Khooni Darwaza / ख़ूनी दरवाज़ा, दिल्ली में बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर दिल्ली गेट के निकट स्थित है। इसे लाला दरवाज़ा के भी नाम से जाना जाता हैं। इस दरवाज़ा के बारे में कहा जाता है कि मॉनसून में इसकी छत से खून की बूंदें टपकती हैं। इतना ही नहीं रात में किसी के चिल्लाने की आवाज भी सुनाई पड़ती है। अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर के बेटों की हत्या अंग्रेजों ने यहीं की थी। इसके अलावा औरंगजेब ने भी अपने भाई दाराशिकोह का सिर काटकर यहीं लटकाया था। अब यह दरवाज़ा दिल्ली में स्थित एक आकर्षक पर्यटन स्थल है।
ख़ूनी दरवाज़ा का इतिहास – Khooni Darwaza History in Hindi
Khooni Darwaza – खूनी दरवाजा नाम इससे सम्बन्धित कहानियों के जैसा बड़ी डरावनी है। मुस्लिम शूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी द्वारा बनवाये गये फिरोज़ाबाद के लिये इस द्वार को बनवाया गया था जिसे काबुली बाज़ार के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि अफ्गानिस्तान से आने वाले लोग इस द्वार से गुजरते थे। यह 15.5 मीटर ऊँचा दरवाजा दिल्ली के क्वार्टज़ाइट पत्थर का बना है। इस दरवाज़े में तीन स्तर हैं जिनपर इसमें स्थित सीढ़ियों के माध्यम से पहुँचा जा सकता है।
22 सितम्बर 1857 को बहादुरशाह जफर के आत्मसमर्पण के बाद ब्रिटिश नेता विलियम हडसन द्वारा मुगल वंश के तीन राजकुमारों का कत्ल कर दिया गया था जिसमें बहादुरशाह जफर के बेटे मिर्जा मुगल और खिज्र सुलतान और पोता मिर्जा अबू बख्र शामिल थे। इसलिये इस गेट का नाम खूनी दरवाजा पड़ा।
खुनी दरवाज़े से जुड़ी कुछ अन्य प्रचलित कहानिया – Khooni Darwaza Story in Hindi
ऐसा माना जाता है कि अकबर के बेटे जहाँगीर ने अकबर के नवरत्नों में से एक, अब्दुल रहीम खानखाना के बेटों को इस गेट पर मरवा दिया था और उनके शरीर को सड़ने के लिये लटका दिया था क्योंकि अब्दुल रहीम ने अकबर के उत्तराधिकारी जहाँगीर के खिलाफ बगावत की थी।
गद्दी के लिए हुए संघर्ष में जब औरंगज़ेब ने अपने भाई दारा शिकोह के सिर को धड़ से अलग कर दिया था, तो उसी सिर को यहाँ पर रखा गया था। इसीलिए इस स्थान का नाम ख़ूनी दरवाज़ा रखा गया।
इसके आलावा कहा जाता है कि जब 1739 में पारस के राजा नादिर शाह ने दिल्ली को लूटा था तब इस गेट पर बहुत रक्तपात हुआ था।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात भी 1947 के दंगों में भी खूनी दरवाजे पर काफी रक्तपात हुआ था। पुराना किला स्थित कैंप की ओर जाते हुये कई शर्णार्थियों को यहाँ पर मौत के घाट उतार दिया गया था।
आज यह दरवाजा भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक है। हालाँकि दिसंबर 2002 में यह फिर कुख्यात हुआ जब तीन युवकों ने यहाँ एक चिकित्सीय छात्रा का बलात्कार किया। इस घटना के बाद से आम जनता के लिये यह स्मारक बंद कर दिया गया।
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