मदर टैरेसा की प्रेरणादायी जीवनी | Mother Teresa Biography in Hindi

Mother Teresa Biography in Hindi / कहा जाता है कि दुनिया में लगभग सारे लोग सिर्फ अपने लिए जीते हैं पर मानव इतिहास में ऐसे कई मनुष्यों के उदहारण हैं जिन्होंने अपना तमाम जीवन परोपकार और दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया। मदर टेरेसा भी ऐसे ही महान लोगों में एक हैं जो सिर्फ दूसरों के लिए जीते हैं। मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थीं जिनका ह्रदय संसार के तमाम दीन-दरिद्र, बीमार, असहाय और गरीबों के लिए धड़कता था। और इसी कारण उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उनके सेवा और भलाई में लगा दिया। उसके लिए देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।

मदर टैरेसा की प्रेरणादायी जीवनी | Mother Teresa Biography in Hindi

मदर टैरेसा का संक्षिप्त परिचय – Mother Teresa Biography in Hindi

पूरा नाम मदर टेरेसा (Mother Teresa) (एग्नेस गोनक्शा बोजाक्शिहउ)
जन्म दिनांक 26 अगस्त, 1910
जन्म स्थान यूगोस्लाविया
मृत्यु तिथि  5 सितंबर, 1997
मृत्यु स्थान  कलकत्ता
पिता का नाम निकोला बोयाजू
माता का नाम द्राना बोयाजू
कर्म-क्षेत्र समाजसेवा
रिलिजन रोमन कॅथोलिसिस्म
राष्ट्रीयता भारतीय
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री, नोबेल पुरस्कारभारत रत्न, मेडल आफ़ फ्रीडम।

प्रेरणादायी मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी। उन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की थी। उनका असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu ) था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। सच ही तो है कि मदर टेरेसा एक ऐसी कली थीं जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही गरीबों और असहायों की जिन्दगी में प्यार की खुशबू भरी थी।

मदर टेरेसा का जन्म – Early Life of Mother Teresa 

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को मेसिडोनिया की राजधानी स्कोप्जे शहर (Skopje, capital of the Republic of Macedonia) में हुआ था। उनका जन्म 26 अगस्त को हुआ था पर वह खुद अपना जन्मदिन 27 अगस्त मानती थीं। मदर टेरेसा का असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu ) था। उनके पिता का नाम निकोला बोयाजू और माता का नाम द्राना बोयाजू था।

मदर टेरेसा के पिता उनके बचपन में ही मर गए, बाद में उनका लालन-पालन उनकी माता ने किया। पांच भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं और उनके जन्म के समय उनकी बड़ी बहन आच्च की उम्र 7 साल और भाई की उम्र 2 साल थी। बाकी दो बच्चे बचपन में ही गुजर गए थे।

मदर टेरेसा एक सुन्दर, अध्ययनशील एवं परिश्रमी लड़की थीं। पढाई के साथ-साथ, गाना उन्हें बेहद पसंद था। वह और उनकी बहन पास के गिरजाघर में मुख्य गायिका थीं। ऐसा माना जाता है की जब वह मात्र बारह साल की थीं तभी उन्हें ये अनुभव हो गया था कि वो अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में उन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात वह आयरलैंड गयीं जहाँ उन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं।

मदर टेरेसा का भारत आगमन 

1925 में युगोस्लाविया की ईसाई मिशनरियों का एक दल सेवा कार्य हेतु भारत आया। उसने यहाँ की गरीबी और कष्टों के बारे मे अपने देश को एक ख़त लिखा। जिसमे सहायता की मांग की गयी थी। पत्र को पढ़कर अग्नेसे स्वयं को रोक नहीं सकी और सिस्टर टेरेसा तीन अन्य सिस्टरों के साथ आयरलैंड से एक जहाज में बैठकर 6 जनवरी, 1929 को कोलकाता में ‘लोरेटो कॉन्वेंट’ पंहुचीं।

वह बहुत ही अच्छी अनुशासित शिक्षिका थीं और विद्यार्थी उन्हें बहुत प्यार करते थे। वर्ष 1944 में वह सेंट मैरी स्कूल की प्रिंसिपल बन गईं। मदर टेरेसा ने आवश्यक नर्सिग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तालतला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहीं। उन्होंने मरीजों के घावों को धोया, उनकी मरहमपट्टी की और उनको दवाइयां दीं।

सन् 1949 में मदर टेरेसा ने गरीब, असहाय व अस्वस्थ लोगों की मदद के लिए ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की स्थापना की, जिसे 7 अक्टूबर, 1950 को रोमन कैथोलिक चर्च ने मान्यता दी। इसी के साथ ही उन्होंने पारंपरिक वस्त्रों को त्यागकर नीली किनारी वाली साड़ी पहनने का फैसला किया। मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से आश्रम खोले, जिनमें वे असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों की स्वयं सेवा करती थीं। जिन्हें समाज ने बाहर निकाल दिया हो, ऐसे लोगों पर इस महिला ने अपनी ममता व प्रेम लुटाकर सेवा भावना का परिचय दिया।

मदर टेरेसा का मृत्यु 

उम्र के साथ-साथ उनका स्वास्थ्य भी बिगड़ता गया। वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में उन्हें पहली बार दिल का दौरा पड़ा। उस समय मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गई थीं। इसके पश्चात वर्ष 1989 में उन्हें दूसरा हृदयाघात आया और उन्हें कृत्रिम पेसमेकर लगाया गया। साल 1991 में मैक्सिको में न्यूमोनिया के बाद उनके ह्रदय की परेशानी और बढ़ गयी। इसके बाद उनकी सेहत लगातार गिरती रही। 13 मार्च 1997 को उन्होंने ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के मुखिया का पद छोड़ दिया और 5 सितम्बर, 1997 को उनकी मौत हो गई।

उनकी मौत के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं जो विश्व के 123 देशों में समाज सेवा में कार्यरत थीं। मानव सेवा और ग़रीबों की देखभाल करने वाली मदर टेरेसा को पोप जॉन पाल द्वितीय ने 19 अक्टूबर, 2003 को रोम में “धन्य” घोषित किया।

इसके बाद 4 सितंबर को मदर टेरेसा को संत की उपाधि प्रदान की गई। जीते-जी 124 बड़े पुरस्कारों से सम्मानित टेरेसा को निधन के बाद यह सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। भारत रत्न और नोबेल पुरस्कार जीतने वाली वह पहली महिला हैं, जिन्हें वेटिकन में ईसाई समुदाय के धर्म गुरुओं ने संत घोषित किया है। टेरेसा को संत की उपाधि देने के बाद पोप फ्रांसिस ने कहा- “उन्हें संत टेरेसा कहने में कुछ मुश्किल है, उनकी पवित्रता और मासूमियत हमारे बेहद करीब है। इसलिए हम तो उन्हें मदर ही कहेंगे।

समाजसेवा – Mother Teresa

मदर टेरेसा जब भारत आईं तो उन्होंने यहाँ बेसहारा और विकलांग बच्चों तथा सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आँखों से देखा और फिर वे भारत से मुँह मोड़ने का साहस नहीं कर सकीं। वे यहीं पर रुक गईं और जनसेवा का व्रत ले लिया, जिसका वे अनवरत पालन करती रहीं। मदर टेरेसा ने भ्रूण हत्या के विरोध में सारे विश्व में अपना रोष दर्शाते हुए अनाथ एवं अवैध संतानों को अपनाकर मातृत्व-सुख प्रदान किया। उन्होंने फुटपाथों पर पड़े हुए रोत-सिसकते रोगी अथवा मरणासन्न असहाय व्यक्तियों को उठाया और अपने सेवा केन्द्रों में उनका उपचार कर स्वस्थ बनाया, या कम से कम उनके अन्तिम समय को शान्तिपूर्ण बना दिया। दुखी मानवता की सेवा ही उनके जीवन का व्रत है।

पुरस्कार और सम्मान  – Mother Teresa Awards 

1) पद्मश्री (1962)
2) सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’(1980)
3) संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वर्ष 1985 में मेडल आफ़ फ्रीडम से नवाजा (1985)
4) मानव कल्याण के लिए किये गए कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को नोबेल शांति पुरस्कार मिला (1979)
5) 4 सितंबर को मदर टेरेसा को संत की उपाधि प्रदान की गई


ये भी पड़े :-

Please Note : – Mother Teresa Biography & Life History In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक (Facebook) पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे करे। Mother Teresa Short Biography & Life story In Hindi व नयी पोस्ट डाइरेक्ट ईमेल मे पाने के लिए Free Email Subscribe करे, धन्यवाद।

2 thoughts on “मदर टैरेसा की प्रेरणादायी जीवनी | Mother Teresa Biography in Hindi”

  1. AakashKumar Shubham Rajput

    Good job
    I am Indian but I relif to mother ‍ Teresa ❣☝☝☝☝☝☝ India ♥ ❤ ♥ ❤ ♥ ❤ ♥ ❤

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *