Atala Masjid / अटाला मस्जिद जौनपुर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन मस्जिद है। फिरोजशाह ने 1393 ई. में अटाला मस्जिद की नींव डाली थी, लेकिन 1408 ई. में तत्कालीन सुलतान इब्राहिम शाह ने पूरा कराया। इसे जौनपुर में अन्य मस्जिदों के निर्माण के लिये आदर्श माना गया। इसकी ऊँचाई 100 फीट से अधिक है। इस मस्जिद में कलात्मक दीवारों के साथ चारो तरफ सुन्दर दीर्घा का निर्माण किया गया।
अटाला मस्जिद की जानकारी – Atala Masjid Jaunpur History in Hindi
अटाला मस्जिद हिन्दू-मुस्लिम वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। मस्जिद में प्रवेश के लिए तीन विशाल प्रवेश द्वार हैं। मस्जिद की कुल परिधि 248 फीट है। यह मस्जिद ग्रे बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बनी है।
मस्जिद की वास्तुशिल्पीय बनावट, इसके ताक, पाये, स्तंभ और दीवार सुल्तान मोहम्मद शाह तुगलक और फिरोज शाह तुगलक द्वारा दिल्ली में बनाए गए मस्जिद, मकबरे और स्मारकों से काफी मिलते-जुलते हैं। साथ ही अटाला मस्जिद और बेगमपुर मस्जिद में भी काफी समानताएं हैं।
इसमें मीनारें नहीं हैं जो सामान्य रूप से मस्जिदों में होती हैं। मस्जिद के तीन तोरण द्वार हैं जिनमें सुंदर सजावट की गई है। बीच का तोरण द्वार सबसे ऊंचा है और इसकी लंबाई 23 मीटर है।
मस्जिद में एक खूबसूरत मेहराबदार बरामदे के जरिए पहुंचा जा सकता है। आगे चल कर यह एक प्रार्थना कक्ष तक जाता है। मस्जिद के छत पर अलग-अलग आकार के तीन गुंबद बने हैं। यह शहर का एक प्रसिद्ध लैंडमार्क भी है।
आज भी पर्यटक देश-विदेश से इसके दीदार के लिए यहाँ आते है। अटाला मस्जिद परिसर में प्राथमिक स्तर का विद्यालय है जहाँ बचें शिक्षा प्राप्त करते है। मध्यकाल में यहीं अन्तरराष्ट्रीय स्तर का मदरसा चलता था, जहाँ अरबी और फारसी की शिक्षा दी जाती थी। महान शासक शेरशाह सूरी उन प्रमुख लोगों में से एक था जिन्होंने यहाँ शिक्षा हासिल की थी।
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