Sidhnath Mahadev Temple in Hindi / सिद्धनाथ महादेव मंदिर, नर्मदा नदी के तट पर स्थित हिन्दू आस्था का प्रमुख केन्द्र है। यह मंदिर मध्य प्रदेश के देवास ज़िले में नेमावार नामक ग्राम में स्थित है। 11वीं सदी में चंदेल तथा परमार राजाओं ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कार्य करवाया था। माना जाता हैं सिद्धनाथ महादेव मंदिर में आने वाले भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी।
सिद्धनाथ महादेव मंदिर की जानकारी – Sidhnath Mahadev Temple Information
किंवदंती है कि सिद्धनाथ महादेव मंदिर के शिवलिंग की स्थापना चार सिद्ध ऋषि- ‘सनक’, ‘सनन्दन’, ‘सनातन’ और ‘सनत कुमार’ ने सतयुग में की थी। इसी कारण इस मंदिर का नाम सिद्धनाथ है। प्राचीन काल में मंदिर की स्थापना नदी किनारे और प्राकृतिक संपदा से घिरे वन में साधों संतों के तपो स्थली के रूप में की जाती थी।
यह मंदिर जहां स्थित हैं इसके ऊपरी तल पर ‘ओमकारेश्वर’ और निचले तल पर ‘महाकालेश्वर’ स्थित हैं। श्रद्धालुओं का ऐसा भी मानना है कि जब सिद्धेश्वर महादेव शिवलिंग पर जल अर्पण किया जाता है, तब ‘ओम’ शब्द की प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है।
हिन्दू और जैन पुराणों में नेमावार का कई बार उल्लेख हुआ है। इसे सब पापों का नाश कर सिद्धिदाता तीर्थ स्थल माना गया है। महाभारत काल में नेमावार ‘नाभिपुर’ के नाम से प्रसिद्ध नगर तथा व्यापारिक केंद्र हुआ करता था। अब यह नगर पर्यटन स्थल का रूप ले रहा है।
मंदिर का इतिहास – Sidhnath Mahadev Temple History in Hindi
यह मान्यता भी है कि मंदिर के शिखर का निर्माण 3094 वर्ष ईसा पूर्व किया गया था। द्वापर युग में कौरवों द्वारा इस मंदिर को पूर्वमुखी बनाया गया था, जिसको पांडव पुत्र भीम ने अपने बाहुबल से पश्चिम मुखी कर दिया था।
एक किंवदंती यह भी है कि सिद्धनाथ मंदिर के पास नर्मदा तट की रेती पर सुबह-सुबह पदचिन्ह नजर आते हैं, जहाँ पर कुष्ठ रोगी लोट लगाते हैं। ग्राम के बुजुर्गों का मानना है कि पहाड़ी के अंदर स्थित गुफ़ाओं, कंदराओं में तपलीन साधु प्रात:काल यहाँ नर्मदा नदी में स्नान करने के लिए आते हैं।
10वीं और 11वीं सदी के चंदेल और परमार राजाओं ने इस मंदिर का जिर्णोद्धार किया, जो अपने-आप में स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। मंदिर को देखने से ही मंदिर की प्राचीनता का पता चलता है। मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर शिव, यमराज, भैरव, गणेश, इंद्राणी और चामुंडा की कई सुंदर मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं।
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