दीपावली (Deepavali) अथवा दिवाली (Diwali) भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर अयोध्या नगरी वापस आए तब नगरवासियों इस ख़ुशी में घरों में दीपक जलाए थे। यह त्यौहार दशहरा के 20 दिन बाद आता है। आइयें जाने दीपावली की कथा..
दिवाली की जानकारी – Diwali Information in Hindi
वास्तव में धनतेरस, नरक चतुर्दशी (जिसे छोटी दीवाली भी कहा जाता है) तथा महालक्ष्मी पूजन- इन तीनों पर्वों का मिश्रण है। दीपावली मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं व मान्यताएं हैं। इसी अनुसार देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे मनाने के तरीकों में भी विभिन्नता पाई जाती हैं।
दीपावली की रात घरों तथा दुकानों पर भारी संख्या में दीपक, मोमबत्तियां और बल्ब जलाए जाते हैं। दीपावली भारत के त्योहारों में अपना विशिष्ट स्थान रखती है। इस दिन लक्ष्मी के पूजन का विशेष विधान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में धनधान्य की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मीजी, विघ्न-विनाशक गणेश जी और विद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आराधना की जाती है।
दीपावली के दिन आतिशबाज़ी की प्रथा के पीछे सम्भवत: यह धारणा है कि दीपावली-अमावस्या से पितरों की रात आरम्भ होती है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है, जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे। दीपावली पर लक्ष्मीजी का पूजन घरों में ही नहीं, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी किया जाता है।
भारतीय पद्धति के अनुसार प्रत्येक आराधना, उपासना व अर्चना में आधिभौतिक, आध्यात्मिक और आधिदैविक इन तीनों रूपों का समन्वित व्यवहार होता है। इस मान्यतानुसार इस उत्सव में भी सोने, चांदी, सिक्के आदि के रूप में आधिभौतिक लक्ष्मी का आधिदैविक लक्ष्मी से संबंध स्वीकार करके पूजन किया जाता हैं। घरों को दीपमाला आदि से अलंकृत करना इत्यादि कार्य लक्ष्मी के आध्यात्मिक स्वरूप की शोभा को आविर्भूत करने के लिए किए जाते हैं। इस तरह इस उत्सव में उपरोक्त तीनों प्रकार से लक्ष्मी की उपासना हो जाती है।
कथाएं – Diwali History & Story in Hindi
1). दीपावली मनाने के पीछे जो सबसे प्रसिद्द कथा हैं वह भगवान् राम का..
मान्यता अनुसार भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर अयोध्या नगरी वापस आए तब नगरवासियों ने अयोध्या को साफ-सुथरा करके रात को दीपकों की ज्योति से दुल्हन की तरह जगमगा दिया था। तब से आज तक यह परंपरा रही है कि, कार्तिक अमावस्या के गहन अंधकार को दूर करने के लिए रोशनी के दीप प्रज्वलित किए जाते हैं।
2). पांडवों का अपने राज्य में वापस लौटना
महाभारत काल में कौरवों ने, शकुनी मामा के चाल की मदद से शतरंज के खेल में पांडवों का सब कुछ छीन लिया था। यहां तक की उन्हें राज्य छोड़ कर 13 वर्ष के लिए वनवास भी जाना पड़ा। इसी कार्तिक अमावस्या को वो 5 पांडव (युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव) 13 वर्ष के वनवास से अपने राज्य लौटे थे। उनके लौटने के खुशी में उनके राज्य के लोगों नें दीप जला कर खुशियां मनाई थी।
3). राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी
कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी।
4). हिरण्यकश्यप का वध
एक पौराणिक कथा के अनुसार विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दीये जलाकर दिवाली मनाई थी।
5). ‘विक्रम संवत’ की स्थापना
इसी दिन गुप्तवंशीय राजा चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने ‘विक्रम संवत’ की स्थापना की थी। धर्म, गणित तथा ज्योतिष के दिग्गज विद्वानों को आमन्त्रित कर यह मुहूर्त निकलवाया कि नया संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाए।
6). कृष्ण ने नरकासुर का वध किया
कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। नरकासुर उस समय प्रागज्योतिषपुर (जो की आज दक्षिण नेपाल एक प्रान्त है) का राजा था। इसी खुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
7). माता लक्ष्मी का सृष्टि में अवतार
दीपावली का त्यौहार हिन्दी कैलंडर के अनुसार कार्तिक महीने के “अमावस्या” के दिन मनाया जाता है। इसी दिन समुन्द्र मंथन के दौरान माता लक्ष्मी जी ने सृष्टि में अवतार लिया था। यह भी दीपावली मनाने का एक मुख्य कारण है।
8). राजा विक्रमादित्य का राज्याभिषेक
उज्जैन के राजा विक्रमादित्य प्राचीन भारत के एक महान सम्राट थे। वे एक बहुत ही आदर्श राजा थे और उन्हें उनके उदारता, साहस तथा विद्वानों के संरक्षणों के कारण हमेशा जाना जाता है। इसी कार्तिक अमावस्या को उनका राज्याभिषेक हुआ था। राजा विक्रमादित्य मुगलों को धूल चटाने वाले भारत के अंतिम हिंदू सम्राट थे।
9). महाकाली का रूप
राक्षसों का वध करने के बाद भी जब महाकाली का क्रोध कम नहीं हुआ तब भगवान शिव स्वयं उनके चरणों में लेट गए। भगवान शिव के शरीर स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया। इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हुई। इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है।
10). इसी दिन आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती का निर्वाण हुआ था।
दीपावली पूजा विधि – Diwali Puja Vidhi
दीपावली पर लक्ष्मीजी का पूजन घरों में ही नहीं, दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी किया जाता है। कर्मचारियों को पूजन के बाद मिठाई, बर्तन और रुपये आदि भी दिए जाते हैं। दीपावली पर कहीं-कहीं जुआ भी खेला जाता है। इसका प्रधान लक्ष्य वर्ष भर के भाग्य की परीक्षा करना है। इस प्रथा के साथ भगवान शंकर तथा पार्वती के जुआ खेलने के प्रसंग को भी जोड़ा जाता है, जिसमें भगवान शंकर पराजित हो गए थे।
धार्मिक दृष्टिकोण से आज के दिन व्रत रखना चाहिए और मध्यरात्रि में लक्ष्मी-पूजन के बाद ही भोजन करना चाहिए। लक्ष्मी जी के पूजन के लिए घर की साफ-सफ़ाई करके दीवार को गेरू से पोतकर लक्ष्मी जी का चित्र बनाया जाता है। लक्ष्मीजी का चित्र भी लगाया जा सकता है।
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Nice Post Bro