विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड की जीवनी | E Rutherford Biography in Hindi

Ernest Rutherford in Hindi / अर्नेस्ट रदरफोर्ड न्यूजीलैंड के एक प्रसिद्ध रसायनज्ञ तथा भौतिकशास्त्री थे। उन्हें नाभिकीय भौतिकी का जनक माना जाता है। रदरफोर्ड को परमाणु संरचना के सिद्धांत के लिए रसायन विज्ञान में 1908 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अर्नेस्ट रदरफोर्ड की जीवनी - Ernest Rutherford Biography in Hindi 

अर्नेस्ट रदरफोर्ड की जीवनी – Ernest Rutherford Biography in Hindi  

अर्नेस्ट रदरफोर्ड का जन्म 30 अगस्त, 1871 को न्यूजीलैंड के दक्षिण द्वीप पर एक गांव स्प्रिंग ग्रोव में हुआ था। वे अपने पिता के बारह बच्चो में चौथे नंबर पर दूसरे बेटे थे। उनके पिता कम पढ़े-लिखे थे और बड़ा फॅमिली चलाने के लिए संघर्ष करते थे। हालाँकि अर्नेस्ट की मां, मार्था, एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम करती थी। उनका मानना ​​था कि ज्ञान इंसान का सबसे बड़ा शक्ति हैं, और इसलिए वे अपने बच्चों की शिक्षा पर एक मजबूत जोर दिया।

अर्नेस्ट को बचपन में उनके परिवार वाले एरण नाम से पुकारते थे। वे स्कूल के बाद अपने पिता को खेतो में उनकी मदद किया करते थे। अपने परिवार की आर्थिक स्थिति देखते हुवे अर्नेस्ट ने और भी दूसरे काम करने लगे। काम के साथ वे अपनी पढाई पर भी ध्यान देते रहे। बचपन में ही उन्होंने कई छोटे-मोटे अविष्कार में लगे रहते थे।

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद स्कालरशिप से 1890 में न्यूजीलैंड के कैंटरबरी कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की। अपनी अधिकतम उम्र रासायनिक प्रयोगों में गुजारने वाले वैज्ञानिक माइकल फैराडे के बाद दूसरे स्थान पर अर्नेस्ट रदरफोर्ड का ही नाम आता है। भौतिक विज्ञान में अपनी योग्यताओं के चलते 1894 में रदरफोर्ड को प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी सर जे.जे.थॉमसन के अधीन शोध करने का मौका मिला, इसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली।

1898 में कनाडा के मैकगिल विश्वविद्यालय में वे भौतिकी के प्रोफेसर रहे और 1907 में इंग्लैंड मैनचैस्टर विश्वविद्यालय में भौतिकी के व्याख्याता। 1919 में थॉमसन की मृत्यु के बाद कैम्ब्रीज विश्वविद्यालय में अर्नेस्ट रदरफोर्ड ही भौतिकी के प्राध्यापक और निदेशक बने। भौतिक रसायन के लगभग सभी प्रयोगों में उपयोग होने वाली अल्फा, बीटा और गामा किरणों के बीच अंतर बताने वाले वैज्ञानिक अर्नेस्ट रदरफोर्ड ही थे। उन्होंने ही इन किरणों के नाम अल्फ़ा और वीटा किरने रखा था। इन किरणों को आज भी इसी नाम से जाना जाता है।

न्यूक्लियर फिजिक्स में अर्नेस्ट रदरफोर्ड के योगदान के लिए 1908 में उन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

अर्नेस्ट रदरफोर्ड के प्रयोग – Lord Ernest Rutherford Discovery

अर्नेस्ट रदरफोर्ड के परमाणु संरचना के सिद्धांत से पहले पदार्थों में परमाणु की उपस्थिति का पता तो चल सका था, किन्तु परमाणु के बारे में जो जानकारी थी उसे आगे गति दी अर्नेस्ट रदरफोर्ड के किए प्रयोंगों ने। सालों पहले महर्षि कणाद ने यह बता दिया था कि प्रत्येक पदार्थ बहुत छोटे−छोटे कणों से मिलकर बना है। 1808 में ब्रिटेन के भौतिक विज्ञानी जॉन डाल्टन ने अपने प्रयोगों के आधार पर बताया कि पदार्थ जिन अविभाज्य कणों से मिलकर बना है उन्हें परमाणु कहते हैं। इन परमाणुओं का स्वतंत्र अस्तित्व संभव है।

डॉल्टन के बाद वैज्ञानिक थॉमसन व रदरफोर्ड के प्रयोगों ने डॉल्टन के सिद्धांत में सुधार किया उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु अविभाज्य नहीं है बल्कि यह छोटे−छोटे आवेशित कणों से मिलकर बना है। 1897 में सर थामसन ने परमाणु के अंदर धनावेशित कण की उपस्थिति प्रमाणित की। उस समय तक परमाणु के अंदर उपस्थित धनावेशित कणों के लिए कहा गया था कि ये कण परमाणु के अंदर बिखरी हुई अवस्था में ठीक उसी रहते हैं जैसे बूंदी के लड्डू में इलायची के दाने अथवा वॉटर मैलन के अंदर उसके बीज या क्रिसमस पुडिंग में ड्राइ फ्रूट्स।

अर्नेस्ट रदरफोर्ड का वैज्ञानिक दिमाग परमाणु के अंदर इलेक्ट्रान की इस तरह की व्याख्या से संतुष्ट नहीं था, संतुष्टि के लिए उन्होंने कई और प्रयोग किए। परमाणु के अंदर की को संरचना जानने के लिए 1911 में उन्होंने एक प्रयोग किया जिसमें उन्होंने निर्वात में स्क्रीन के सामने रखी एक पतली स्वर्ण पन्नी में से कुछ अल्फा किरणों को गुजारा। प्रयोग के परिणाम आश्चर्य चकित करने वाले थे।

परमाणु के बारे में अब तक प्रचलित सिद्धान्त के अनुसार अल्फा कणों को गोल्ड फॉइल के पार स्क्रीन पर एक ही जगह जाकर टकराना चाहिए था, किन्तु रदरफोर्ड ने देखा कि कुछ अल्फा कण गोल्ड फॉइल से टकराकर भिन्न−भिन्न कोणों पर विचलित होकर वापस आ रहे थे और कुछ उसके पार भी निकल रहे थे। रदरफोर्ड के प्रयोग ने स्पष्ट कर दिया कि परमाणु के मध्य कुछ घना धनात्मक भाग है जिससे अल्फा कण वापस लौट रहे थे। प्रयोग से उन्होंने सिद्ध किया कि यह धनात्मक घना भाग परमाणु का ‘नाभिक’ (न्यूक्लियस) है, इस नाभिक में ही परमाणु का समस्त द्रव्यमान केंद्रित रहता है एवं इलेक्ट्रान इसी धनात्मक आवेश के चारों और व्यवस्थित रूप से घूमते हैं।

उन्होंने यह भी एक न्यूट्रॉन के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी जिसे बाद में जेम्स चाडविक द्वारा खोजा गया था। तत्व राथरफोर्डियम का नाम उन्ही के नाम पर है। जिसे 1914 में रदरफोर्ड नाइट की गई थी। 19 अक्टूबर, 1937 को इंग्लैंड के कैम्ब्रिज में उनका निधन हो गया। उन्हें आइजैक न्यूटन और लॉर्ड केल्विन के पास वेस्टमिंस्टर एब्बे की नौसेना में दफन किया गया।


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