चमत्कारी भादवा माता मंदिर | Bhadwa Mata Temple in Hindi

Bhadwa Mata Temple / भादवा माता मंदिर, मध्य प्रदेश के नीमच में स्थित है। इस मंदिर में भादवा माता सुंदर चांदी के सिंहासन पर विराजमाना हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि माता के आशीर्वाद से लकवा, नेत्रहीनता, कोढ़ आदि से ग्रस्त रोगी निरोगी होकर घर जाते हैं।

चमत्कारी भादवा माता मंदिर | Bhadwa Mata Temple in Hindi

भादवा माता मंदिर का इतिहास – Bhadwa Mata Temple Information in Hindi

भीलों की कुलदेवी का यह मंदिर के बारे में माना जाता है कि आप व्हील चेयर पर यहां आते हो लेकिन जाते अपने पैरों पर। इस मंदिर को भादवा माता धाम भी कहा जाता है। इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर रात माता अपने मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर मंदिर के प्रांगण में टलती हैं। टहलते समय माता की जिस पर कृपा हो जाती है वह रोग मुक्त हो जाता है।

माता के इस चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, कोढ़ और नेत्रहीनता से पीड़ित भक्तों का आना लगा रहता है। बहुत से भक्त इस स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर को वापस जाते रहते हैं।

भादवा माता के मंदिर में सुंदर चाँदी के सिंहासन पर विराजित हैं माँ की चमत्कारी मूर्ति। इस मूर्ति के नीचे माँ नवदुर्गा के नौ रूप विराजित हैं। कहते हैं मूर्ति भी चमत्कारी है व उससे ज्यादा चमत्कारी वो ज्योत है, जो कई सालों से अखंडित रूप से जलती जा रही है। यह ज्योत कभी नहीं बुझी और माँ के चमत्कार भी कभी नहीं रूके। आज भी यह ज्योत माँ की प्रतिमा के समीप ही प्रज्ज्वलित हो रही है।

कौन हैं भादवा माता – Bhadwa Mata in Hindi

भादवा माता भीलों की कुलदेवी हैं, इसलिए ही इस मंदिर में जो पुजारी होता है वह ब्राह्मण नहीं होता। इस मंदिर की पूजा का अधिकार भील जाति का होता है। नवदुर्गा में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इसलिए प्रशासन ने यहां पर कई इंतजाम भी करवाए हैं। साथ ही एक ही बावड़ी में ज्यादा भक्त नहा नहीं पाते थे इसलिए एक पानी की टंकी बनवाई गई है। इस पानी की टंकी में बावड़ी की पानी भरा जाता है फिर भक्त इसी पानी से स्नान करते हैं।

मुर्गे और बकरे करते है माँ का गुणगान

अपनी मुराद पूरी होने पर इस मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे छोड़कर जाने का भी चलन है। इसके अलावा यहाँ चाँदी व सोने की आँख, हाथ आदि भी माता को चढ़ाए जाते हैं। यह सब निर्भर करता है आपकी ली गई मन्नत पर। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि जब भादवा माँ की आरती होती है तब ये मुर्गा, कुत्ता, बकरी आदि सभी जानवर तल्लीनता से माँ की आरती में शामिल होते हैं। आरती के समय आपको मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ में कई मुर्गे व बकरी घूमते हुए दिख जाएँगे।

नवरात्र

प्रतिवर्ष चैत्र और कार्तिक माह में नवरात्र पर भादवा माता मंदिर परिक्षेत्र में विशाल मेले का आयोजन होता है, जिसमें शामिल होने दूर-दूर से भक्त आते हैं। कुछ भक्त अपने पदवेश त्यागकर नंगे पैर माँ के दरबार में हा‍जिरी लगाते हैं। नवरात्र पर विशेष रूप से माँ भादवा के धाम तक की कई बसे चलती हैं।


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