सी. एन. आर. राव की जीवनी | C. N. R. Rao Biography in Hindi

Chintamani Nagesa Ramachandra Rao / सी. एन. आर. राव भारत के प्रख्यात रसायन वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने घन-अवस्था और संरचनात्मक रसायन शास्त्र के क्षेत्र में मुख्य रूप से काम किया है। इनका पूरा नाम चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव हैं। इन्होने सांख्यिकी और गणित में भी अतुल्य योगदान दिया। डॉ॰ राव को दुनिया भर के 60 विश्वविद्यालयों से मानद डॉक्टरेट प्राप्त है और भारत रत्न से भी सम्मानित हो चुके हैं।

सी. एन. आर. राव की जीवनी | C. N. R. Rao Biography in Hindi

सी. एन. आर. राव का परिचय – C. N. R. Rao Biography in Hindi

नामचिंतामणि नागेश रामचंद्र राव (Chintamani Nagesa Ramachandra Rao)
जन्म दिनांक30 जून 1934
जन्म स्थानबंगलौर, कर्नाटक
नागरिकताभारतीय
पिता का नामनागेश राव
माता का नामनागम्मा राव
पत्नीइन्दुमति राव
संतानसंजय, सुचित्रा
कार्यक्षेत्रवैज्ञानिक (Indian chemist)
शिक्षाएमएससी
पुरस्कार-उपाधि ‘भारत रत्‍न’ ‘लीजन ऑफ़ ऑनर’ ‘भारत विज्ञान पुरस्कार’

सॉलिड स्टेट और मैटेरियल केमिस्ट्री सी. एन. आर. राव वर्तमान में वह भारत के प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के रूप में सेवा कर रहे हैं। इन्होने लगभग 1500 शोध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तकें लिखी हैं। सी वी रमण और ए पी जे अब्दुल कलाम के बाद भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किये जाने वाले सी. एन. आर. राव तीसरे ऐसे वैज्ञानिक हैं।

प्रारंभिक जीवन –

सी.आर. राव का जन्म 10 सितंबर 1920 को कर्नाटक के हडगली में हुआ था। इनका पिता का नाम नागेश राव और माता का नाम नागम्मा राव हैं। वे अपने अपने माता-पिता के एकमात्र संतान हैं। बासवनागुडी में ‘आचार्य हाईस्कूल’ में पढ़ते हुए उनकी रुचि रसायन विज्ञान की ओर हुई। संस्कृत और अंग्रेज़ी भाषा पर भी उनका अच्छा अधिकार है। उन्होंने केवल सत्रह साल की उम्र में ‘मैसूर विश्वविद्यालय’ से बीएससी की डिग्री हासिल कर ली थी।

बीएससी के बाद एमएससी के दौरान उन्हें रसायनज्ञ पलिंग की पुस्तक, नेचर अफ दी केमिकल बांड को पहली बार पढ़ने का मौका मिला। उन्होंने पर्ड्यू विश्वविद्यालय से 1958 में पीएच॰ डी॰ की उपाधि अर्जित की। मैसूर विश्वविद्यालय से ही 1961 में उन्होंने डी एस॰ सी॰ की उपाधि प्राप्त की। 1963 में राव आईआईटी कानपुर से एक संकाय सदस्य के रूप में जुड़े। उन्हें कई विश्वविद्यालयों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त हुई है। महज 24 साल की आयु में पीएचडी करने वाले वे सबसे युवा वैज्ञानिकों में से एक हैं।

विवाह –

सी. एन. आर. राव का विवाह इंदुमति राव से 1960 में हुआ। उनका एक बेटा संजय राव हैं जो बेंगलुरु में विज्ञानं के प्रोफेसर हैं और बेटी सुचित्रा का विवाह के. एम. गणेश से हुआ है, जो ‘इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च’, पुणे के निदेशक हैं।

करियर – C. N. R. Rao Invention 

सी. एन. आर. राव ने अपने करियर की शुरुवात 1959 में आईआईएससी, बेंगलुरु में लेक्चरर के तौर पे की। 1963 में इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नालॉजी, कानपुर से फैकल्‍टी मेम्‍बर के रूप में कार्य शुरू की। सन 1984 में वे इंडियन इंस्‍टीट्यूट ऑफ साइंस, बंगलुरू के निदेशक चुने गये। वहां पर उन्‍होंने 1994 तक अपनी सेवाएं दीं। सी. एन. आर. राव ऑक्सफ़ोर्ड, कैलिफ़ोर्निया, कैम्ब्रिज, सैंटा बारबरा और परड्यू विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफ़ेसर भी रहे हैं। उन्होंने ‘जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय’ में अध्यापन कार्य किया है। उन्होंने 1989 में बेंगलुरु में ‘जवाहरलाल नेहरू सेंटर फ़ॉर एडवांस्ड साइंटिफ़िक रिसर्च सेंटर’ की स्थापना की।

डॉ. राव का शोधकार्य ‘सॉलिड स्‍टेट केमिस्‍ट्री’ से सम्‍बंधित है। उन्‍होंने स्‍पेक्‍ट्रम विज्ञान के उन्‍नत उपकरणों के माध्‍यम से ठोस पदार्थों की भीतरी संरचनाओं पर कार्य किया। इसके अतिरिक्‍त उन्‍होंने सूक्ष्‍मदर्शी स्‍तर पर ठोसों में होने वाली प्रक्रियाओं को समझा और उनसे सम्‍बंधित रिसर्च पेपर लिखे। उन्होंने पदार्थ के गुणों और उनकी आणविक संरचना के बीच बुनियादी समझ विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।

राव ‘इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर मैटीरियल साइंस’ के भी निदेशक हैं। वे पिछले पाँच दशक से सॉलिड स्टेट और मैटीरियल केमिस्ट्री के क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े वैज्ञानिकों में माने जाते रहे हैं। उन्होंने ट्रांजिशन मेटल ऑक्साइड्स पर काफ़ी काम किया है। इससे नोवल फेनोमिना, मटीरियल्स के गुणों के अंतर-सम्बंधों और इन मटीरियल्स की स्ट्रक्चरल केमिस्ट्री को समझने में मदद मिली है।

राव ने ही सबसे पहले द्विआयामी ऑक्साइड मटीरियल्स का व्यवस्थित अध्ययन किया था। इससे विशाल चुम्बकीय प्रतिरोध और उच्च तापमान पर सुपर कंडक्टिविटी के इस्तेमाल में काफ़ी सहायता मिली। पिछले दो दशक में उन्होंने नैनो मटीरियल्स और हाइब्रिड मटीरियल्स पर काफ़ी शोध किया है।

शोध क्षेत्र –

  • ट्रांजीशन मेटल ऑक्साइड सिस्टम
  • मेटल इंसुलेटर ट्रांजीशन
  • सीएमआर मैटेरियल
  • सुपरकंडक्टिविटी
  • मल्टीफेरोक्सि
  • हाइब्रिड मैटेरियल
  • नैनोट्यूब और ग्राफीन नैनोमैटेरियल

सम्मान और पुरूस्कार – C. N. R. Rao Awards 

दुनियाभर की प्रमुख वैज्ञानिक संस्थाएं, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में उनकी मेधा का लोहा मानती हैं। ये दुनियाभर के उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से एक हैं जो तमाम प्रमुख वैज्ञानिक शोध संस्थाओं के सदस्य हैं। बीते पांच दशकों में राव ‘सॉलिड स्टेट’ और ‘मटेरियल कैमिस्ट्री’ पर 45 किताबें लिख चुके हैं और इन्हीं विषयों पर उनके 1500 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं।

विज्ञान के क्षेत्र में भारत की नीतियों को गढ़ने में अहम भूमिका निभाने वाले राव, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के भी सदस्य थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री राजीव गांधी, एचडी दैवेगोड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के कार्यकाल में परिषद के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया था।

डॉ. राव की योग्‍यता को देखते हुए उन्‍हें 1964 में इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज का सदस्य नामित किया गया। सन 1967 में उन्‍हें फैराडे सोसाइटी ऑफ इंग्लैंड से मार्लो मेडल प्राप्‍त हुआ। सन 1968 में प्रो. राव को भटनागर अवार्ड से सम्‍मानित किया गया। इसके आलावा देश-विदेश के अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान उन्हें मिल चुके हैं।

  • सन 1988 में जवाहरलाल नेहरू अवार्ड प्राप्‍त हुआ।
  • सन 1999 में इंडियन साइंस कांग्रेस के शताब्दी पुरस्कार से सम्मानित किये गये।
  • 2000 में उन्‍हें रॉयल सोसायटी (Royal Society) ने ‘ह्यूग्‍स मेडल’ (Hughes Medal) देकर सम्‍मानित किया।
  • 2004 में ‘इंडियन साइंस अवार्ड’ के पहले विजेता बने।
  • 2005 में नाइट ऑफ़ लेजन, फ़्राँस।
  • 2005 में डेन डेविड पुरस्कार।
  • 2005 में लेजन ऑफ़ ऑनर।
  • 2008 में अब्दुससलाम मेडल।
  • 2008 में निक्केई एशिया पुरस्कार।
  • 2009 में रॉयल मेडल।
  • 2009 में ऑर्डर ऑफ़ फ़्रेंडशिप, रूस।
  • 2010 में विलमहम वॉन होंफमैन मेडल।
  • 2011 में अरनेस्टो साइंस पुरस्कार।
  • 2013 में चाइनीज एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज अवॉर्ड। 
  • 2013 में भारत सरकार द्वारा ‘भारत रत्न’।

और अधिक लेख – 

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