विषम ज्वर जिसे पित्त ज्वर भी कहते हैं यह पित्त उत्पन्न करने वाले पदार्थों को खाने से विपरीत पदार्थों का सेवन करने से तथा अधिक ठंड या गर्मी के कारण आता है। इस ज्वर में नाड़ी मंद गती से चलती है। इस बुखार के आने पर आखों में जलन, अरुची, मुह का जयका बिगड़ जाना, प्यास, खांसी, अधिक नींद आना, कभी सर्दी तथा कभी गर्मी लगना गले में खुस्की, भ्रम उत्पन्न होना, तथा बार-बार कफ का आना आदि लक्षण होते हैं। विषम ज्वर कभी रात को सोने के समय तो कभी दिन में बैठे-बैठे ही, कभी एक दिन छोड़कर तो कभी दो-तीन बाद, कभी हल्का तो कभी बहुत तेज आता हैं।
विषम या पित्त ज्वर होने पर निम्नलिखित उपचार करने चाहिए –
⇒ विषम अर्थात तेज बुखार होने पर गाय के दूध में डेढ़ माशा अदरक या सौंठ का चूर्ण देने पर बुखार उतर जाता है।
⇒ तुलसी बनफशा के साथ गिलोय का चूर्ण मिलाकर लेने से पुराने से पुराना बुखार तुरंत भाग जाता है। गिलोय का चूर्ण की मात्रा 4 से 6 ग्राम तक लेनी चाहिए।
⇒ लौंग और चिरायता का समान भाग पानी में पीसकर शहद के साथ पिलाने से कैसा भी ज्वर हो, उतर जाता है।
⇒ जिस ज्वर में प्यास ना लगे, नींद ना आए वो पसीना ना आए, ऐसे ज्वर में आंवला और सौंठ सम मात्रा में घी में भून लें तथा रोगी को खिलाएं। बुखार उतर जाएगा प्यास भी लगेगी और नींद भी आएगी।
⇒ दस मुनक्का या किशमिश और इतनी ही मात्रा में पुदीने के पत्ते लेकर रात को आधा गिलास पानी में भिगो दें। सुबह इस सामग्री को मसलकर कपड़े में छान लें तथा रोगी को पिलाएं। विषम ज्वर उतर जाएगा भूख भी लगेगी।
⇒ सौंप का काढ़ा बनाकर पीने से पित्त ज्वर से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
⇒ पके हुए बेल के सेवन से विषम शीत ज्वर में काफी आराम मिलता है।
⇒ ग्रीष्मकालीन बुखार मे, प्यास लगने पर रोगी को दो चम्मच खीरे का रस, दो चम्मच गाजर का रस और 2 चम्मच चुकंदर का रस मिलाकर पिलाएं। रोगी को आराम मिलेगा और स्फूर्ति भी आएगी।
⇒ 2- 2 ग्राम तुलसी के पत्ते, 2 ग्राम अजवायन को पीस कर 50 ग्राम पानी में उबाल कर रोगी को सुबह- शाम पिलाने से विषम ज्वर दूर हो जाता है।
⇒ जामुन का सिरका पीते रहने से विषम शीत ज्वर के कारण हुई पित्ती ठीक हो जाती है। इसके नियमित उपयोग से यह बुखार जाता रहता है।
⇒ गिलोय, आंवला और नागरमोथा का काढ़ा पीने से यह ज्वर जड़ से नष्ट हो जाता है।
⇒ सेव का सेवन रोगी के शरीर में नव-ऊर्जा का संचार कर देता है जिससे यह फीवर जल्द ही ठीक हो जाता है।