Dadra and Nagar Haveli / दादरा और नगर हवेली भारत का एक केंद्रशासित प्रदेश हैं। नागर हवेली, गुजरात और महाराष्ट्र के मध्य में स्थित है जबकि दादरा, गुजरात में नागर हवेली के उत्तर में स्थित है। सिलवासा इस प्रदेश की राजधानी है।
दादरा और नगर हवेली की जानकारी – Dadra and Nagar Haveli Information in Hindi
दादरा और नगर हवेली दक्षिणी भारत में महाराष्ट्र और गुजरात के मध्य स्थित है, हालाँकि दादरा, जो कि इस प्रदेश कि एक तालुका है, कुछ किलोमीटर दूर गुजरात में स्थित एक विदेशी अन्तः क्षेत्र है। यह क्षेत्र दमन से 10 से 30 किलोमीटर दूर है।
दादरा और नगर हवेली भारत के खूबसूरत जगहों में एक हैं। हरे भरे जंगल, इठलाती नदियां, पर्वत श्रृंखलाएं और वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों की शानदार झलक इस केंद्र शासित प्रदेश का सबसे खास पहलू हैं। पूरे प्रदेश में दमन गंगा नदी बहती है और प्रदेश के पूर्व से पश्चिमी घाट शुरू होते है। हालांकि, अरब सागर गुजरात में पश्चिम में है और डीएनएच घिरा है।
दादरा और नगर घवेली प्रमुख रूप से ग्रामीण क्षेत्र है जिसमे 62% से अधिक आदिवासी रहते है। संघ राज्य क्षेत्र 40 प्रतिशत हिस्सा आरक्षित वनों से घिरा है जो नाना प्रकार के वनस्पति और पशु को निवास प्रदान करते है। समुद्री तट से समीपता के कारण, गर्मियों में तापमान ज्यादा ऊपर नहीं जाता।
इतिहास
इस संघ शासित प्रदेश पर पहले मराठों का शासन था। लेकिन बाद में मराठों और पुर्तग़ालियों के बीच लंबे संघर्ष के बाद 17 दिसंबर, 1779 को मराठा सरकार ने मित्रता सुनिश्चित करने के लिए इस प्रदेश के कुछ गांवों का 12,000 रुपये का राजस्व क्षतिपूर्ति के तौर पर पुर्तग़ालियों को सौंप दिया था। जनता द्वारा 2 अगस्त, 1954 को मुक्त कराने तक, पुर्तग़ालियों ने इस प्रदेश पर शासन किया।
1954 से 1961 तक यह प्रदेश लगभग स्वतंत्र रूप से काम करता रहा जिसे ‘स्वतंत्र दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन’ ने चलाया। लेकिन 11 अगस्त, 1961 को यह प्रदेश भारतीय संघ में शामिल हो गया है और तब से भारत सरकार एक ‘केंद्रशासित प्रदेश’ के रूप में इसका प्रशासन कर रही है। पुर्तग़ाल के चंगुल से इस क्षेत्र की मुक्ति के बाद से ‘वरिष्ठ पंचायत’ प्रशासन की परामर्शदात्री संस्था के रूप में कार्य कर रही थी पंरतु इसे 1989 में भंग कर दिया गया और अखिल भरतीय स्तर पर संविधान संशोधन के अनुरूप ‘दादरा और नगर हवेली’ ज़िला पंचायत और 11 ग्राम पंचायतों की एक प्रदेश परिषद गठित कर दी गई।
केंद्र शासित प्रदेश के सबसे मुख्य शहर दादरा और सिलवासा हैं। सिलवासा दादरा और नगर हवेलीं की राजधानी भी है।
भूगोल
इसकी भौगोलिक स्थिति 20 डिग्री 25’ उत्तर और 73 डिग्री 15’ पूर्व में है। 491 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैले, दादरा और नागर हवेली क्षेत्र में कई आदिवासियों समूहों का घर है जैसे – वारलिस, डबलस, धोडियास और कोंकाणस। इस प्रदेश का 40 प्रतिशत क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ है जो कि इन सभी आदिवासी समूहों का घर है। यहां की मुख्य भाषा गुजराती भाषा और मराठी भाषा है।
दादरा और नगर हवेली में एक जिला, एक ब्लाॅक और 72 गांव हैं और सन् 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 3,43,709 है। दादरा और नगर हवेली का मौसम इसकी भौगोलिक स्थिति से बहुत प्रभावित है। यह केंद्र शासित प्रदेश यूं तो चारों तरफ से जमीन से घिरा है लेकिन समुद्र से ज्यादा दूर भी नहीं है।
इस राज्य का मुख्य व्यवसाय कृषि है। आदिवासी यहां ज्यादातर चावल, गेंहू, गन्ना, धान, दालें और फल उगाते हैं। यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है। इसका प्रशासन भारत की केंद्र सरकार देखती है। यहां की 40 प्रतिशत जमीन घने जंगलों से ढंकी है और बाकी क्षेत्र चावल और अन्य अनाज के उत्पादन और जानवरों की चराई के लिए है। यहां का उद्योग विकास सीमित है।
त्योहार
दादरा और नगर हवेली क्षेत्र में सामान्यतया सभी हिंदु, मुस्लिम और ईसाई त्योहार मनाए जाते हैं। आदिवासी अपने ही त्योहार मनाते हैं। ढोडिया और वर्ली जनजातियां ‘दिवसो’ त्योहार मनाती हैं और ढोडिया जनजाति रक्षाबंधन भी मनाती है। वर्ली, कोकना और कोली जनजातियां ‘भावड़ा’ त्योहार मनाती हैं। यहाँ की सभी जातियों के लोग फ़सल काटने से पहले ग्राम देवी की पूजा करते है तथा फ़सल काटने के बाद ‘काली पूजा’ का त्योहार मनाते हैं।
पर्यटन स्थल – Dadar and Nagar Haveli Tourism
हरे भरे जंगल, इठलाती नदियां, पर्वत श्रृंखलाएं और वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों के लिए मशहूर यह केंद्र शासित प्रदेश सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। इस क्षेत्र में नवंबर से मार्च तक बहुत ही सुहावना मौसम होता है और यह समय यहां घूमने आने का सबसे अच्छा समय है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि दादरा और नागर हवेली, 150 वर्षो तक एक पुर्तगाली उपनिवेश था। उनके शासन का प्रभाव, इस क्षेत्र की वास्तुकला, भोजन और जीवनशैली में स्पष्ट दिखाई देता है। यूटी के प्रमुख आकर्षणों में से एक रोमन कैथोलिक चर्च – द चर्च ऑफ अवर लेडी ऑफ पाईटी है। आज, यहां की आबादी में काफी हिंदू है और यहां कई मंदिर भी स्थित है जिनमें से वृंदावन मंदिर एक है जो सिलवासा में बना हुआ है। साथ ही यहां कई मंदिर और चर्च है जिनमें दर्शन करना एक अनोखा अनुभव होता है।
पर्यटक यहां आकर हिरवा वन भी भ्रमण कर सकते हैं, यह एक खूबसूरत गार्डन है जहां क्रमबद्ध झरने है, देहाती दीवारें और मंहगे लॉन हैं जहां आकर आराम से सैर की जा सकती है। इस गार्डन में कई सुंदर फूलों का समूह है। सिलवासा में एक छोटा सा चिडि़याघर भी है जहां कई सुंदर – सुंदर रंगबिरंगी चिडि़यां, बंदर, अजगर और मगरमच्छ आदि हैं।
पर्यटन की दृष्टि से प्रमुख स्थान है-
- ताडकेश्वर शिव मंदिर
- वृंदावन
- खानवेल का हिरण पार्क
- बाणगंगा झील और द्वीप उद्यान
- वनविहार उद्यान
- लघु प्राणी विहार
- बाल उद्यान
- आदिवासी म्यूजियम
- सिलवासा स्थित हिरवावन उद्यान
कैसे पहुंचे
केंद्र शासित प्रदेश पूरी तरह महाराष्ट्र और गुजरात के सड़क नेटवर्क पर निर्भर है क्योंकि मुंबई से इन दोनों राज्यों को पार करने के उपरांत ही प्रदेश में पहुंचा जा सकता है। वर्तमान में सड़कों की कुल दोनों लंबाई 635 कि.मी. है जिसमें से 570 कि.मी. पक्की हैं। लगभग सभी गांव ऐसी सड़कों से जुड़े हैं जो हर मौसम में ठीक रहती हैं। मुंबई से अहमदाबाद का रेल मार्ग वापी से भी जुड़ा है। निकटतम हवाई अड्डा मुंबई है।
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दादरा और नागर हवेली अपने नाम के कारण हमेशा से आकर्षित करती रही हैं। आज पहली बार इनके बारे में विस्तार से जानने को मिला। आभार।