Akhilesh Yadav – अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के मुखिया हैं। वे तीन बार सांसद रह चुके हैं। वे एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते है इनके पिता मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष है और इनके चाचा शिवराज सिंह यादव भी राजनीति का जाना माना चेहरा हैं। साथ ही अखिलेश को सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हैं।
अखिलेश यादव का परिचय – Akhilesh Yadav Biography in Hindi
अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मुलायम सिंह यादव की पहली पत्नी मालती देवी के यहाँ हुआ। इनके पिता भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। अखिलेश यादव का विवाह डिम्पल यादव के साथ 24 नवंबर 1999 को हुआ था। अखिलेश तीन बच्चों के पिता हैं। जिनमे दो लड़किया अदिति, टीना और एक लड़का अर्जुन है। इनकी पत्नी सांसद हैं और वह कन्नौज से निर्विरोध सांसद चुनी गई थीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव मे उन्हे हार का सामना करना पड़ा।
अखिलेश ने अपनी स्कूली शिक्षा राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से पूरी की। उसके बाद उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से सिविल इंजीनियरिंग किया। उन्होंने सिडनी विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया, जहां से उन्होंने पर्यावरण इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की। पेशे से वह एक इंजीनियर, कृषक और एक सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता है।
अखिलेश को फुटबॉल और क्रिकेट जैसे खेलों में गहरी दिलचस्पी है। उनके पसंदीदा काम शगल में पढ़ना, संगीत सुनना और फिल्में देखना शामिल हैं। इनके घर का पुकारू नाम टीपू है।
राजनितिक कैरियर – Akhilesh Yadav Life History in Hindi
अखिलेश यादव अपने पिता के साथ पार्टी के कार्य में मदद करते थे लेकिन इन्होने एक संसद के तौर पर मई 2009 के लोकसभा उप-चुनाव फिरोजाबाद सीट से लड़ा। जिसमे अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी एस०पी०एस० बघेल को 67,301 मतों से हराया। इसके अलावा वे कन्नौज से भी जीते। बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट से त्यागपत्र दे दिया और कन्नौज सीट अपने पास रखी।
2012 के विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 224 सीटें प्राप्त की इसके साथ ही मात्र 38 वर्ष की आयु में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के 33वें मुख्यमन्त्री बन गये। 2 मई 2012 को अखिलेश ने 15वीं लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और उत्तर-प्रदेश के विधानसभा काउंसिल के सदस्य बन गये।
जुलाई 2012 में जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने उनके कार्य की आलोचना करते हुए व्यापक सुधार का सुझाव दिया तो जनता में यह सन्देश गया कि सरकार तो उनके पिता और दोनों चाचा चला रहे हैं, अखिलेश नहीं।
उनकी सरकार को दूसरा झटका तब लगा जब एक आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल को निलम्बित करने पर चारों ओर से उनकी आलोचना हुई। जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें नागपाल को बहाल करना पड़ा। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों में 43 व्यक्तियों के मारे जाने व 93 के घायल होने पर कर्फ्यू लगाना पड़ा तथा सेना ने आकर स्थिति पर काबू किया। मुस्लिम व हिन्दू जाटों के बीच हुए इस भयंकर दंगे से उनकी सरकार की बड़ी आलोचना हुई।
2017 में हुए उत्तर-प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी से गठबंधन कर लिया था। उन्होंने विकास के मुद्दे पर वोट मांगे थे और राज्य से कम्युनल शक्ति को हटाने का प्रयास किया, फिर भी समाजवादी पार्टी चुनावों में जीत नहीं सकी। और भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सरकार बनायीं।
यूपी के 2014 में सपा ने 22.35 वोट शेयर के साथ 5 सीटें जीती थीं, वहीं 2019 में पार्टी का वोट शेयर 4 फीसदी से अधिक की कमी के साथ 17.96 फीसदी पर पहुंच गया। पार्टी 5 सीटें जीतने में सफल रही। मैनपुरी में संरक्षक मुलायम सिंह यादव और आजमगढ़ से अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ी जीत दर्ज कर पार्टी की प्रतिष्ठा बचा ली। मुलायम ने मैनपुरी में अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को 94389 मतों के अंतर से हराया। वहीं अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को 259874 वोट से हराया।
अखिलेश यादव से जुड़े विवाद
2014 में बॉलीवुड फिल्म पीके की पायरेटेड कॉपी डाउनलोड करके देखने पर भी अखिलेश यादव पर एफआईआर दर्ज की गयी थी। 2016 में कैराना मुद्दे पर गलत बयानबाजी के कारण भी उनकी आलोचना की गयी थी। उतरप्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले यादव के परिवार में काफी तनाव की स्थिति थी। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की सूची को लेकर काफी विवादस्पद स्थितियां बनी थी। इसके अतिरिक्त भी उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ राजनैतिक और निजी विवादों की चर्चा मिडिया में बनी रहती हैं।
उपलब्धि – Akhilesh Yadav Achievement
अखिलेश यादव ग्रामीण जीवन को विकसित करने और किसानों और गरीबों के कल्याण के लिए सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। उन्हें भारतीय राजनीति में युवा चेहरों में से एक के रूप में जाना जाता है। अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी ने विधान सभा चुनावों के दौरान पार्टी के प्रचार में उनकी भूमिका के लिए पहचाना है। साइकिल रैली के माध्यम से राज्य भर में प्रचार करने की उनकी अभिनव शैली एक बड़ी सफलता थी क्योंकि यह विभिन्न समुदायों विशेषकर युवा पीढ़ी के मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गई थी।