वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल की जीवनी | Robert Boyle Biography In Hindi

Philosopher Robert Boyle / रॉबर्ट विलियम बॉयल एक एंग्लो-आयरिश प्राकृतिक दार्शनिक, केमिस्ट, भौतिक विज्ञानी और आविष्कारक थे। उन्होंने वैक्यूम पंप का निर्माण किया। शब्द की गति, वर्ग-भंगिमा के तथा वर्णों के मूल कारण और स्फटिकों की रचना के संबंध में उन्होंने अनेक अनुसंधान किए।

वैज्ञानिक रॉबर्ट बॉयल की जीवनी | Robert Boyle Biography In Hindiरॉबर्ट बॉयल का परिचय – Robert Boyle Biography in Hindi

रॉबर्ट बॉयल का जन्म, 26 जनवरी, 1627 को आयरलैंड के मुन्स्टन शहर में हुआ था। वे अपने माता-पिता के 14 संतानो में 10वे नम्बर पर थे। 8 साल की उम्र में वह ईटं कॉइल में दाखिल हुए। तीन साल बाद उनका स्कूल छुड़वा दिया गया, ताकि वे महाद्वीप यूरोप की यात्रा कर आएं।

इंग्लैंड का एक श्रेष्ठ नागरिक बनने के लिए यह यात्रा उस युग में आवश्यक समझी जाती थी। तब विद्यार्थी के लिए एक प्रकार से यह ‘दीक्षांत’ हुआ करता था। किंतु उसके लिए 11 साल की उम्र आमतौर पर काफी नहीं होती। 1641 में 14 साल के रोबर्ट इटली पहुंचे और वहां वह प्रख्यात वैज्ञानिक गैलीलियो के संपर्क में आए। उन्होंने निश्चय कर लिया कि अब वह अपना जीवन विज्ञान के अध्ययन को ही अर्पित कर देंगे।

1644 ई. में जब ये इंग्लैंड पहुँचे, तो इनकी मित्रता कई वैज्ञानिकों से हो गई। ये लोग एक छोटी सी गोष्ठी के रूप में और बाद को ऑक्सफोर्ड में, विचार-विनियम किया करते थे। यह गोष्ठी ही आज की जगत्प्रसिद्ध रॉयल सोसायटी है। 1646 ई. से बॉयल का सारा समय वैज्ञानिक प्रयोगों में बीतने लगा। 1654 ई. के बाद ये ऑक्सफोर्ड में रहे और यहँ इनका परिचय अनेक विचारकों एवं विद्वानों से हुआ।

रॉबर्ट बॉयल का कैरियर – Robert Boyle Life History in Hindi

14 वर्ष ऑक्सफोर्ड में रहकर इन्होंने वायु पंपों पर विविध प्रयोग किए और वायु के गुणों का अच्छा अध्ययन किया। वायु में ध्वनि की गति पर भी काम किया। बॉयल के लेखों में इन प्रयोगों का विस्तृत वर्णन है। धर्मसाहित्य में भी इनकी रुचि थी और इस संबंध में भी इन्होंने लेख लिखे। इन्होंने अपने खर्च से कई भाषाओं में बाइबिल का अनुवाद कराया और ईसाई मत के प्रसार के लिए बहुत सा धन भी दिया।

बॉयल की ख्याति विज्ञान में एक परीक्षण-प्रिय वैज्ञानिक के रूप में ही है, ‘बॉयल्ज लॉ’ के जनक के रूप में। बॉयल का नियम विज्ञान का वह नियम है जिसके द्वारा हम बता सकते हैं कि दबाव के घटने-बढ़ने से हवा की हालत में क्या अंतर आ जाता है। इस नियम का आविष्कार परीक्षणों द्वारा हुआ था और बहुत देर बाद ही जाकर कहीं उसे भौतिक-विज्ञान के एक सूत्र का रुप मिल सका था।

बॉयल के सिद्धांत को आज भातिकी में हर वैज्ञानिक प्रतिदिन प्रयुक्त करता है — गैस का परिणाम, दबाव के अनुसार, विपरीत अनुपात में आदलता-बदलता रहता है। बॉयल के नियम की ही यही सूत्रात्मक परिभाषा है। अगली पीढ़ी के वैज्ञानिक ने विशेषत: जैकीज चार्ली ने, इसमें इतना और जोड़ दिया कि ‘यदि तापमान में परिवर्तन न आए. तब’।

बॉयल ने तत्वों की प्रथम वैज्ञानिक परिभाषा दी और बताया कि अरस्तू के बताए गए तत्वों, अथवा क़ीमियाईगरों के तत्वों (पारा, गंधक और लवण) में से कोई भी वस्तु तत्व नहीं है, क्योंकि जिन पिंडों में (जैसे धातुओं में) इनका होना बताया जाता है उनमें से ये निकाले नहीं जा सकते। तत्वों के संबंध में 1661 ई. में बॉयल ने एक महत्वपूर्ण पुस्तिका लिखी “दी स्केप्टिकल केमिस्ट”।

रॉबर्ट बॉयल की सर्वप्रथम प्रकाशित वैज्ञानिक पुस्तक न्यू एक्सपेरिमेंट्स, फ़िज़िको मिकैनिकल, टचिंग द स्प्रिंग ऑव एयर ऐंड इट्स एफेक्ट्स, वायु के संकोच और प्रसार के संबंध में है। 1663 ई. में रॉयल सोसायटी की विधिपूर्वक स्थापना हुई। बॉयल इस समय इस संस्था के सदस्य मात्र थे। बॉयल ने इस संस्था से प्रकाशिल शोधपत्रिका “फिलोसॉफिकल ट्रैंजैक्शन्स” में अनेक लेख लिखे और 1680 ई. में ये इस संस्था के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। पर शपथसंबंधी कुछ मतभेद के कारण इन्होंने यह पद ग्रहण करना अस्वीकार किया।

शब्द की गति, वर्ण-भंगिमा के तथा वर्णों के मूल कारण तथा स्फटिकों की रचना के संबंध में उन्होंने अनुसंधान किए। जिसे आदमी चला सके ऐसे एक वैक्यूम पंप का निर्माण भी किया, और साबित कर दिखाया की हवा से महरूम जगह में कोई प्राणी जीवित नहीं रह सकता, यह भी की वायु से शून्य स्थान में गंधक जलेगी नहीं। ‘रसायनिक तत्व’ का एक लक्षण भी, कहते हैं इसे बॉयल ने सुझाया था और जो हमारी वर्तमान ‘रसायन दृष्टि’ से कोई बहुत भिन्न नहीं। ‘वह द्रव जिसे छिन्न-भिन्न नहीं किया जा सकता,’ किंतु एक सच्चे वैज्ञानिक की भांति उन्होंने इसका जैसे संशोधन भी साथ ही कर दिया था कि — ‘किसी भी अघावधि ज्ञात तरीके से (तोडा-फोड़ा) नहीं जा सकता)।’ किन्तु आजकल की परीक्षणशालाओ में इन तत्वों की आंतरिक-रचना में भी परिवर्तन लाया जा चूका है।

बॉयल का एक उदाहर्णहृदय व्यक्ति थे और यदि उन्होंने ‘बॉयलाज लॉ’ का आविष्कार नहीं भी किया होता तब भी इतिहास के अमर पुरुषों में उनका नाम सदा स्मरण किया ही जाता क्योंकि न्यूटन के ‘प्रिन्सिपिया’ के प्रकाशन की व्यवस्था उन्होंने ही पहले-पहल की थी

बॉयल जीवन भर अविवाहित रहे। बेकन के तत्वदर्शन में उन्हें बड़ी आस्था थी। 1690 ई. के बाद में उनका स्वास्थ्य गिरने लगा, किंतु रसायन संबंधी कार्य इस समय भी बंद न हुआ। 31 दिसंबर, 1691 ई. में उनका स्वर्गवास हो गया।


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