एलोरा गुफाएं का इतिहास, रोचक बाते, रहस्य | Ellora Caves History in Hindi

Ellora Caves – महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 30 किमी दूर एलोरा की गुफाएँ (Ellora Caves) हैं। एलोरा की गुफाओं में 34 गुफाएँ शामिल हैं। ये गुफाएँ बेसाल्टिक की पहाड़ी के किनारे-किनारे बनी हुई हैं। इन गुफाओं में हिंदू, जैन और बौद्ध तीन धर्मों के प्रति दर्शाई आस्था का त्रिवेणी संगम का प्रभाव देखने को मिलता है। ये गुफाएँ 350 से 700 ईसा पश्चात के दौरान अस्तित्व में आईं। अपनी स्मारक गुफाओं के लिये प्रसिद्ध, एलोरा युनेस्को द्वारा घोषित एक विश्व धरोहर स्थल है।

एलोरा गुफाएं का इतिहास, रोचक बाते, रहस्य | Ellora Caves History In Hindiएलोरा गुफाओ का इतिहास – Ellora Caves History in Hindi 

Ellora ki Gufa – एलोरा की गुफ़ाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में वेरुल (एलोरा) नामक स्थान पर 34 शैलकृत गुफाएं बनाई गयी, जिसमें 1 से 12 तक बौद्धों तथा 13 से 29 तक हिन्दुओं और 30 से 34 तक जैनों की गुफाएं हैं। स्थानीय लोगों द्वारा वेरुल लेनी के नाम से जानी जाने वाली इस प्राचीन खूबसूरती को हर रोज़ सैकड़ों पर्यटक देखने आते हैं।

एलोरा की गुफा में 10 चैत्यगृह हैं जो शिल्प देवता विश्वकर्मा को समर्पित हैं। एलोरा गुहा मन्दिर का निर्माण राष्ट्रकूओं के समय में किया गया। इनके निर्माण कार्यो में एलोरा का कैलासगुहा मन्दिर सर्वाधिक उत्कृष्ट है जिसका निर्माण राष्ट्रकूट शासक कृष्ण प्रथम ने कराया था।

एलोरा के 34 मठ और मंदिर औरंगाबाद के निकट 2 किमी के क्षेत्र में फैले हैं, इन्हें ऊँची बेसाल्ट की खड़ी चट्टानों की दीवारों को काट कर बनाया गया हैं। दुर्गम पहाड़ियों वाला एलोरा 600 से 1000 ईसवी के काल का है, यह प्राचीन भारतीय सभ्यता का जीवंत प्रदर्शन करता है। बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म को भी समर्पित पवित्र स्थान एलोरा परिसर न केवल अद्वितीय कलात्मक सृजन और एक तकनीकी उत्कृष्टता है, बल्कि यह प्राचीन भारत के धैर्यवान चरित्र की व्याख्या भी करता है।

ये सभी गुफाएं प्राचीन काल के लोगों की अपने धर्म के प्रति धार्मिक भाव व्यक्त करती हैं। राष्ट्रकूट राजवंश ने बौद्ध और हिंदू गुफाओं का निर्माण किया, जबकि, यादव वंश ने जैन गुफाओं का निर्माण किया। इन गुफाओं के प्रार्थना धाम, तीर्थयात्रियों और साधु-संतों के आराम करने के लिए जगह जैसे कई उद्देश्य थे।

लगभग 600 वर्ष की अवधि में फैले पांचवीं और ग्‍यारहवीं शताब्‍दी ए.डी. के बीच यहां के सबसे प्राचीनतम शिल्‍प ‘धूमर लेना’ (गुफा 29) है। सबसे अधिक प्रभावशाली पच्‍चीकारी बेशक अद्भुत ‘कैलाश मंदिर’ की है (गुफा 16), जो दुनिया भर में एक ही पत्‍थर की शिला से बनी हुई सबसे बड़ी मूर्ति है। प्राचीन समय में ‘वेरुल’ के नाम से ज्ञात इसने शताब्दियों से आज के समय तक निरंतर धार्मिक यात्रियों को आकर्षित किया है। इन गुफाओ में शांति और अध्‍यात्‍म झलकता है तथा ये दैवीय ऊर्जा और शक्ति से भरपूर हैं।

हिन्दू गुफ़ाओं में एक गुफ़ा तो एक ही पहाड़ को काट कर बनाई गयी है। इस गुफ़ा में मंदिर, हाथी और दो मंजिली इमारत छेनी हथौड़ी से तराश कर बनाई गयी है। बौद्ध धर्म पर आधारित गुफाओं की मूर्तियों में बुद्ध की जीवनशैली की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। इन्हें देखकर तो यही लगता है मानो ध्यानमुद्रा में बैठे बुद्ध आज भी हमें शांति, सद्भाव व एकता का संदेश दे रहे हैं।

यूनेस्‍को द्वारा 1983 से विश्‍व विरासत स्‍थल घोषित किए जाने के बाद अजंता और एलोरा की तस्‍वीरें और शिल्‍पकला बौद्ध धार्मिक कला के उत्‍कृष्‍ट नमूने माने गए हैं और इनका भारत में कला के विकास पर गहरा प्रभाव है। एलोरा में एक कलात्‍मक परम्‍परा संरक्षित की गई है जो आने वाली पीढियों के जीवन को प्रेरित और समृ‍द्ध करना जारी रखेंगी।

एलोरा गुफाओ के बारे में कुछ रोचक बाते – Interesting Facts About Ellora Caves In Hindi

1). एलोरा की गुफाओ को वेरुल के लेनी के नाम से भी जाना जाता है।

2). एलोरा की गुफाओ में से दी ग्रेट कईलसा गुफा वहा की सबसे बड़ी गुफा है।

3). आर्कियोलॉजिस्टों के अनुसार इसे कम से कम 4,000 वर्ष पूर्व बनाया गया था।

4). एल्लोरा, विश्‍व में सबसे बड़े एकल एकचट्टानी उत्‍खनन, विशाल कैलाश (गुफा 16) के लिए विख्‍यात है। कहा जाता है कि इस गुफ़ा का निर्माण, राष्ट्रकूटों के शासक प्रथम कृष्णा द्वारा करवाया गया था। यह बहु-मंजिल गुफा मंदिर कैलाश मंदिर, भगवान शिव जी के घर को समर्पित है।

5). एलोरा की गुफाएं न केवल यह गुफा संकुल एक अनोखा कलात्‍मक सृजन है साथ ही यह तकनीकी उपयोग का भी उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है। परन्‍तु ये शताब्दियों से बौद्ध, हिन्‍दू और जैन धर्म के प्रति समर्पित है। ये सहनशीलता की भावना को प्रदर्शित करते हैं, जो प्राचीन भारत की विशेषता रही है

6). गुफ़ा न.10, निर्माण या सृजन के देवता विश्वकर्मा भगवान जी को समर्पित है इसलिए इस गुफ़ा को विश्वकर्मा गुफ़ा कहते हैं। गुफ़ा के अंदर भगवान बुद्ध की 15 फ़ीट की मूर्ति उपदेश देने की मुद्रा में विराजमान है। इस गुफ़ा में स्थित दो धर्मों के ऐसा अद्भुत मेल बहुत ही दुर्लभ है।

7). यहां की गुफाएं महाराष्ट्र की ज्वालामुखीय बसाल्टी संरचनाओं को काट कर बनाई गई हैं, जिन्हें ‘दक्कन ट्रेप’ कहा जाता है।

8). यहां की शानदार जैन गुफाएँ हैं जिनमे इंद्र सभा, जगन्नाथ सभा व छोटा कैलाश गुफाएं, यहाँ स्थित जैन गुफाओं में सबसे ज़्यादा प्रसिद्द और उल्लेखनीय हैं। इनकी दीवारें बहुत ही ख़ूबसूरत चित्रों व विस्तृत कलाकृतियों से सजाई गयी थीं।

9). गुफ़ा न.10, निर्माण या सृजन के देवता विश्वकर्मा भगवान जी को समर्पित है इसलिए इस गुफ़ा को विश्वकर्मा गुफ़ा कहते हैं। गुफ़ा के अंदर भगवान बुद्ध की 15 फ़ीट की मूर्ति उपदेश देने की मुद्रा में विराजमान है। इस गुफ़ा में स्थित दो धर्मों के ऐसा अद्भुत मेल बहुत ही दुर्लभ है।

10). ऐसा बोला जाता है कि इन गुफाओं को बनाने में एलियंस की मदद ली गयी थी। इंसान खुद इनको नहीं बना सकता था और ना ही इस तरह तब कोई तकनीक थी. कई भारतीय संत तब एलियंस की दुनिया से बात कर सकते थे। यह लोग एलियंस को धरती पर बुला सकते थे और इसी क्रम में एलियंस यहाँ पृथ्वी पर आये होंगे और उन्होंने अपनी कला का प्रयोग करते हुए इतना शानदार काम किया होगा।


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