Amit Shah – अमित शाह वर्तमान में भारत के गृह मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे भारतीय राजनितिक के प्रसिद्ध चेहरा हैं। इन्होने अपने राजनीती करियर की शुरुवात साल 1983 से की। वे गुजरात राज्य के गृहमंत्री तथा भारतीय जनता पार्टी के महासचिव रह चुके हैं।
अमित शाह का परिचय – Amit Shah Biography in Hindi
पूरा नाम | अमितभाई अनिलचन्द्र शाह (Amit Anilchandra Shah) |
जन्म दिनांक | 22 अक्टूबर 1964 |
जन्म भूमि | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
पिता का नाम | अनिलचन्द्र शाह |
माता का नाम | – |
पत्नी का नाम | सोनल शाह |
बेटा का नाम | जय शाह |
शिक्षा | विज्ञान में स्तानक (बीएससी- बायोकेमिस्ट्री) |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि के कारण | गृह मंत्री, भारत सरकार |
धर्म | हिंदू |
एक रईस घर से ताल्लुक रखने वाले अमित शाह ने राजनितिक में आने के बाद कई उपलब्धिया प्राप्त की। हाल ही में मोदी सरकार के द्वितीय कार्यकाल में गृहमंत्री के पद पर रहते हुए अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को हटाने का बड़ा फैसला लिया जिससे उनके अडिग और निर्भय स्वभाव का पता चलता है। हालाँकि उनके ऊपर फर्जी अन्कॉउंटर, दंगा कराने, हत्या और जबरन वसूली जैसे कई आरोप भी लगे।
प्रारम्भिक जीवन Early Life of Amit Shah
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को महाराष्ट्र के मुंबई में एक व्यापारी के घर हुआ था। उनका परिवार गुजराती हिंदू वैष्णव बनिया परिवार था। उनका गाँव पाटण जिले के चँन्दूर में है और गांव का नाम मेहसाणा हैं। अपने गांव में शुरुआती पढ़ाई के बाद बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां से उन्होने बॉयोकेमिस्ट्री में बीएससी की।
इनके पिता का नाम अनिल चन्द्र शाह और माता का नाम कुसुमबा हैं। अपनी पढाई पूरी करने के बाद अमित शाह अपने पिता का बिजनेस संभालने में जुट गए। राजनीति में आने से पहले वे मनसा में प्लास्टिक के पाइप का पारिवारिक बिजनेस संभालते थे। 1987 में इनका विवाह सोनल शाह से हुवा और इनका एक बेटा भी है, जिसका नाम जय शाह है।
राजनितिक करियर – Amit Shah Life History in Hindi
अमित शाह को अपने कॉलेज दिनों से ही राजनितिक की और रुझान था। वे बहुत कम उम्र में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। 1982 में अपने कॉलेज के दिनों में शाह की मुलाक़ात नरेंद्र मोदी से हुयी। 1983 में ये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गए थे। वहीं आरएसएस से जुड़ने के बाद साल 1986 में ये बीजेपी पार्टी में शामिल हो गए और इन्होंने पार्टी के लिए प्रचार का कार्य करना शुरू कर दिया।
शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला।
अमित शाह ने 1997 में गुजरात की सरखेज विधानसभा सीट से उप चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। फिर इन्होंने इसी सीट से लगातार तीन बारी और चुनाव लड़ अपनी जीत दर्ज करवाई। 1999 में वे अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक (एडीसीबी) के प्रेसिडेंट चुने गए। 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने।
साल 2002 में इन्हे गुजरात के राज्य में गृह मंत्री का पद मिला, इस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थे। वे 2002 से 2010 तक गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृहमंत्रालय का जिम्मा संभाला था। वे अपने राज्य के चेस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं।
अमित शाह को 2013 में भारतीय जनता पार्टी के उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया, तब प्रदेश में भाजपा की मात्र 10 लोक सभा सीटें ही थी। उनके संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा जब 16 मई 2014 को सोलहवीं लोकसभा के चुनाव परिणाम आए। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल की। प्रदेश में भाजपा की ये अब तक की सबसे बड़ी जीत थी। इस करिश्माई जीत के शिल्पकार रहे अमित शाह का कद पार्टी के भीतर इतना बढ़ा कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष का पद प्रदान किया गया।
इसी तरह 2019 के लोकसभा चुनाव में भी अमित शाह बीजेपी के अध्यक्ष रहे। और उन्ही की मेहनत के चलते ही नरेन्द्र मोदी जी को 303 सीट्स के साथ, पुरे देश से पूर्ण बहुमत मिला है। मोदी जी और अमित शाह की जोड़ी एक बार फिर हिट हो गई, और भारत देश में मोदी लहर की क्रांति आ गई। इस बार उन्हें केंद्र में गृह मंत्री का पद मिला। इसी जोड़ी ने जम्मू कश्मीर से धरा 370 हटाने में सफल रही।
अमित शाह से जुड़े विवाद
- एक समय ऐसा भी आया जब सोहराबुद्दीन शेख की फर्जी मुठभेड़ के मामले में उन्हें 25 जुलाई 2010 में गिरफ्तारी का सामना करना पड़ा। साल 2005 में गुजरात में हुए एक एनकाउंटर में तीन लोगों को आतंकवादी बताते हुए मार दिया गया था। इस एनकाउंटर की जांच कर रही सीबीआई ने इसे एक नकली एनकाउंटर बताया था। इनकी वजह से उनके गुजरात के मुख्यमंत्री बनने की संभावना ख़तम हो गई, उनके गुजरात में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई, लेकिन 2012 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात में प्रवेश करने की अनुमति दे दी।
- इसके आलावा वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सबूतों को नष्ट करने और और गवाहों को प्रभावित करने का आरोप भी अमित शाह पर लगा। इशरत जहां फर्जी एनकाउंटर मामले में अमित शाह का नाम आया उनके ऊपर आरोप था की उन्होंने गैर क़ानूनी तरीके से एक महिला की जासूसी करवाई।