी पुत्र श्रीकृष्ण को महर्षिदेव:कोटी आंगिरस ने निष्काम कर्म रूप यज्ञ उपासना की शिक्षा दी थी, जिसे ग्रहण कर श्रीकृष्ण ‘तृप्त’ अर्थात पूर्ण पुरुष हो गए थे।
कृष्ण के जीवन में बहुत रोचकता और उथल-पुथल रही है। बाल्यकाल में वे दुनिया के सर्वाधिक नटखट बालक रहे, तो किशोर अवस्था में गोपियों के साथ पनघट पर नृत्य करना और बाँसुरी बजाना उनके जीवन का सबसे रोचक प्रसंग है। कुछ और बड़े हुए तो मथुरा में कंस का वध कर प्रजा को अत्याचारी राजा कंस से मुक्त करने के उपरांत कृष्ण ने अपने माता-पिता को भी कारागार से मुक्त कराया। इसके अलावा कृष्ण ने पूतना, शकटासुर, यमलार्जुन मोक्ष, कलिय-दमन, धेनुक, प्रलंब, अरिष्ट आदि राक्षसों का संहार किया था। श्रीकृष्ण ही ऐसे थे जो इस पृथ्वी पर सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए थे। और उनमें सभी तरह की शक्तियाँ थी।
श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ीं तथ्य – Facts about Lord Krishna in Hindi
- भगवान श्रीकृष्ण की त्वचा का रंग मेघश्यामल था और उनके शरीर से एक मादक गंध निकलती थी।
- भगवान् श्री कृष्ण के परमधामगमन के समय ना तो उनका एक भी केश श्वेत था और ना ही उनके शरीर पर कोई झुर्री थीं।
- भगवान् श्री कृष्ण के खड्ग का नाम नंदक, गदा का नाम कौमौदकी और शंख का नाम पांचजन्य था जो गुलाबी रंग का था।
- प्रचलित अनुश्रुतियों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने मार्शल आर्ट का विकास ब्रज क्षेत्र के वनों में किया था। डांडिया रास का आरंभ भी उन्हीं ने किया था।
- भगवान श्रीकृष्ण के रथ का नाम जैत्र था और उनके सारथी का नाम दारुक/ बाहुक था। उनके घोड़ों (अश्वों) के नाम थे शैव्य, सुग्रीव, मेघपुष्प और बलाहक।
- भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, बनवारी, चक्रधर, देवकीनंदन, हरि, और कन्हैया प्रमुख हैं।
- श्रीकृष्ण से भगवत गीता सबसे पहले सिर्फ अर्जुन ने ही नहीं, बल्कि हनुमान और संजय ने भी सुनी थी। हनुमान कुरुक्षेत्र के युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ में सबसे ऊपर सवार थे।
- श्रीकृष्ण की कुल 16108 पत्नियां थीं, जिनमें से आठ उनकी पटरानियां थीं। उनके नाम रुक्मिणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा था। बाकी वे रानियां थीं जिनका भौमासुर ने अपहरण कर लिया था। भौमासुर से उनकी जान जब श्रीकृष्ण ने बचाई तो वे कहने लगीं अब हमें कोई स्वीकार नहीं करेगा तो हम कहां जाएं। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा देकर उनका जिम्मा उठाया।
- भगवान श्री कृष्ण के जीवन का सबसे भयानक द्वंद्व युद्ध सुभद्रा की प्रतिज्ञा के कारण अर्जुन के साथ हुआ था, जिसमें दोनों ने अपने अपने सबसे विनाशक शस्त्र क्रमशः सुदर्शन चक्र और पाशुपतास्त्र निकाल लिए थे। बाद में देवताओं के हस्तक्षेप से दोनों शांत हुए।
और अधिक लेख –
- भगवान श्रीराम की कथा, इतिहास
- श्रीमद्भगवद्गीता के 70 महत्वपूर्ण अनमोल वचन
- यमुनोत्री मंदिर का इतिहास, जानकारी
Story of Lord Krishna from Birth to death in Hindi से जुडी कोई सवाल हो तो कमेंट के माध्यम से पूछे।
Hare krishna hare krishna krishna krishna hare hare hare ram hare ram ram ram hare hare
आपने काफी अच्छी तरह से कृष्ण जी के बारे में बताया हे.
कृष्ण जी की एक और अद्भुत कहानी ये भी पढ़े,
धन्यवाद्,
रश्मि दुबे
Hare krishan
Hare ram
Krishna ki age kit I thi.ex lekh me Pahle kaha,gya ki 55 saal me, Mahabharat Hui.uske 35 sal bad Sri Krishna ki Mratu ho gyi.Lekin totel age 119 Waal.WHY