ऐलेस्सैन्द्रों वोल्टा की जीवनी | Alessandro Volta Biography in Hindi

Alessandro Volta / ऐलेस्सैन्द्रों वोल्टा एक इतालवी भौतिक विज्ञानी, केमिस्ट, और बिजली के अग्रणी थे। पहला इलेक्ट्रॉनिक सेल बनाने का श्रेय वोल्टा को ही जाता है जिसके कारण मानव जाति ने विधुत युग के नए संसार में प्रवेश किया। इन्होंने ही बिजली के चालन के दो प्रकार मान्यता दी।

ऐलेस्सैन्द्रों वोल्टा की जीवनी | Alessandro Volta Biography In Hindiऐलेस्सैन्द्रों वोल्टा का परिचय – Alessandro Volta Biography in Hindi

ऐलेस्सैन्द्रों वोल्टा का जन्म इटली के कोमो शहर में 18 फरवरी 1745 में हुआ। वोल्टा पैदा होने से चार साल तक बोलने का कोई संकेत नहीं दिखाई दिया था उनके परिवार को डर हो गया की कही ये गुंगा तो नहीं, लेकिन सौभाग्य से उनके परिवार वाले गलत साबित हुए। वोल्टा का परिवार भी बहुत गरीब था किंतु उनकी प्रतिभा के कारण और चर्च में कुछ प्रतिष्ठित संबंधियों के प्रभाव से उनकी शिक्षा का प्रबंध हो गया।

वोल्टा जब सात वर्ष के थे तभी इनके पिता का निधन हो गया। 12 साल की उम्र तक इन्होंने अपने चाचा से घर पर ही शिक्षा ली। बाद में जेसुईट बोर्डिंग स्कूल में दाखिल लिया क्योंकि इस स्कुल फ़ीस नहीं देना पड़ता था। विश्वविद्यालय की शिक्षा पूर्ण करने के बाद 17 साल की उम्र में ही ग्रेजुएट होकर वोल्टा को कोमो के हाई स्कूल में शिक्षक की नौकरी मिल गई।

ऐलेस्सैन्द्रों वोल्टा का करियर – Alessandro Volta Life History

कुछ समय बाद पाविया विश्वविद्यालय में उन्हें भौतिकी विभाग की स्थापना के लिए बुलावा आया। वहां काम की जरुरत थी फिर भी वोल्टा कुछ न कुछ वक्त अनुसंधान के लिए निकाल ही लेते थे। कोमा में स्कूल टीचर करते हुए ही वोल्टा ने ‘इलेक्ट्रोफोरस’ आविष्कार कर लिया था। लेकिन वोल्टा ने इलेक्ट्रोफोरस का प्रयोग विद्युत-निर्माण में कैपेसिटर अथवा कंडेंसर के कार्य में कौन-से नियम काम में आते हैं, यह जानने के लिए किया था।

20 मार्च, 1800 को उन्होंने एक प्रसिद्ध पत्र ‘रॉयल सोसाइटी के नाम लिखा जिसमें एक प्रकार की वोल्टाइक पाइल’ का वर्णन था। कोई भी इस पाइप को बना सकता है। वोल्टा ने चांदी और जस्ते के कुछ सूखे तवे लिए और कुछ गत्ते के कटे हुए तवे खूब नमकघुले पानी में गीले किंतु टपकते हुए नहीं लिए और उन्हें चांदी-गत्ता-जस्त-चाँदी के निरंतर-क्रम में रख दिया।

पाइल के सिरो से विधुत संचार संभव था। वोल्टा ने इस प्रकार पहला इलेक्ट्रिक सेल तैयार कर लिया- जो हमारे रेडियो वगैरह में प्रयुक्त ड्राई-सेल ‘बैटरी’ का एक प्रकार से पूर्वाभास हैं। विज्ञान के इतिहास में विद्युत के निरंतर प्रवाह का प्रथम प्रदर्शन था। और जब वह टिन और चांदी के दो चम्मच को एक साथ अपने मुंह में ले गया तो उनसे भी बिजली पैदा होने लगी। यहां भी तो वही दो धातुएं थी, और विद्युत के संचरण के लिए एक द्रव्य माध्यम था।

इस अनुसंधान का फल यह हुआ कि विद्युत और रसायन में शोध के कितने ही नए क्षेत्र एकदम खुल आए। एक चीज तो यह हुई, शायद सबसे पहली, की वोल्टाइक पाइलो का प्रयोग करके वैज्ञानिक पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में फाड़ने में सफल हो गए, और इसके अतिरिक्त डेवी ने सोडियम और पोटेशियम की खोज कर ली, और विद्युत तथा चुंबकशक्ति-विषयक अध्ययन में अब कुछ असाधारण प्रगति आ गई।

1819 में 74 साल की उम्र में वोल्टा अपनी जन्मभूमि को कोमो लौट आए जहां उनकी तबियत अस्वस्थ होने के कारन  5 मार्च ,1827 में उनकी मृत्यु हुई। कोमो में वोल्टा की एक भव्य मूर्ति स्थापित की गई। 1893 में विद्युत-विशारदों की कांग्रेस ने एलेक्ट्रोमोटिव फाॅर्स की इकाई का नाम ही ‘वोल्ट’ निर्धारित कर दिया। ये वोल्टा के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि थी।


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