Pondicherry / पुदुचेरी भारत का एक केन्द्रशासित प्रदेश है। पहले पुदुचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था जिसे 4 ज़िलों का समावेश करके बनाया गया था। पुदुचेरी नाम इसके सबसे बडे ज़िले पुदुचेरी के नाम पर पडा़ है। पहले पुदुचेरी का आधिकारिक नाम पॉंडिचेरी था जिसे सितंबर 2006 में बदलकर पुदुचेरी कर दिया गया। हालाँकि फ्रांसीसी लोग अब भी इसे पॉंडिचेरी ही कहते हैं। यह एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल भी हैं।
पुदुचेरी की जानकारी – Information About Pondicherry in Hindi
भारत के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक माने जाने वाले पुडुचेरी में दुनिया भर के सैलानी इसके असाधारण आकर्षण की वजह से खिंचे चले आते हैं। इस सुनियोजित शहर का फ्रांसीसी प्रभाव पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। पुदुचेरी का स्थानीय तमिल भाषा में अर्थ होता है ‘नया गाँव’। यह प्रदेश बंगाल की खाड़ी के पूर्व में स्थित है।
पुडुचेरी जिला भारत के पूर्वी तट पर चैन्नई के दक्षिण में 180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कराईकल पूर्वी तट पर पुडुचेरी से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यनम भी पूर्वी तट पर आंध्र प्रदेश के पास स्थित है। माहे केरल के पास पश्चिमी घाट पर स्थित है।
तमिल, तेलुगु, मलयालम, और फ्रांसीसी यहाँ की आधिकारिक भाषाएँ हैं। हर ज़िले के साथ भाषा भिन्न है। ज़िलों के बीच संवाद के लिए साधारणत: अंग्रेज़ी का प्रयोग किया जाता है। पुडुचेरी में साक्षरता दर 86.55 प्रतिशत है जो देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। यहां चार जिले हैं। 492 किमी² क्षेत्रफल में फैला पुदुच्चेरी का जनसँख्या 12,47,953 हैं।
यह एक सुन्दर भारतीय शहर है जिसमें सुद्र के अतिरिक्त फ्रांस की सांस्कृतिक विरासत के जीवंत नमूने आज भी हैं। इस नगर की विशेषता सुनियोजित नगर योजना तथा फ्रांसीसी-तमिल वास्तुकला का संगम है। यह शहर फ्रांस के 18 वीं सदी के क़िलेबंद समुद्रतटीय शहर ‘बास्टाइड’ के नमूने पर बना है। पांडिचेरी महर्षि अरविन्दों घोष के प्रसिद्ध आश्रम के लिए जाना जाता है। भारत के स्वतंत्र होने पर पांडिचेरी शांतिपूर्ण तरीके से भारतीय संघ का अंग बन गया।
इतिहास का इतिहास – Pondicherry History in Hindi
पुडुचेरी सबसे पहले तब मशहूर हुआ जब फ्रांसीसियों ने इस शहर में रुचि ली। हालांकि अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच कई युद्ध हुए। यह प्रदेश लगभग तीन सौ सालों तक फ्रांसिसी अधिकार में रहा। जनरल डूमा फ़्राँसीसी उपनिवेश पाण्डिचेरी का गवर्नर था। प्राचीन समय में फ्रांस से व्यापार का यह प्रमुख केंद्र था। फ्रांसिसी संस्कृति और वास्तुशिल्प के प्रमाण आज भी यहाँ कहीं कहीं दिख जाते हैं। आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
पांडिचेरी का विकास मार्टिन ने एक समृद्ध नगर के रूप में किया। यह नगर भारत में फ्रांसीसी उपनिवेशों की राजधानी के रूप माहे और कोरोमंडल तट पर करिकाल की बस्तियाँ थी। आंग्ल-फ्रांसीसी संघर्ष में दौरान अंग्रेजों ने दो बार, 1745 ई. और 1747 ई. में पांडिचेरी लेने का असफल प्रयास किया लेकिन 1761 ई. में वे इसे लेने में सफल हो गये। इसके साथ ही भारत में फ्रांसीसियों के साम्राज्य का अंत हो गया। पुदुचेरी के अंतर्गत दक्षिण के पुदुचेरी, कराइकल, माहे और यनम के वे क्षेत्र हैं, जहां पहले फ्रांसीसियों का शासन था। पुदुचेरी इस प्रदेश की राजधानी है जो भारत में फ्रांस के निवासियों का मुख्यालय थी।
1 नवंबर 1954 को इसका भारत में विलय कर दिया गया। इसके पूर्व में बंगाल की खाड़ी और तीन तरफ तमिलनाडु है। पुदुचेरी से लगभग 150 किलोमीटर दक्षिण की ओर पूर्वी तट पर कराइकल है और माहे पश्चिम में केरल से घिरे पश्चिमी घाटों के मालाबार तट पर स्थित है। यहाँ पर कालीकट हवाई अड्डे से पहुंचा जा सकता है जो माहे से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। यनम आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी ज़िले से सटा हुआ है और विशाखापत्तनम से 200 किमी की दूरी पर है।
पुडुचेरी का भूगोल
पुडुचेरी का कुल क्षेत्रफल 479 वर्ग किलोमीटर का है और इसमें चार छोटे असंबद्ध जिले शामिल हैं – पुडुचेरी, कराईकल, यनम और माहे। माहे अरब सागर के किनारे स्थित है जबकि बाकी तीनों जिले बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित हैं। सबसे बड़े हिस्से पुडुचेरी और कराईकल हैं जो कि तमिलनाडु के परिक्षेत्र हैं। माहे और यनम क्रमशः केरल और आंध्र प्रदेश के परिक्षेत्र हैं। पुडुचेरी जिले का इलाका 293 वर्ग किलोमीटर, कराईकल 160 वर्ग किलोमीटर, यनम 30 वर्ग किलोमीटर और माहे का इलाका 9 वर्ग किलोमीटर है।
पुदुचेरी की लगभग 24.37 प्रतिशत जनता कृषि और उससे जुड़े व्यवसायों में है। इस राज्य में 80.7 प्रतिशत कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधाएं उपलब्ध हैं। धान यहाँ की मुख्य फ़सल है। दलहन उत्पादन में यह राज्य दूसरे नंबर पर है। माहे क्षेत्र का यहाँ की वनस्पति संपत्ति में बड़ा योगदान है। नारियल, सुपारी और मसाले की पैदावार भी यहाँ होती है। यनम में दालें, मूँगफली और मिर्च यहाँ की वर्षा पर आधारित मुख्य व्यापारिक फ़सलें हैं।
समुद्र के पास स्थित होने के कारण यहां की जलवायु गर्म और आर्द्र है। गर्मियों में यहां का तापमान 38 डिग्री तक पहुंच जाता है। सर्दियों के मौसम में तापमान सुहावना ही रहता है। सर्दियां नवंबर के महीने से शुरु होती हैं और यहां का तापमान कभी भी 20 डिग्री से नीचे नहीं जाता है। उत्तर-पश्चिमी मानसून यहां जुलाई से अगस्त और नवंबर से जनवरी तक बरसता है। गर्मियों का मौसम मार्च से जुलाई तक रहता है। सैलानियों को इस जगह का भ्रमण दिसंबर से मार्च के दौरान करने की सलाह दी जाती है।
समाज और संस्कृति
पुडुचेरी में मिश्रित संस्कृति है। इसमें कई संस्कृतियों से मिलाकर एक संस्कृति बनाई गई है। पुडुचेरी एक ठेठ द्रविड़ जगह है जहां द्रविड़ बहुतायत में मिल जाएंगे। अपनी फ्रांसीसी संस्कृति और चरित्र के बावजूद यह जगह सही मायने में भारतीय है। हालांकि यहां के मूल लोग तमिल मूल के हैं, लेकिन यहां रहने वाले लोग विभिन्न भारतीय राज्यों और विदेशों के हैं। फ्रांस से आजादी के दशकों बाद भी यहां फ्रांसीसी संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं। यहां बहुराष्ट्रीय संस्कृति और महानगरीय प्रकृति है। विभिन्न संस्कृतियों के प्रभाव के कारण यह छोटी सी जगह एक बहुत आकर्षक बहुसांस्कृतिक शहर में बदल गई है जिसकी अपनी विशेषताएं हैं।
पुदुचेरी प्रसिद्ध संतों की भूमि के रूप में प्रसिद्ध है। रोम और यूनान के साथ व्यापारिक संबंध होने के कारण, फ्रांसीसी भारत की राजधानी होने तथा आध्यात्मिक शक्ति को केंद्र होने की वजह से, पांडिचेरी में नदियों, समुद्री तटों के कारण पर्यटकों के लिए पर्यटन के स्थान हैं। पूर्व तथा पश्चिम संस्कृति से प्रभावित पांडिचेरी में हस्तशिल्प से तैयार चमड़े की वस्तुएं, मिट्टी के बरतन, हाथ से तैयार काग़ज़, पुराना औपनिवेशिक फर्नीचर आदि अनोखी वस्तुएं मिलती हैं।