बगलामुखी मंदिर का इतिहास और जानकारी | Baglamukhi Temple

Baglamukhi Temple History in Hindi / बगलामुखी मंदिर, मध्य प्रदेश के शाजापुर में स्थित हैं। यह मंदिर त्रिशक्ति माता बगलामुखी को समर्पित हैं। द्वापर युग का यह मंदिर अत्यंत चमत्कारिक है। यहाँ देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं। इस मंदिर में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता लक्ष्मी, कृष्ण, हनुमान, भैरव तथा सरस्वती भी विराजमान हैं। इस मंदिर की स्थापना महाभारत में विजय पाने के लिए भगवान कृष्ण के निर्देश पर महाराजा युधि‍ष्ठिर ने की थी। मान्यता यह भी है कि यहाँ की बगलामुखी प्रतिमा स्वयंभू है।

बगलामुखी मंदिर का इतिहास और जानकारी | Baglamukhi Temple in Hindi

बगलामुखी मंदिर की जानकारी – Baglamukhi Temple Shajapur Madhya Pradesh in Hindi

माँ बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है। बगलामुखी का यह मंदिर शाजापुर तहसील नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे स्थित है। प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख मिलता है। उनमें से एक है- बगलामुखी। माँ भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्त्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें ‘सिद्धपीठ’ कहा जाता है। भारत में बगुलामुखी के तीन ही ऐतिहासिक मंदिर माने गये हैं, जो क्रमश: दतिया (मध्य प्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) और शाजापुर (मध्य प्रदेश) में हैं।

त्रेतायुग में मा बगला मुखी को रावण की ईष्ट देवी के रूप में भी पूजा जाता है। त्रेतायुग में रावण ने विश्व पर विजय प्राप्त करने के लिए मां की पूजा की। इसके अलावा भगवान राम ने भी रावण पर विजय प्राप्ति के लिए मां बगलामुखी की आराधना की। क्योंकि मां को शत्रुनशिनी माना जाता है। पीला रंग मां प्रिय रंग है। मंदिर की हर चीज पीले रंग की है। यहां तक कि प्रसाद भी पीले रंग ही चढ़ाया जाता है।

माँ बगलामुखी कौन हैं – Baglamukhi Story in Hindi

मां की उत्पत्ति ब्रह्मा द्वारा आराधना करने की बाद हुई थी। ऐसी मान्यता है कि एक राक्षस ने ब्रह्मा जी का से वरदान प्राप्त किया कि उसे जल में कोई मनुष्य या देवता न मार सके। इसके बाद वह ब्रह्मा जी की पुस्तिका ले कर भाग रहा था। तभी ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया. मां बगलामुखी ने राक्षस का पीछा किया तो राक्षस पानी मे छिप गया। इसके बाद माता ने बगुले का रूप धारण किया और जल के अंदर ही राक्षस का वध कर दिया।

देवी बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या हैं यह स्तम्भन की देवी हैं। संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति का समावेश हैं माता शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुलहन है अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है।

बगलामुखी माता मूलत: तंत्र की देवी हैं, इसलिए यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। यह मंदिर इसलिए महत्व रखता है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जाग्रत है तथा इस मंदिर की स्थापना स्वयं महाराज युधिष्ठिर ने की थी।

बगलामुखी मंदिर का इतिहास – Baglamukhi Temple History in Hindi

Baglamukhi Mandir – बगुलामुखा का यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहाँ के पुजारी अपनी दसवीं पीढ़ी से पूजा-पाठ करते आए हैं। 1815 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया था। मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने या किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं।

इस मंदिर में दूर-दूर से लोग आते हैं। यहां तक की नेताओं से लेकर अभिनेता भी यहां मां के दर्शनों और शुत्रओं के नाश की कामना लेकर आते हैं 15 मार्च 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी मां के दरबार में शीश झुकाया था।

कैसे पहुँचें – 

वायु मार्ग – शाजापुर के बगलामुखी मंदिर स्थल के सबसे निकटतम इंदौर का एयरपोर्ट है।

रेल मार्ग – रेल द्वारा इंदौर से 30 कि.मी. पर स्थित देवास या लगभग 60 किमी मक्सी पहुँचकर भी शाजापुर ज़िले के गाँव नलखेड़ा पहुँच सकते हैं।

सड़क मार्ग – इंदौर से लगभग 165 कि.मी. की दूरी पर स्थित शाजापुर पहुँचने के लिए देवास या उज्जैन के रास्ते से जाने के लिए बस और टैक्सी उपलब्ध हैं।


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