Nasiruddin Mahmud ka Maqbara / नसिरुद्दीन महमूद का मक़बरा दिल्ली के किशनगढ़ में स्थित है। इसे ‘सुल्तानगढ़ी मक़बरा’ (Sultan Ghari Maqbara) भी कहा जाता है। सुल्तान इल्तुतमिश ने इस मक़बरे का निर्माण मलकापुर में 1231 ई. में करवाया था।
नसिरुद्दीन महमूद का मक़बरा का इतिहास – Nasiruddin Mahmud ka Maqbara
इस मकबरे का निर्माण सुल्तान इल्तुतमिश ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नसिरुद्दीन महमूद के लिए करवाया था। इसे भारत में सबसे पुराना इस्लामी मकबरा माना जाता है। इल्तुतमिश स्लेव राजवंश का तीसरा सुल्तान था जो 1210 से 1236 ईस्वी तक दिल्ली में शासन किया था।
स्थापत्य कला के क्षेत्र में इस मक़बरे के निर्माण को एक नवीन प्रयोग के रूप में माना जाता है। चूँकि तुर्क सुल्तानों द्वारा भारत में निर्मित यह पहला मक़बरा था, इसलिए इल्तुतमिश को मक़बरा निर्माण शैली का जन्मदाता कहा जा सकता है। इस मकबरे में फ़ारसी वास्तुकला का मिश्रण हैं। यह संगमरमर और बलुवा पत्थर से बना हैं।
सुल्तानगढ़ी मक़बरे का निर्माण इल्तुतमिश ने अपने ज्येष्ठ पुत्र नसिरुद्दीन महमूद की याद में कुतुबमीनार से लगभग 3 मील की दूरी पर स्थित मलकापुर में 1231 ई. में करवाया था। पर्सी ब्राउन के शब्दों में सुल्तानगढ़ी का शाब्दिक अर्थ है- “गुफ़ा का सुल्तान”।
यह मक़बरा आकार में दुर्ग के समान ही प्रतीत होता है। मक़बरे की चाहर दीवारी के मध्य में लगभग 66 फुट का आंगन है। आँगन के बीच में अष्टकोणीय चबूतरा निर्मित है, जो धरातल में मक़बरे की छत का काम करता है। आँगन में कही भूरे रंग का पत्थर तो कही संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
और अधिक लेख –
Please Note : – Sultan Ghari Tomb (Nasiruddin Mahmud Tomb) History in Hindi मे दी गयी Information अच्छी लगी हो तो कृपया हमारा फ़ेसबुक (Facebook) पेज लाइक करे या कोई टिप्पणी (Comments) हो तो नीचे करे.