President Draupadi Murmu in Hindi – द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय राजनेत्री हैं। इन्हें 21 जुलाई 2022 को भारत की 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है। द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। उन्हें 2022 राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के यशवंत सिन्हा के खिलाफ भाजपा ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था। द्रौपदी मुर्मू इसके पहले 2015 से 2021 तक वे झारखण्ड की राज्यपाल थीं। उनका जन्म ओड़िशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में एक संथाल परिवार में हुआ था। इस पद पर पहुँचाने वाली वो भारत की दूसरी महिला हैं। इसके पहले प्रतिभा पाटिल को भारत की पहली महिला राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त हुआ था। आइये जाने द्रौपदी मुर्मू का परिचय…
राष्ट्रपति चुनाव में जीत – Draupadi Murmu President of India Election
NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चुनावों में जीत हासिल कर ली है। इस जीत के साथ ही द्रौपदी मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति व भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी हैं। उन्होंने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को पराजित कर दिया। राष्ट्रपति चुनाव में कुल 3219 वोट पड़े, जिसकी वैल्यू 838839 है। इसमें द्रौपदी मुर्मू को 2161 वोट ( वैल्यू 577777) और यशवंत सिन्हा को 1058 वोट ( वैल्यू 261062) मिले हैं।
द्रौपदी मुर्मू का परिचय – Draupadi Murmu Ka Jeevan Parichay
पूरा नाम | द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) |
जन्म | 20 जून 1958 |
जन्म स्थान | मयूरभंज, उड़ीसा, भारत |
पिता का नाम | स्वर्गीय बिरंची नारायण टुडू |
माता का नाम | ज्ञात नहीं |
पति का नाम | श्याम चरण मुर्मु |
बेटी का नाम | इतिश्री मुर्मु |
शिक्षा | कला स्नातक |
धर्म | हिन्दू |
जाति | अनुसूचित जनजाति |
कॉलेज | राम देवी महिला कॉलेज, भुवनेश्वर,ओडिशा |
राजनेतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) 1997 से |
कद | 5’ 4” फीट |
आँखों का रंग | काला |
बालो का रंग | काला |
प्रारंभिक जीवन – Early Life of Draupadi Murmu in Hindi
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा के मयुरभंज जिले के बैदोपोसी गाँव में एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था, जो अपनी परंपराओं के मुताबिक, गांव और समाज के मुखिया थे। वह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं, जो एक आदिवासी जातीय समूह है।
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा – Education Qualification of Draupadi Murmu
द्रौपदी मुर्मू की प्रारंभिक शिक्षा गांव के एक विद्यालय में ही पूरी की है। इसके बाद द्रौपदी ने अपने गृह जनपद से आगे की शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की।
पढ़ाई पूरी होने के बाद ओडिशा गवर्नमेंट में बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर इन्हें नौकरी प्राप्त हुई। इन्होंने यह नौकरी साल 1979 से लेकर के साल 1983 तक पूरी की। साल 1994 में रायरंगपुर में मौजूद अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में टीचर के तौर पर काम करना चालू किया और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया।
द्रौपदी मुर्मू की शादी और परिवार – Draupadi Murmu Family
द्रौपदी की शादी श्याम चरण मुर्मू के साथ हुई थी। जिनसे इन्हे संतान के तौर पर टोटल 3 बच्चे प्राप्त हुए थे, जिनमें दो बेटे थे और एक बेटी थी। हालांकि इनका व्यक्तिगत जीवन ज्यादा सुखमय नहीं था। एक खबर के मुताबिक जिस समय द्रौपदी मुर्मू शादी करके ससुराल पहुंची थीं तो उस वक्त उनका घर भी कच्चा था। कच्ची दीवारें और फूंस का छप्पर था।
दैनिक भास्कर की एक खबर मुताबिक साल 2010 से 2014 तक उनके परिवार से तीन अर्थियां उठी थीं। इन चार सालों के भीतर उनके दो बेटे और पति की मौत हुई है. बड़े बेटे की मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। पता नहीं किस तरह उनके बड़े बेटे की मौत हुई है। बताया जाता है कि उसकी लाश कमरे से मिली थी और वो एक शाम को देर से घर वापस लौटे थे। बड़े बेटे का नाम लक्ष्मण मुर्मू था, उनकी मौत महज़ 25 बरस की उम्र में हुई थी। वहीं छोटे बेटे (बिरंची मुर्मू) की मौत एक सड़क हादसे में हुई थी उस वक्त बिरंची की उम्र 28 साल थी.. वहीं एक अक्टूबर 2014 को उनके पति भी उनका हमेशा के लिए साथ छोड़कर चले गए। जिंदगी में तमाम दुखों का सामने करने के बावजूद मुर्मू ने हार नहीं मानी। समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक जीवन – Draupadi Murmu Political Career in Hindi
द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशी से भाजपा के साथ ही की। भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई। भाजपा ने मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद मयूरभंज जिला भाजपा का अध्यक्ष बनने का मौका भी मिला।
ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002 कर वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं। साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। साल 2004 में यह रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता। आगे बढ़ते बढ़ते 18 मई साल 2015 में इन्हें झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य के राज्यपाल के पद को संभालने का भी मौका मिला। इस पद पर साल 2021 तक विराजमान रही।
द्रौपदी मुर्मू ने अपना जीवन समाज की सेवा, गरीबों, दलितों तथा हाशिए पर खड़े लोगों को सशक्त बनाने के लिए समर्पित किया है। जिसके चलते उनको साल 2022 में भारत का एक सम्मानित पद राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के लिए चुना गया। वह 25 जुलाई 2022 को भारत की 15 वी राष्ट्रपति बनी है।
द्रोपदी मुर्मू को प्राप्त पुरस्कार – Draupadi Murmu Awards List in Hindi
द्रौपदी मुरमू को साल 2007 में “नीलकंठ पुरस्कार” सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए प्राप्त हुआ था। यह पुरस्कार इन्हें ओडिशा विधानसभा के द्वारा किया गया था।
द्रौपदी मुर्मू की संपत्ति – Draupadi Murmu Net Worth
2014 के हलफनामे के मुताबिक, द्रौपदी मुर्मू के पास 2 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है। इसके अलावा उनके पास कुल 14 लाख रुपए की देनदारी भी है।
Draupadi Murmu Life History & Story in Hindi
- द्रौपदी मुर्मू ने पढाई पूरी करने के बाद रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में एक सहायक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद, उन्होंने सिंचाई और बिजली विभाग के हिस्से के रूप में ओडिशा सरकार के साथ काम किया।
- मुर्मू के राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में हुई जब उन्होंने पार्षद के रूप में स्थानीय चुनाव जीते। उसी वर्ष, वह भाजपा के एसटी मोर्चा की राज्य उपाध्यक्ष बनीं।
- भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर मुर्मू ने रायरंगपुर सीट से दो बार जीत हासिल की, 2000 में ओडिशा सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनी।
- ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6 मार्च, 2000 से 6 अगस्त, 2002 तक वाणिज्य और परिवहन के लिए स्वतंत्र प्रभार मंत्री रही।
- उन्होंने भाजपा के भीतर कई प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं, एसटी मोर्चा के राज्य अध्यक्ष और मयूरभान के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
- 6 अगस्त, 2002 से मई 16, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं।
- भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष के पद को इन्होंने साल 2006 से लेकर के साल 2009 तक संभाला।
- उन्हें 2013 में मयूरभंज जिले के लिए पार्टी के जिला अध्यक्ष पद के लिए पदोन्नत किया गया था।
- द्रोपदी मुर्मू उड़ीसा के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2 बार भाजपा के टिकट से विधायक भी बने है।
- मई 2015 में, भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें झारखंड के राज्यपाल के रूप में चुना। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल हैं। वह ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता हैं जिन्हें भारतीय राज्य में राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
- राष्ट्रपति चुनाव के मतदान में वह भारत की 15वी राष्ट्रपति घोषित की गईं।
राष्ट्रपति बनने की घोषणा होते ही मिलने लगी बधाईयाँ
द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने की घोषणा के बाद उनको भारत के प्रधनमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनको खुद जाकर बधाईयाँ दी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी बधाई दी। भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने की घोषणा के बाद 3 किलो मीटर तक का विजय जुलूस निकाला था। साथ ही द्रौपदी मुर्मू की जीत के बाद ओडिशा के मयूरभंज जिले में स्थित उनके पैतृक गांव बैदापोसी के अलावा उपरबेड़ा और पहाड़पुर में भी जश्न माने गया।
आज द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति हैं। उन्हें भारत सरकार के द्वारा Z+ सुरक्षा प्राप्त है। वह काफी बड़े-बड़े पद पर रह चुकी है, लेकिन उनके अंदर किसी भी प्रकार का अहंकार घमंड नहीं है। एक समय जब वह शिव मंदिर गई थी, तब मंदिर में अच्छी तरह से साफ-सफाई नहीं होने पर उन्होंने खुद ही मंदिर में झाड़ू लगाई और उसके बाद उन्होंने दर्शन किये।
FAQ
Ans: भारत की 15 वी राष्ट्रपति
Ans: द्रौपदी मुर्मू
Ans: श्याम चरण मुर्मू
Ans: आदिवासी समुदाय
Q: द्रौपदी मुर्मू जाति क्या है?
Ans: अनुसूचित जनजाति
Q: भारत का 15वा राष्ट्रपति कौन है?
Ans: द्रौपदी मुर्मू भारत की 15वी राष्ट्रपति बनी है.
Q: Who is Draupadi Murmu?
Ans: 15th president of india
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