भीमबेटका ‘रॉक आश्रयों’ का इतिहास, जानकारी | Bhimbetka History in Hindi

Bhimbetka in Hindi/ भीमबेटका गुफाएं एवं चट्टानों से बने आश्रय स्थल मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में स्थित हैं। यह आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। इन चित्रो को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। महाभारत के एक पौराणिक चरित्र भीम के नाम पर आधारित भीमबेटका भारत की प्राचीन गुफाओं में से एक है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। ये जगह चारों ओर से विंध्य पर्वत श्रेणी से घिरे हुए हैं। भीमबेटका में पायी जाने वाली कुछ कलाकृतियाँ तो तक़रीबन 30,000 साल पुरानी है। यहाँ की गुफाये हमें प्राचीन नृत्य कला का उदाहरण भी देती है।

भीमबेटका (रॉक आश्रयों) का इतिहास, जानकारी | Bhimbetka History in Hindiभीमबेटका का इतिहास और जानकारी – Bhimbetka Rock Shelters History in Hindi

भीमबेटका गुफ़ाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं। इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं। ये गुफ़ाएँ भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद है। यह पूरा क्षेत्र मोटी वनस्पति से घिरा हुआ है। यहाँ प्रचुर मात्रा में पानी, प्राकृतिक आश्रय स्थल, हरा-भरा जंगल और शुद्ध वातावरण है।

भीमबेटका को भीम का निवास भी कहते हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथ महाभारत के अनुसार पांच पाण्डव राजकुमारों में से भीम द्वितीय थे। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसी से इसका नाम ‘भीमबैठका’ भी पड़ा गया। जिसका अर्थ “भीम के बैठने की जगह” से है। ये गुफ़ाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं। इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं। इनकी खोज वर्ष 1957-1958 में ‘डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर’ द्वारा की गई थी। तब से लेकर आज तक वहाँ तक़रीबन 750 से ज्यादा आश्रय स्थल खोजे जा चुके है, जिनमे से 243 भीमबेटका समूह में है और 178 लाख जार समूह में है।

भीमबेटका गुफ़ाओं में बनी चित्रकारियाँ यहाँ रहने वाले पाषाणकालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है। गुफ़ाओं की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 30000 साल पुरानी माना जाता है। भीमबेटका गुफ़ाओं की विशेषता यह है कि यहाँ कि चट्टानों पर हज़ारों वर्ष पूर्व बनी चित्रकारी आज भी मौजूद है और भीमबेटका गुफ़ाओं में क़रीब 600 गुफ़ाएँ हैं।

भीमबेटका गुफ़ाओं में अधिकांश तस्‍वीरें लाल और सफ़ेद रंग के है और इस के साथ कभी कभार पीले और हरे रंग के बिन्‍दुओं से सजी हुई है, जिनमें दैनिक जीवन की घटनाओं से ली गई विषय वस्‍तुएँ चित्रित हैं, जो हज़ारों साल पहले का जीवन दर्शाती हैं। इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है। अन्य पुरावशेषों में प्राचीन क़िले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शुंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष भी यहाँ मिले हैं।

भीमबेटका गुफ़ाओं में प्राकृतिक लाल और सफ़ेद रंगों से वन्यप्राणियों के शिकार दृश्यों के अलावा घोड़े, हाथी, बाघ आदि के चित्र उकेरे गए हैं। इन चित्र में से यह दर्शाए गए चित्र मुख्‍यत है; नृत्‍य, संगीत बजाने, शिकार करने, घोड़ों और हाथियों की सवारी, शरीर पर आभूषणों को सजाने और शहद जमा करने के बारे में हैं। घरेलू दृश्‍यों में भी एक आकस्मिक विषय वस्‍तु बनती है। शेर, सिंह, जंगली सुअर, हाथियों, कुत्तों और घडियालों जैसे जानवरों को भी इन तस्‍वीरों में चित्रित किया गया है। इन आवासों की दीवारें धार्मिक संकेतों से सजी हुई है, जो पूर्व ऐतिहासिक कलाकारों के बीच लोकप्रिय थे। सेंड स्टोन के बड़े खण्‍डों के अंदर अपेक्षाकृत घने जंगलों के ऊपर प्राकृतिक पहाड़ी के अंदर पाँच समूह हैं, जिसके अंदर मिज़ोलिथिक युग से ऐतिहासिक अवधि के बीच की तस्‍वीरें मौजूद हैं।

भीमबेटका की गुफाओ और आश्रय स्थलों में स्थित चित्र तक़रीबन 30,000 साल पुरानी है लेकिन कुछ लोगो के अनुसार यह पेंटिंग इससे ज्यादा पुरानी है। उस समय की पेंटिंग बनाने में उन्होंने सब्जियों के रंगों का उपयोग किया था और वे आश्रय स्थलों और गुफाओ की अंदरूनी और बाहरी दीवारों पर ही तस्वीरे बनाते थे।

हाल ही में होशंगाबाद के पास बुधनी के एक पत्थर खदान में भी शैल चित्र पाए गए हैं। भीमबेटका से 5 किलोमीटर की दूरी पर पेंगावन में 35 शैलश्री पाए गए हैं ये शैल चित्र अत्यधिक दुर्लभ माने गए हैं। इन सभी शैलचित्रों की प्राचीनता 10,000 से 35,000 साल की आंकी गयी है।

अन्य पुरूषों में प्राचीन किले की दीवार, लघुस्तूप, पाषाण निर्मित भवन, शूंग-गुप्त कालीन अभिलेख, शंख अभिलेख और परमार कालीन मंदिर के अवशेष भी यहां मिले हैं। भीम बेटका क्षेत्र को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, भोपाल मंडल में अगस्त 1990 में राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित किया गया था। इसके बाद जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है।

यहाँ पर स्थित चित्रों की शैली से यह पता चलता है कि ये चित्र काफी लंबी अवधि में बनाए गए हैं। भीमबेटका गुफाएं विभिन्न युगों की यात्रा पर ले जाती हैं एवं ये भारत की सांस्कृतिक विरासत की एक राष्ट्रीय संपदा है।

भीमबेटका की वास्तुकला – Bhimbetka Architecture in Hindi

भीमबेटका में दुनिया की सबसे पुरानी गुफा मानी जाती है भीमबेटका में पत्थर की दीवार और फर्श बने हैं। भीमबेटका की यह चट्टान पर हिरन, बाइसन, हाथी और बारहा सिंघा को चित्रित किया गया है। यहां शिकार करने के दौरान शिकारियों को तीर, धनुष, ढोल,रस्सी और एक सूअर का भी चित्र मौजूद है। इस तरह की और भी कई चट्टानें और गुफाएँ यहा स्थित है। जिनकी मौजूदगी से हजारो साल पुराने कई रहस्यों का प्रमाण मिलता है।

भीमबेटका कैसे पहुँचे – How To Reach Bhimbetka In Hindi

भीमबेटका आप ट्रेन, वहाँ और हवाई जहाज से तीनो मार्गो से पहुँच सकते हैं। भीमबेटका का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट, भोपाल का राजा भोज एयर पोर्ट है। जो भीमबेटका से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पहुँचने के लिए हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर उतर सकते है। यहा से भीमबेटका की दूरी लगभग 38 किलोमीटर है। भोपाल जंक्शन पर भी उतर सकते है यहा से आपके पर्यटक स्थल भीमबेटका की दूरी लगभग 53 किलोमीटर है। यदि आप भीमबेटका जाने के लिए बस या अपने व्यक्तिगत साधन के माध्यम से जाना चाहते है तो आप रोड मार्ग से बहुत आसानी से पहुँच सकते है। यह होशंगाबाद रोड से 3 किलोमीटर की दूरी पर भीमबेटका पर्यटक स्थल है।

FAQ

Q. भीमबेटका कहा स्थित है?

Ans – भीमबेटका भारत के मध्य-प्रदेश राज्य में रायसेन जिले में एक पुरातन पाषाणयुगीन पुरातात्विक स्थल है। यह मध्य-प्रदेश राज्य की राजधानी भोपाल से दक्षिण-पूर्व में करीबन 46 की.मी की दूरी पर स्थित है।

Q. भीमबेटका का नाम कैसे पड़ा?

Ans – भीमबेटका नाम भीम, महाकाव्य महाभारत के नायक-देवता भीम से जुड़ा है। भीमबेटका शब्द भीमबैठका से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है “भीम के बैठने की जगह”।

Q. भीमबेटका किसके लिए प्रसिद्ध है?

Ans- भीमबेटका की गुफ़ाएँ आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है। यहां बनाये गए चित्र भारतीय उपमहाद्वीप में मानव जीवन के सबसे प्राचीनतम चिह्न हैं।

Q. – भीमबेटका की खोज किसने की थी?

Ans- भीमबेटका की खोज 1957-58 में वी.एस. वाकणकर की थी।

Q. भीमबेटका कौन से प्रदेश में है?

Ans- भीमबेटका (भीमबैठका) भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन जिले में स्थित हैं।


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