Vinayak Damodar Savarkar / विनायक दामोदर सावरकर न सिर्फ़ एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार और ओजस्वी आदि वक्ता भी थे। उनके इन्हीं गुणों ने महानतम लोगों की श्रेणी में उच्च पायदान पर लाकर खड़ा कर दिया। उन्हें प्रायः वीर सावरकर के नाम से सम्बोधित किया जाता है। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा (हिन्दुत्व) को विकसित करने का बहुत बडा श्रेय सावरकर को जाता है। वे हिंदु संस्कृति में जातिवाद की परंपरा का विनाश करना चाहते थे, सावरकर के लिये हिंदुत्व का मतलब ही एक हिंदु प्रधान देश का निर्माण करना था। उन्होंने 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर का सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिखकर ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था।
सावरकर का परिचय – Vinayak Damodar Savarkar Biography in Hindi
सावरकर भारत में सिर्फ और सिर्फ हिंदु धर्म चाहते थे, उनका ऐसा मानना था की भारत हिन्दुप्रधान देश हो। और देश में सभी लोग भले ही अलग-अलग जाती के रहते हो लेकिन विश्व में भारत को एक हिंदु राष्ट्र के रूप में ही पहचान मिलनी चाहिये। इसके लिये उन्होंने अपने जीवन में काफी प्रयत्न भी किये। उनके प्रसिद्द कथन “मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश सेवा में ईश्वर सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की।”
उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित ‘1857 में स्वतंत्रता के भारतीय युद्ध’ नामक एक किताब लिखी, जिस पर अंग्रेजों ने रोक लगा दी थी। इन्होंने रत्नागिरी जेल में ही ‘हिंदुत्व’ नामक एक पुस्तक भी लिखी थी। उन्होंने प्राचीन भारतीय संस्कृति को बनाए रखने और सामाजिक कल्याण की दिशा में काम करने के लिए रत्नागिरी हिंदू महासभा की स्थापना की। गाँधी जी के हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे भी हिंदू महासभा के सदस्य थे। महात्मा गांधी हत्या मामले में वीर सावरकर पर भारत सरकार द्वारा आरोप लगाया गया था, परन्तु भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें निर्दोष सबित कर दिया था।
नाम | विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) |
जन्म दिनांक | 28 मई 1883 |
जन्म स्थान | भागुर, जिला नासिक बम्बई प्रेसीडेंसी ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 26 फ़रवरी, 1966 (उम्र 82) बम्बई, भारत |
मृत्यु का कारण | इच्छामृत्यु |
पिता का नाम | दामोदर पन्त सावरकर |
माता का नाम | राधाबाई |
प्रसिद्धि के कारण | भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि |
प्रारम्भिक जीवन – Early Life of Veer Savarkar
वीर सावरकर का पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। वीर सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गाँव में हुआ। उनके पिता दामोदरपंत गाँव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे। जब विनायक नौ साल के थे तभी उनकी माता राधाबाई का देहांत हो गया था। इसके सात वर्ष बाद सन् 1899 में प्लेग की महामारी में उनके पिता जी भी स्वर्ग सिधारे। इनके दो भाई गणेश (बाबाराव) व नारायण दामोदर सावरकर तथा एक बहन नैनाबाई थीं। इसके बाद विनायक के बड़े भाई गणेश ने परिवार के पालन-पोषण का कार्य सँभाला। दुःख और कठिनाई की इस घड़ी में गणेश के व्यक्तित्व का विनायक पर गहरा प्रभाव पड़ा। विनायक ने शिवाजी हाईस्कूल नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की।
बचपन से ही वे पढ़ाकू तो थे ही अपितु उन दिनों उन्होंने कुछ कविताएँ भी लिखी थीं। आर्थिक संकट के बावजूद बाबाराव ने विनायक की उच्च शिक्षा की इच्छा का समर्थन किया। इस अवधि में विनायक ने स्थानीय नवयुवकों को संगठित करके मित्र मेलों का आयोजन किया। शीघ्र ही इन नवयुवकों में राष्ट्रीयता की भावना के साथ क्रान्ति की ज्वाला जाग उठी। सन् 1901 में रामचन्द्र त्रयम्बक चिपलूणकर की पुत्री यमुनाबाई के साथ उनका विवाह हुआ। उनके ससुर जी ने उनकी विश्वविद्यालय की शिक्षा का भार उठाया।
बाद में 1902 में उन्होंने पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में एडमिशन लिया। एक युवा व्यक्ति के रूप में उन्हें नयी पीढ़ी के राजनेता जैसे बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चन्द्र पाल और लाला लाजपत राय से काफी प्रेरणा मिली जो उस समय बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी अभियान चला रहे थे। सावरकर बहोत से स्वतंत्रता अभियान में शामिल हुए थे।
क्रांतिकारी जीवन – Veer Savarkar Career History in Hindi
फ़र्ग्युसन कॉलेज पुणे में पढ़ने के दौरान भी वे राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। वीर सावरकर की भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी के कारण ब्रिटिश सरकार ने उनसे, उनकी स्नातक स्तर की डिग्री वापस ले ली। जून 1906 में, वीर सावरकर वकील बनने के लिए लंदन चले गए। जब वे विलायत में क़ानून की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, तभी 1910 ई. में एक हत्याकांड में सहयोग देने के रूप में एक जहाज़ द्वारा भारत रवाना कर दिये गये।
परन्तु फ़्रांस के मार्सलीज़ बन्दरगाह के समीप जहाज़ से वे समुद्र में कूदकर भाग निकले, किन्तु पुनः पकड़े गये और भारत लाये गये। भारत की स्वतंत्रता के लिए किए गए संघर्षों में वीर सावरकर का नाम बेहद महत्त्वपूर्ण रहा है। महान देशभक्त और क्रांतिकारी सावरकर ने अपना संपूर्ण जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। अपने राष्ट्रवादी विचारों से जहाँ सावरकर देश को स्वतंत्र कराने के लिए निरन्तर संघर्ष करते रहे वहीं दूसरी ओर देश की स्वतंत्रता के बाद भी उनका जीवन संघर्षों से घिरा रहा।
क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ उनके संबंध होने के कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। एक विशेष न्यायालय द्वारा उनके अभियोग की सुनवाई हुई और उन्हें आजीवन कालेपानी की दुहरी सज़ा मिली। सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल (सेल्यूलर जेल) में रहे। 1921 में वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भोगी।
सेल्यूलर जेल स्वतंत्रता सेनानियों को कड़ा परिश्रम करना पड़ता था। कैदियों को यहां नारियल छीलकर उसमें से तेल निकालना पड़ता था। साथ ही इन्हें यहां कोल्हू में बैल की तरह जुत कर सरसों व नारियल आदि का तेल निकालना होता था। इसके अलावा उन्हें जेल के साथ लगे व बाहर के जंगलों को साफ कर दलदली भूमी व पहाड़ी क्षेत्र को समतल भी करना होता था। रुकने पर उनको कड़ी सजा व बेंत व कोड़ों से पिटाई भी की जाती थीं। इतने पर भी उन्हें भरपेट खाना भी नहीं दिया जाता था।
1940 ई. में वीर सावरकर ने पूना में ‘अभिनव भारती’ नामक एक ऐसे क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य आवश्यकता पड़ने पर बल-प्रयोग द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करना था। आज़ादी के वास्ते काम करने के लिए उन्होंने एक गुप्त सोसायटी बनाई थी, जो ‘मित्र मेला’ के नाम से जानी गई।
सावरकर भारत को एक हिंदु राष्ट्र बनाना चाहते थे लेकिन बाद में उन्होंने 1942 में भारत छोडो आन्दोलन में अपने साथियो का साथ दिया और वे भी इस आन्दोलन में शामिल हो गये। 1947 में इन्होने भारत विभाजन का विरोध किया। महात्मा रामचन्द्र वीर (हिन्दू महासभा के नेता एवं सन्त) ने उनका समर्थन किया। बाद में सावरकर ने काफी यात्रा की और वे एक अच्छे लेखक भी बने, अपने लेखो के माध्यम से वे लोगो में हिंदु धर्म और हिंदु एकता के ज्ञान को बढ़ाने का काम करते थे। सावरकर ने हिंदु महासभा के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए भी सेवा की है, उस समय वे भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के उग्र आलोचक बने थे और उन्होंने कांग्रेस द्वारा भारत विभाजन के विषय में लिये गये निर्णय की काफी आलोचना भी की। उन्हें भारतीय नेता मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या का दोषी भी ठहराया गया था लेकिन बाद में कोर्ट ने उन्हें निर्दोष पाया।
सावरकर एक प्रख्यात समाज सुधारक थे। उनका दृढ़ विश्वास था, कि सामाजिक एवं सार्वजनिक सुधार बराबरी का महत्त्व रखते हैं व एक दूसरे के पूरक हैं। उनके समय में समाज बहुत सी कुरीतियों और बेड़ियों के बंधनों में जकड़ा हुआ था। इस कारण हिन्दू समाज बहुत ही दुर्बल हो गया था। अपने भाषणों, लेखों व कृत्यों से इन्होंने समाज सुधार के निरंतर प्रयास किए। हालांकि यह भी सत्य है, कि सावरकर ने सामाजिक कार्यों में तब ध्यान लगाया, जब उन्हें राजनीतिक कलापों से निषेध कर दिया गया था। किंतु उनका समाज सुधार जीवन पर्यन्त चला। उनके सामाजिक उत्थान कार्यक्रम ना केवल हिन्दुओं के लिए बल्कि राष्ट्र को समर्पित होते थे। 1924 से 1937 का समय इनके जीवन का समाज सुधार को समर्पित काल रहा।
निधन – Veer Savarkar Death in Hindi
आजादी के बाद सावरकर पर भड़काऊ हिंदु भाषण देने का आरोप लगाया गया लेकिन कुछ समय बाद उन्हें पुनः निर्दोष पाया गया और रिहा कर दिया गया। लेकिन उन्होंने अपने तत्व हिंदुत्व के जरिये कभी भी लोगो को जागृत करना नही छोड़ा, अंतिम समय तक वे हिंदु धर्म का प्रचार करते रहे।
8 नवंबर 1963 में इनकी पत्नी यमुनाबाई चल बसीन सितंबर, 1966 से उन्हें तेज ज्वर ने आओरा, जिसके बाद उनका स्वास्थ्य गिरने लगा था। 1 फरवरी 1966 को उन्होंने गर्भप्रर्यन्त उपवास करना निर्णय लिया था। 26 फरवरी 1966 को बम्बई में भारतीय समयानुसार प्रातः 10 बजे उन्होंने पार्थिव शरीर छोड़कर परमधाम प्रस्थान किया। उनकी अंतिम यात्रा पर 2000 आरएसएस के सदस्यों ने उन्हें अंतिम विदाई दी थी और उनके सम्मान में “गार्ड ऑफ़ हॉनर” भी किया था।
प्रमुख कार्य और तथ्य – Veer Savarkar Life Facts in Hindi
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के केन्द्र लंदन में उसके विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन संगठित किया था।
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने सन् 1905 के बंग-भंग के बाद सन् 1906 में ‘स्वदेशी’ का नारा दे, विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी।
- सावरकर ‘हिंदुत्व’ शब्द को गढ़ा और हिंदू धर्म की विशिष्टता पर जोर दिया। जो सामाजिक और राजनीतिक साम्यवाद से जुड़ा था।
- सावरकर भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें अपने विचारों के कारण बैरिस्टर की डिग्री खोनी पड़ी।
- सावरकर पहले भारतीय थे जिन्होंने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की।
- ‘द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस – 1857’ सावरकर द्वारा लिखित पुस्तक है, जिसमें उन्होंने सनसनीखेज व खोजपूर्ण इतिहास लिख कर ब्रिटिश शासन को हिला डाला था। अधिकांश इतिहासकारों ने 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक सिपाही विद्रोह या अधिकतम भारतीय विद्रोह कहा था। दूसरी ओर भारतीय विश्लेषकों ने भी इसे तब तक एक योजनाबद्ध राजनीतिक एवं सैन्य आक्रमण कहा था, जो भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के ऊपर किया गया था।
- सावरकर भारत के पहले और दुनिया के एकमात्र लेखक थे जिनकी किताब को प्रकाशित होने के पहले ही ब्रिटिश और ब्रिटिशसाम्राज्यकी सरकारों ने प्रतिबंधित कर दिया था।
- सावरकर दुनिया के पहले राजनीतिक कैदी थे, जिनका मामला हेग के अंतराष्ट्रीय न्यायालय में चला था।
- सावरकर पहले भारतीय राजनीतिक कैदी थे, जिसने एक अछूत को मंदिर का पुजारी बनाया था।
- सावरकर ने ही वह पहला भारतीय झंडा बनाया था, जिसे जर्मनी में 1907 की अंतर्राष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में मैडम कामा ने फहराया था।
- सावरकर वे पहले कवि थे, जिसने कलम-काग़ज़ के बिना जेल की दीवारों पर पत्थर के टुकड़ों से कवितायें लिखीं। कहा जाता है उन्होंने अपनी रची दस हज़ार से भी अधिक पंक्तियों को प्राचीन वैदिक साधना के अनुरूप वर्षोंस्मृति में सुरक्षित रखा, जब तक वह किसी न किसी तरह देशवासियों तक नहीं पहुच गई।
- वे प्रथम क्रान्तिकारी थे, जिन पर स्वतंत्र भारत की सरकार ने झूठा मुकदमा चलाया और बाद में निर्दोष साबित होने पर माफी मांगी।
- ऐसा भी कहा जाता है कि सावरकर की महात्मा गांधी से नहीं बनती थी। उन्होंने गांधी के ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन का विरोध भी किया। दरअसल, इससे सावरकर अंग्रेजों का भरोसा जीतना चाहते थे और उनकी मदद से हिंदू प्रांतों का सैन्यकरण करना चाहते थे।
- हमेशा विवादों में घिरे रहने वाले सावरकर हिंदू धर्म के कट्टर समर्थक थे पर वो जाति व्यवस्था के विरोधी थे। यहां तक कि गाय की पूजा को उन्होंने नकार दिया और गौ पूजन को अंधविश्वास करार दिया था।
- उन्हें मुंबई आर्थर रोड जेल में हिरासत में लिया गया था। हालांकि एक गहन परीक्षण के बाद उन्हें बरी कर दिया गया।
- गांधी की हत्या के बाद लोगों ने गुस्से में आ कर सावरकर के मुंबई वाले घर को निशाना बनाया।
- उनके जीवन पर फिल्मे भी बानी हैं। 1996 में प्रियदर्शन द्वारा निर्देशित एक मलयालम फिल्म काला पानी में वीर सावरकर के रूप में अन्नू कपूर ने अभिनय किया। इसके आलावा वीर सावरकर की सुधीर फडके और वेद राही द्वारा वीर सावरकर की एक बायोपिक बनवायी गई जिसमें सैलेन्द्र गौर ने सावरकर की भूमिका निभाई थी।
Q. सावरकर का इतिहास क्या है?
Ans – विनायक दामोदर सावरकर न सिर्फ़ एक क्रांतिकारी थे बल्कि एक भाषाविद, बुद्धिवादी, कवि, अप्रतिम क्रांतिकारी, दृढ राजनेता, समर्पित समाज सुधारक, दार्शनिक, द्रष्टा, महान कवि और महान इतिहासकार और ओजस्वी आदि वक्ता भी थे।
और अधिक लेख –
- छत्रपती शिवाजी महाराज का इतिहास
- महात्मा गाँधी की प्रेरणादायी जीवनी
- लाला लाजपत राय की हक़ीकत जीवनी
- नाथूराम गोडसे की हक़ीकत कहानी
Please Note : – Vinayak Damodar Savarkar Biography & Life History In Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक (Facebook) पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे Comment Box मे करे। Veer Savarkar Essay & Life Story In Hindi व नयी पोस्ट डाइरेक्ट ईमेल मे पाने के लिए Free Email Subscribe करे, धन्यवाद।