U. R. Ananthamurthy / यू. आर. अनंतमूर्ति समकालीन कन्नड़ साहित्यकार, आलोचक और शिक्षाविद् थे। यू. आर. अनंतमूर्ति को भारत का एक प्रतिनिधि लेखक भी कहा जा सकता है। उनकी रचनाओं के अनुवाद हिंदी, बांग्ला, मराठी, मलयालम, गुजराती सहित अनेक भारतीय भाषाओं सहित अंग्रेजी, रूसी, फ्रेंच, हंगेरियन आदि अनेक विदेशी भाषाओं में भी प्रचुर मात्रा में हुए हैं। उनकी अनेक रचनाओं पर बहुचर्चित फिल्में बनी हैं, नाट्य प्रस्तुतियाँ खेली गई हैं। वह दुनिया के कई विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर रहे। इनकी सबसे प्रसिद्ध रचना संस्कार है। ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले आठ कन्नड़ साहित्यकारों में वे छठे हैं।
यू. आर. अनंतमूर्ति का संक्षिप्त परिचय – U. R. Ananthamurthy Biography in Hindi
पूरा नाम | उडुपी राजगोपालाचार्य अनंतमूर्ति (Udupi Rajagopalacharya Ananthamurthy) |
जन्म दिनांक | 21 दिसम्बर, 1932 मेलिज गांव, कर्नाटक |
कार्य क्षेत्र | साहित्यकार, अध्यापक, लेखक, कहानी, कविता, नाटक, आलोचना, वैचारिकी |
भाषा | कन्नड़, अंग्रेजी |
पुरस्कार-उपाधि | 1994 ज्ञानपीठ पुरस्कार, 1998 पद्म भूषण |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
अन्य जानकारी | कोयट्टम में ‘महात्मा गांधी विश्वविद्यालय’ के कुलपति, नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन और केंद्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के अध्यक्ष भी रहे हैं। |
मृत्यु | 22 अगस्त, 2014 बैंगलुरू |
U. R. Ananthamurthy Information in Hindi
यू. आर. अनंतमूर्ति को कन्नड़ साहित्य के नव्या आंदोलन का प्रणेता माना जाता है। उन्होंने साहित्य के अनेक अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में हिस्सेदारी की है। महात्मा गांधी विश्वविद्यालय तिरुअनन्तपुरम् और केंद्रीय विश्वविद्यालय गुलबर्गा के कुलपति के रूप में भी काम किया था। साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सन 1998 में भारत सरकार द्वारा इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 2013 के ‘मैन बुकर पुरस्कार’ पाने वाले उम्मीदवारों की अंतिम सूची में यू. आर. अनंतमूर्ति को भी चुना गया था।
प्रारंभिक जीवन – Udupi Rajagopalacharya Ananthamurthy
यू. आर. अनंतमूर्ति का जन्म 21 दिसम्बर, 1932 कर्नाटक के मेलिज गांव में हुवा था। डॉ. यू. आर. अनंतमूर्ति ने अपनी शिक्षा दूरवासपुरा में एक पारंपरिक ‘संस्कृत विद्यालय’ से शुरू की, बाद में उन्होंने अंग्रेज़ी और तुलनात्मक साहित्य की शिक्षा मैसूर, भारत और बर्मिंघम, इंग्लैंड में पूरी की।
उन्होंने 1966 में बर्मिंघम विश्वविद्यालय से “1930 में राजनीति और साहित्य” शीर्षक शोध ग्रंथों के द्वारा शोध उपाधि प्राप्त की। उनकी शादी 1956 ई में इस्तर अनन्तमूर्ति के साथ हुआ जिनसे उनकी मुलाकात 1954 ई में हुआ था। उनके दो संतों हैं पुत्री अनुराधा और पुत्र शरत।
लेखन कार्य और करियर – Udupi Rajagopalacharya Ananthamurthy Story in Hindi
अनंतमूर्ति सही अर्थों में एक आधुनिक लेखक हैं, जो विभिन्न विधागत रूढ़ियों को समाप्त करना चाहते थे। यही कारण है कि उनके कथा साहित्य का ‘गद्य’ उनके ‘पद्य’ के साथ घुलमिल जाना चाहता है। अनंतमूर्ति के लिए लेखन कर्म सदैव वास्तविक यथार्थ को अभिव्यक्त करने की प्रक्रिया रहा है। प्रश्नों के घेरे में स्वयं को तलाश करने का भी यही उनका तरीका है। उनका उपन्यास संस्कार भी इसी तरह के अनेकार्थक जटिल रूपकों से परिपूर्ण है, हालांकि इस उपन्यास की संरचना जिस दार्शनिक दृष्टि से की गई है, वह ब्राह्मणवादी मूल्यों और सामाजिक व्यवस्था की भर्त्सना करती है।
उनका उपन्यास ‘संस्कार’ ब्राह्मणवादी मूल्यों और सामाजिक व्यवस्था की भर्त्सना करता है। उपन्यास में एक ब्राह्मण पुजारी की एक निचली जाति से संबंध रखने वाली वैश्या के घर में मौत हो जाती है। इस पर गांव में पुजारी के अंतिम क्रियाकर्म पर चलने वाली बहस से सामाजिक व्यवस्था को सामने लाया गया है।
‘संस्कार’ के लिए अनंतमूर्ति को ब्राह्मण समुदाय का भारी विरोध भी झेलना पड़ा। बाद में ‘संस्कार’ पर पट्टाभि रामा रेड्डी ने एक फ़िल्म भी बनाई, जिसने कई पुरस्कार जीते. उनकी अन्य मशहूर कृतियों में भव, भारतीपुर, बारा और अवस्थ शामिल हैं। उन्होंने कई लघु कहानियाँ भी लिखीं। अनंतमूर्ति पर किसी तरह की आलोचनाओं का कभी कोई असर नहीं हुआ। उनकी सोच समाजवादी और उदारवादी थी।
अनंतमूर्ति कई वर्षों तक मैसूर विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे। बाद में कोयट्टम में ‘महात्मा गांधी विश्वविद्यालय’ के कुलपति, नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन और केंद्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के अध्यक्ष रहे। इसके साथ वे दूसरी बार ‘फ़िल्म एंड टेलीविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के चेयरमैन भी रहे हैं। डॉ. अनंतमूर्ति ने अपना साहित्यिक जीवन कथा संग्रह ‘इंडेनढ़िगु मुघियाडा कथे’ से शुरू किया। तब से उनके पांच उपन्यास, एक नाटक, छह कथा संग्रह, चार कविता संग्रह और दस निबंध संग्रह कन्नड़ में प्रकाशित हो चुके हैं और अंग्रेजी साहित्य में भी उन्होंने कुछ काम किया है। उनका साहित्य कई भारतीय और यूरोपीय भाषाओं में अनूदित हो चुका है।
निधन – U. R. Ananthamurthy Death
22 अगस्त, 2014 को 81 वर्ष की अवस्था में बैंगलुरू, कर्नाटक में यू. आर. अनंतमूर्ति का निधन हो गया। उनकी मृत्यु का कारण हृदय गति रुकना था। उनके निधन पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमय्या, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया। अनंतमूर्ति का निधन कन्नड़ साहित्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनकी रचनाएँ और उनके विचार हमेशा लोगों को प्रेरित करते रहेंगे।
प्रमुख रचनाएं
- उपन्यास- संस्कार, अवस्थ और भव;
- कहानी- एंदेन्दु मुगियद कथे और मौनी ;
- कविता- बावली, मिथुन;
- नाटक- सन्निवेश, प्रज्ञे मत्तु परिसर, पूर्वापर, आवाहने
सम्मान और पुरस्कार – U. R. Ananthamurthy Awards
- 1984 – राज्यसभा पुरस्कार
- 1994 ई. में ज्ञानपीठ पुरस्कार – भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा कन्नड़ साहित्य में योगदान और आम आदमी के लिए लिखने की उनकी नई सोच के लिए प्रदान किया गया।
- 1998 में पद्म भूषण – भारत सरकार द्वारा दिया गया नागरिक सम्मान
- 2004 – साहित्य अकादमी फेलोशिप
- 2008 – नडोजा पुरस्कार (कनाडा विश्वविद्यालय द्वारा)
FAQ
U. R. Ananthamurthy की साहित्यिक रचनाएँ क्या हैं?
यहाँ उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों की सूची दी गई है:
- संस्कार
- भव
- बारा
- अवस्थ
- महाभारत
और अधिक लेख –
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