Chronic Fever / जीर्ण ज्वर (बुखार) धीरे-धीरे आता है, इसीलिए इसे मंद ज्वर के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार का ज्वर धूप में चलने, अधिक गर्म चीजें खाने, आंच के आगे बैठने व गर्मी की थकान के कारण आता है। जब रोगी को 21 दिन तक बुखार बना रहे उतरे नहीं तो उसे भी जीर्ण बुखार ही कहते हैं। इस रोग के प्रारंभ में रोगी का मुंह कड़वा रहने लगता है, चक्कर आने लगते हैं, आँखों में जलन होती है, रह-रहकर बुखार आने लगता है। रोगी बेहद कमजोरी महसूस करता है। पुरे बदन में थकावट या दर्द होता है।
बार-बार बुखार आने की स्थिति में आप इसका इलाज सामान्य बुखार की तरह ही करें। अगर आपको या आपके बच्चे को बार-बार बुखार आता है तो उसके सांस लेने के तरीके का ध्यान रखें।
जीर्ण ज्वर होने पर यह उपचार करें – Chronic Fever Treatment in Ayurveda
⇒ जीर्ण ज्वर 3 सप्ताह बीत जाने के बाद भी नहीं टूटता। शरीर में हरारत बनी रहती है। ऐसे रोगी को खाली पेट या भूखा नहीं रहना चाहिए। फलों का रस, दूध या दूध-चावल की पतली खीर आदि देते रहना चाहिए। नौसादर के फूल, फिटकरी (शोधित) सुहागा (शोधित), गोदंती भस्म, शुद्ध सोना गेरू, सुरंजन की छाल और खुरासानी अजवायन – सभी 10-10 ग्राम लेकर 20 ग्राम गेहूं की रख में मिलाकर बारीक पीसकर कपड़छन कर ले। सुबह शाम एक-एक ग्राम की खुराक रोगी को पानी के साथ दे। जल्दी आराम मिलता है।
⇒ जीर्ण ज्वर के कारण कब्ज हो जाने पर रोगी के पेट पर अरंड के तेल की मालिश करें तथा मुनक्का में काला नमक भर कर खिलाएं, लेकिन उसे अधिक दस्त नहीं होने चाहिए। दस्त होने से रोग बिगड़ जाता है। तीर्व ज्वर होने पर रोगी के सिर व माथे पर बादाम रोगन को बर्फ पर ठंडा करके उसकी पत्तियां रखें।
⇒ आधी रत्ती सौभाग्य वटी प्रतिदिन सुबह-शाम शहद के साथ लेने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है।
⇒ प्रवाल पिष्टी दो रत्ती और सितोपलादि चूर्ण चार रत्ती शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से ज्वर उतर जाता है।
⇒ नीम की छाल के काढ़े में धनिया और सोंठ का चूर्ण मिलाकर पीने से जीर्णज्वर दूर हो जाता है।
⇒ गुठली रहित बकायन के कच्चे ताजे फलों को कूटकर उसके रस में बराबर मात्रा में गिलोय का रस मिलाकर तथा दोनों के चौथाई भाग बराबर देसी अजवायन का चूर्ण मिलाकर खूब खरल कर झाड़ी के बेल जैसी गोलियां बनाकर, दिन में 3 बार 1-1 गोली ताजे पानी के साथ सेवन करने से पुराने से पुराना बुखार उतर जाता है।
⇒ यदि जीर्ण ज्वर (पुराना बुखार) हो गया हो और साथ ही ऐसी खांसी हो जिससे छाती में दर्द हो तो तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
⇒ ज्वर आने पर या इससे दो घंटे पहले नमक, फिटकरी व काली मिर्च को समान मात्रा में पीसकर आधे नीबू में डालकर धीरे-धीरे चूसें। दूसरा आधा टुकड़ा इसी तरह से आधे घंटे के बाद चूसें ज्वर ठीक हो जाएगा।
⇒ बेल की जड़ का 10 ग्राम गूदा बारीक-बारीक काट लें, फिर इसमें 10 ग्राम बेल की गिरी भी मिला दें। इसमें 10 ग्राम एरंड की जड़ भी काटकर डाल दें। इसके पश्चात इन सभी को आधा किलो दूध में दो किलो पानी मिलाकर उबालें। जब पानी जल जाए तो इसे छानकर 10-10 ग्राम की मात्रा में तीन-तीन घंटे बाद लेते रहें। जीर्ण ज्वर पूर्णत: समाप्त हो जाएगा।
⇒ चिरायता, काला जीरा और कटुकी सभी एक-एक चम्मच रात्रि में भिगोकर सुबह 500 Gram पानी में उबालें जब तक पानी केवल दो चम्मच रह जाये. उस पानी को सुबह उठकर पीने से जीर्ण ज्वर (Chronic Fever) में लाभ होता है।
⇒ जीर्ण बुखार, 6 दिन से भी अधिक समय से चला आ रहा बुखार व न टूटने वाले बुखार मे 40 ग्राम गिलोय को अच्छी तरह से पीसकर, मिटटी के बर्तन में 250 मिलीलीटर पानी मिलाकर उसमें डालकर रात भर ढककर रख देते हैं। सुबह के समय इसे मसलकर और छानकर पी लेते हैं। इस रस को रोजाना दिन में 3 बार लगभग 20 ग्राम की मात्रा में पीने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है।