Nakki Lake / नक्की झील राजस्थान के माउंट आबू में स्थित एक खूबसूरत झील हैं। मीठे पानी की यह झील, सर्दियों में अक्सर जम जाती है। कहा जाता है कि एक हिन्दू देवता ने अपने नाखूनों से खोदकर यह झील बनाई थी। इसीलिए इसे नक्की (नख या नाखून) नाम से जाना जाता है। यह 1200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और भारत की एकमात्र कृत्रिम झील है।
नक्की झील का इतिहास – Nakki Lake Mount Abu History in Hindi
नक्की झील माउंट आबू का एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल (Nakki Lake Tourism) है जहाँ अनेक पर्यटक और स्थानीय लोग आते हैं। यह एक सुंदर और शांत स्थान है जिसकी पृष्ठभूमि में सुरम्य पहाडियाँ हैं। इस झील का नाम एक किवदंती के आधार पर पड़ा जिसके अनुसार इस झील की खुदाई देवों ने अपने नाखूनों से की थी जिससे वे दुष्ट राक्षसों से अपनी रक्षा कर सकें। एक अन्य किवदंती के अनुसार इस झील की खुदाई दिलवारा जैन मंदिर के एक मूर्तिकार रसिया बालम ने एक रात में की थी।
नक्की झील माउंट आबू का दिल है। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देने वाली यह झील चारों ओर पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। झील में एक टापू को 70 अश्वशक्ति से चलित विभिन्न रंगों में जल फ़व्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है जिसकी धाराएँ 80 फुट की ऊँचाई तक जाती हैं। आरंभ में इसे नख की झील कहा जाता था। समय के साथ बदल कर इसका नाम नक्की झील पड़ गया।
यह झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है। झील के किनारे ही यहाँ का मुख्य बाज़ार है जहाँ शाम के समय मेला सा लगा रहता है। इस बाज़ार की वस्तुओं में अधिकतर राजस्थानी व गुजराती छाप नजर आती है।
इस झील के पास कई चट्टानी पर्वत हैं जो पर्यटकों और साहसिक कार्यों के प्रेमियों को रॉक क्लाइम्बिंग का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा आप यहाँ बोटिंग (नाव की सवारी) भी कर सकते हैं और इस झील के शांत और स्थिर पानी का आनंद उठा सकते हैं।
झील के पास एक पार्क है वहाँ लोग रंग-बिरंगी पोशाक किराये पर लेकर तसवीरें खिंचते हैं। पास ही में बनी दुकानों से राजस्थानी शिल्प का सामान खरीदा जा सकता है। यहाँ संगमरमर पत्थर से बनी मूर्तियों और सूती कोटा साड़ियाँ काफी लोकप्रिय है। यहाँ की दुकानों से चाँदी के आभूषणों की खरीददारी भी की जा सकती है।
प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर जो चौदहवीं शताब्दी का है इस झील को पावनता प्रदान करता है। नक्की झील से एक कि.मी. पर हनीमून पाइंट नाम की एक चट्टान है, नवविवाहितों के लिए यह रोमांचकारी स्थल है। उल्लेखनीय है कि दार्जिलिंग में सूर्योदय व माउंट आबू में सूर्यास्त का दृश्य अपने में अनुपम दिखाई देता है।
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