Guglielmo Marconi / गूल्येलमो मार्कोनी इटली के एक महान वैज्ञानिक और अविष्कारक थे। जिन्होंने लम्बी दूरी तक रेडियो संचार (बिना तार के संकेत भेजना) के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभायी। उन्होंने एक नियम दिया जिसे ‘मार्कोनी नियम’ कहते हैं। उन्होंने रेडियो टेलीग्राफ का विकास भी किया। इस महत्वपूर्ण अविष्कार के लिए 1909 में उन्हें भौतिक का नोबेल पुरूस्कार भी मिला।
वैज्ञानिक गुल्येल्मो मार्कोनी – Guglielmo Marconi Biography & History in Hindi
आज के इस टेक्नीकल समय में हमारे पास एक जगह से दूसरी जगह पर बात करने के लिए एक छोटा सा यंत्र है जिसे हम मोबाइल फ़ोन कहते है। इसके अलावा स्थानिक गतिविधियां सुनने के लिए, समाचार या फिर क्रिकेट मैच का स्कोर जानने के लिए FM, रेडियो है। छबि के स्वरूप में समाचार या मनोरंजन के लिए टेलीविज़न है, सॅटॅलाइट कम्युनिकेशन, सेना में रडार मारफत या वायरलेस कम्युनिकेशन, सब रेडियो वेव्स सेंडिंग और रिसीवर के ऊपर कार्यरत है, वो भी लंबे अरसो से। यह सब काम हम आसानी से कर रहे है इसका आविष्कार करने का श्रेय किसी को जाता हैं तो वो हैं गूल्येलमो मार्कोनी।
मार्कोनी का जन्म इटली के बोलीन नगर में 25 अप्रैल 1874 ई ओ को हुआ था। उनकी शिक्षा दीक्षा घर पर ही निजी तौर पर हुई थी। बचपन से ही मार्कोनी की रूचि विज्ञानं में थी। वह अक्सर विज्ञानं के विभिन्न प्रयोगों में लगा रहते थे। पारिवारिक रूप से ये काफी समृद्ध थे। इनका मकान बहुत बड़ा था।
वे मकान के ऊपर वाले कमरे में अपना प्रयोग करते रहते थे। धीरे धीरे वे स्टीम इंजन और बिजली के बारे में ज्यादा पढने लगे, बेंजामिन फ्रेंक्लिन और उसने किये हुए बिजली के कारनामो के बारे में पढ़ा तब उन्होंने पहली बार इस बारे में सोचा। जिसमे उन्होंने स्ट्रिंग और खाने की प्लेट से बने एक कोंटरापशन के माध्यम से उच्च वोल्टेज बिजली डालने का फैसला किया और परिणाम बेहद धुंआधार आया। इनके पिता इनके क्रिया-कलापो से खुश नहीं थे लेकिन माँ का सहयोग सदा ही रहता था।
Guglielmo Marconi Invention in Hindi
उनके जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब वे ऐल्प्स में अपनी छुट्टियां मना रहे थे। पहाड़ की चढ़ाई से थके हुए होटेल में कुर्शी पर बैठकर अखबार पढ़ रहे थे। उसमे एक आर्टिकल था जिसमे जर्मन भौतिकशास्त्री हाइनरिख़ हर्ट्ज़ ने खोज की थी कि बिजली की चुम्बकीय तरंग पृथ्वी की चारो और अंतरिक्ष यात्रा के माध्यम से एक ही सेकंड में कई गुना रफ़्तार से घूम सकती है।
मार्कोनी ने इस दिशा में तुरंत अपने वर्कशॉप में प्रयोग करने शुरू कर दिए। उन्होंने हवा के ज़रिये ट्रांसमीटर से चिंगारी को टेबल की इस तरफ से उस तरफ भेजने की कोशिश करने लगे और वे सफल भी हो ग़ये।
अब उन्होंने इन तरंगो को कितनी दूर भेजा जा सकता है उस पर प्रयोग करना शुरू दिया। उन्होंने ज्यादा शक्तिशाली ट्रांसमीटर बनाने शुरू कर दिए और बाद में वो इंग्लैंड से कनाडा तक तरंगो को भेजने में सफल हुए। उन्होंने सन 1896-98 के बिच अपने द्वारा निर्मित उपकरण से बेतार के तार से सम्बंधित कई सफल प्रदर्शन किए। इसके बाद वे इंग्लैंड गये और वहाँ आपने रेडियो टेलिग्राफी का सर्वप्रथम पेटेंट प्राप्त किया।
पहली बार अटलांटिक महासागर के आर-पार रेडियो संदेश आज से एक सौ सोलह साल पहले यानी 1901 में भेजे गए थे। ये संदेश इंग्लैंड के तट पर स्थित पोल्ढू नाम की जगह से कनाडा के सेंट जॉन्स नाम के शहर के पास स्थित एक टीले पर भेजे गए थे। सन 1899 में ही गुल्येल्मो ने अमेरिका के दो जलयानों पर रेडियो उपकरण लगाए, जो नौका दौड़ के विषय में समाचार पत्रो को सूचना दे सकते थे।
उन्ही की वजह से 1912 की टाइटैनिक दुर्घटना में 700 जितने लोगो को बचाया गया था और ऐसी कईं घटनाओ में विश्वस्तर पर रेडियो के माध्यम से कईं लोगो को बचाया गया है, शायद इसीलिए गुलेयलिमो को “रेडियो के पिता” का दर्जा दिया गया।
1905 में आयरलैण्ड की बैट्रिसओबायन से मार्कोनी विवाह किया, जिससे उन्हें एक लड़का और दो लड़कियां हुईं। तलाक के उपरान्त उन्होंने 12 जून, 1992 को इतावली लड़की मारिया किस्ट्रीना बेजी स्केली से विवाह किया, जिससे इलेक्ट्रा नामक पुत्री हुई। मार्कोनी ने 200 फुट लम्बे भाप इंजन से चलने वाले यार्ट को भी अपनी प्रयोगशाला बनाया, जिसका नाम उन्होंने इलेक्ट्रा रखा था।
सन 1930 में मार्कोनी को रॉयल इटालियन अकादमी का प्रेजिडेंट चुना गया। इन आविष्कारों के उपलक्ष में उनको 1909 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। इंग्लैंड के बादशाह तथा रूस के ज़ार ने भी मार्कोनी को विशेष सम्मान प्रदान किए। इस महान वैज्ञानिक की 20 जुलाई, 1937 में 63 वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई।
उनकी इस खोज ने पृथ्वी पर स्थित बेतार के तार की शक्ति द्वारा आकाश में उड़ने वाले वायुयानों को नियन्त्रित तथा संचालित करने में सफलता प्राप्त की। इस तरह मारकोनी ने दुनिया के समस्त संचार का माध्यम रेडियो कंपनों पर आधारित कर दिया।
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